दो दिन बाद देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम (1935) के स्थान पर हमारा संविधान लागू हुआ था. लेकिन भारत में प्राचीन काल में कई राज्य गणतंत्र सिस्टम से संचालित होते थे. सही मायनों में दुनिया में जहां भी गणतांत्रिक व्यवस्था लागू दिखती है, वो प्राचीन भारत की देन है.
प्राचीन भारत में सबसे पहला गणराज्य वैशाली था. बिहार के इस प्रांत को वैशाली गणराज्य के नाम से जाना जाता था.
दुनिया का पहला गणतंत्र
ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक ईसा से लगभग छठी सदी पहले वैशाली में ही दुनिया का पहला गणतंत्र यानी ‘गणराज्य’ कायम हुआ था. आज जो लोकतांत्रिक देशों में अपर हाउस और लोअर हाउस की प्रणाली है, जहां सांसद जनता के लिए पॉलिसी बनाते हैं. ये प्रणाली भी वैशाली गणराज्य में था. वहां उस समय छोटी-छोटी समितियां थी, जो गणराज्य के अंतर्गत आने वाली जनता के लिए नियमों और नीतियों को बनाते थे.
अमेरिका में होने वाले चुनावों के वक़्त हमें प्रेसिडेंशियल डिबेट्स की खबर देखने को मिलती है. ऐसी ही बहसें आज से लगभग 2500 साल पहले वैशाली गणराज्य में अपने नए गणनायक को चुनने के लिए होती थीं. कई इतिहासकारों का ये भी मानना है कि अमेरिका में जब लोकतंत्र का ताना-बाना बुना जा रहा था, तब वहां के पॉलिसी-मेकर्स के दिमाग में वैशाली के गणतंत्र का मॉड्यूल चल रहा था.
वैशाली में गणतंत्र की स्थापना
दरअसल वैशाली नगर वज्जी महाजनपद की राजधानी थी. महाजनपद का मतलब प्राचीन भारत के शक्तिशाली राज्यों में से एक होता था. ये क्षेत्र प्रभावशाली था अपने गणतंत्रिक मूल्यों की वजह से. वैशाली में गणतंत्र की स्थापना लिच्छवियों ने की थी. लिच्छवियों का संबंध एक हिमालयन ट्राइब लिच्छ से था. वैशाली गणराज्य को लिच्छवियों ने खड़ा किया था और ये इसलिए किया गया था, ताकि बाहरी आक्रमणकारियों से बचा जा सके. और अगर कोई बाहर से आक्रमण करे तो गणराज्य को जनता का पूरा समर्थन हासिल हो.
फिर शक्तिशाली राज्य के तौर पर उभरा वैशाली
गणराज्य बनने के बाद ठीक ऐसा ही हुआ था. कलांतर में वैशाली एक शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा. इस प्रकार एक नई प्रणाली ईजाद हुई, जिसे हम गणतंत्र कहते हैं. इसे दुनिया के ज्यादातर देशों ने अपनाया है और मॉडर्न ग्लोबल वर्ल्ड का बेस्ट सिस्टम माना गया.
आज इंडिया हो या यूरोप का कोई देश या फिर अमेरिका, सब इसी सिस्टम को मानते हैं, जिसकी शुरुआत आज से 2600 साल पहले भारत के वैशाली में हुई थी.
हिमालय की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर लिच्छवियों के संघ द्वारा गणतंत्र सिस्टम की शुरूआत की गई थी, जिसका नाम ‘वैशाली गणराज्य’ था. वैशाली को कुछ इतिहासकार गणतंत्र का ‘मक्का’ भी कहते हैं.
तब समितियां बनाती थीं नीतियां
आज के गणराज्य में और वैशाली के गणराज्य में बहुत से फर्क हैं, पर मेन आइडिया वहीं से लिया गया था. वैशाली गणराज्य को नियंत्रित करने के लिए कुछ समितियां बनाई गई थीं, जो हर तरह के कामों पर बारीकी से नजर रखती थीं. ये समितियां समय के हिसाब से गणराज्य की नीतियों में तब्दीली लाती थीं, जो काम आज के समय में किसी लोकतांत्रिक देशों में जनता के द्वारा चुने गए सांसद करते हैं.
कैसी थी न्याय व्यवस्था
भारतकोश वेबसाइट के अनुसार वैशाली के संस्थागार में सभी राजनीतिक विषयों की चर्चा होती थी. यहां अपराधियों के लिए दंड व्यवस्था भी की जाती थी. कथित अपराधी का दंड सिद्ध करने के लिए विनिश्चयमहामात्य, व्यावहारिक, सूत्रधार अष्टकुलिक, सेनापति, उपराज या उपगणपति और अंत में गणपति क्रमिक रूप से विचार करते थे.
अपराध प्रमाणित न होने पर कोई भी अधिकारी दोषी को छोड़ सकता था. ‘दंड विधान संहिता’ को ‘प्रवेणिपुस्तक’ कहते थे. वैशाली को प्रशासन पद्धति के बारे में यहाँ से प्राप्त मुद्राओं से बहुत कुछ जानकारी होती है.
प्राचीन भारत में कैसी थी वैशाली
नेपाल की तराई से लेकर गंगा के बीच फैली भूमि पर वज्जियों तथा लिच्छवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक शासन व्यवस्था की शुरुआत की गयी थी. करीब छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यहां का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाने लगा. तब यहां गणतंत्र की स्थापना हुई.
प्राचीन वैशाली नगर अति समृद्ध एवं सुरक्षित नगर था, जो एक-दूसरे से कुछ अंतर पर बनी तीन दीवारों से घिरा था. प्राचीन ग्रन्थों में इसका वर्णन मिलता है कि नगर की किलेबन्दी यथासम्भव इन तीनों कोटि की दीवारों से की जाए ताकि शत्रु के लिए नगर के भीतर पहुँचना असंभव हो सके. चीनी यात्री ह्वेनसांग के अनुसार पूरे नगर का घेरा 14 मील के लगभग था.
वैशाली में अब क्या है
वैशाली बिहार के वैशाली जिला में स्थित एक गांव है. वज्जिका यहां की मुख्य भाषा है. ये भगवान महावीर की जन्म स्थली भी है, लिहाजा जैन धर्म को मानने वालों के लिए वैशाली एक पवित्र स्थल है.
भगवान बुद्ध तीन बार वैशाली आए. ये उनकी कार्यभूमि भी थी. महात्मा बुद्ध के समय सोलह महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्त्वपूर्ण था. ये जगह पौराणिक हिन्दू तीर्थ एवं पाटलीपुत्र जैसे ऐतिहासिक स्थल के निकट है.
वैशाली का नाम अक्सर मशहूर राजनर्तकी और नगरवधू आम्रपाली के लिए भी लिया जाता है. मौजूदा समय में वैशाली पर्यटकों के लिए बहुत लोकप्रिय जगह है. वैशाली में आज दूसरे देशों के कई मंदिर भी बने हैं.
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