जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने टाइटन पर बादलों को देखा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव लाने का काम किया है. यह अलग तरह की इंफ्रारेड तरंगों को पकड़ने में सक्षम है जो कोई टेलीस्कोप अब तक नहीं पकड़ पाया है. इसी वजह से जिस भी दिशा में यह टेलीस्कोप मुड़ता है वहां की नई जानकारी मुहैया कराने लगता है. अब उसने अपना रुख शनि (Saturn) के चंद्रमा टाइटन (Titan) पर अपनी निगाह डाली है और उसने उम्मीद के मुताबिक उसके बारे में नई जानकारी भी दी है जिसने वैज्ञानिकों को चौंकाते हुए टाइटन के घने वायुमंडल में दो बादलों की मौजूदगी का पता लगाया है.
खास क्यों है टाइटन
दरअसल टाइटन ही सौरमंडल का अकेला ऐसा चंद्रमा है जहां घना वायुमडंल है. इस वजह से यह वैज्ञानिको के लिए आकर्षण केंद्र है. इतना ही नहीं बहुत सारी असमानताएं होने के बाद भी वह कई लिहाज से पृथ्वी के समान है. यहां नदियां, झील और महासागर हैं, लेकिन ये सभी पानी से नहीं बल्कि तरल मीथेन से भरे हैं.
लंबे समय था इंतजार
वैज्ञानिक बहुत सालों से इस बात का इंतजार कर रहे थे कि कब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप शनि के इस विशेष चंद्रमा पर निगाह डालकर नई जानकारी लेगा. नासा के मुताबिक वैज्ञानिक वेब के इंफ्रारेड कैमरा के द्वारा वे टाइटन के वायुमंडल की गैसीय संरचना और उसके मौसम की जानकारी हासिल कर सकेंगे.
एक नहीं दो बादल
वैज्ञानिकों ने जेम्स टेलीस्कोप के नियर इंफ्रारेड कैमरा (NIRCam) से ली गई अलग-अलग तस्वीरों का अध्ययन किया जिससे उन्हें टाइटन के उत्तरी गोलार्द्ध में एक चमकीला धब्बा देखा जो वास्तव में एक विशाल बादल था. इतना ही नहीं कुछ ही समय बाद उन्होंने एक दूसरा बादल भी देखा. इस खोज से टाइट की जलवायु को लेकर बनाए गए कई प्रतिमानों की वैधता की पुष्टि करने में मदद कर सकेगी.
और ज्यादा जानकारी की जरूरत
इसके बाद वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि क्या ये बादल गतिमान हैं या नहीं, अगर हैं तो वे किस तरह की गतिमान हो रहे हैं और क्या वे आकार किस तरह से बदलते है. इससे वे टाइटन के वायुमंडल में हवा के संचार का जानकारी जुटाना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें हवाई के केक वेधशाला से टाइटन के विस्तृत अवलोकन करने की गुजारिश की है.
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केवल आकार बदल रहे हैं बादल
वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता थी कि कहीं बादाल समय के साथ गायब ना हो जाएं जिससे बाद में उनका अवलोकन ही ना हो सकें. लेकिन उन्होने पाया कि बादल उसी स्थान पर मौजूद हैं बस उनका आकार बदल रहा है. शोधकर्ताओ ने वेब के नियर इंफ्रारेड स्पैक्टोग्राफ उपकरण का उपयोग कर टाइटन के कई स्पैक्ट्रम भी जमा किए हैं जिससे उन्हें कई तरह के तरंगों की जानकारी मिली है जो जमीन पर स्थिति टेलीस्कोप नहीं पकड़ सकते हैं.
दक्षिणी ध्रुव की पहेली
इन आंकड़ों के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को टाइटन के निचले वायुमंडल की संरचना की जानकारी मिल सकेगी और उन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर देखे गए चमकीले हिस्से के बारे में भी पता लगा सकेंगे. नासा ने साल 2034 में टाइटन के सेल्क क्रेटर इलाके में एक ड्रैगनफ्लाई रोटोक्राफ्ट भेजेगा. जिससे टाइटन पर जीवन की संभावनाओं का आंकलन हो सकेगा.
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नासा के वैज्ञानिकों ने पहले ही कैसिनी अंतरिक्ष यान द्वारा टाइटन की ली गई राडार तस्वीरों के विश्लेषण कर उसके इलाकों की काफी जानकारी दी है. नासा के मुताबिक NIRSpec के आंकड़े वैज्ञानिकों को टाइटन की सतह की संरचना और निचले वायुमंडल के विश्वलेषण में मदद करेंगे जो कि कैसिनी के द्वारा संभव नहीं था.
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