जापान ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए अपनी परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) नीति की समीक्षा कर रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
आधुनिक तकनीक के मामलों में किसी देश ने सही मायनों में तरक्की की है तो वह जापान (Japan) ही है. किसी देश के विकास के स्तर के प्रमुख पैमानों में से एक वहां की ऊर्जा की मांग और खपत होती है. जापान ने ऊर्जा के समस्या का हल परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) में खोजा था और उसके कई परमाणु ऊर्जा संयत्र देश की ऊर्जा समस्या का पूरा समाधान बन गए थे. साल पहले जापान में आई सुनामी के कारण फुकुशिमा परमाणु संयंत्र (Fukushima Nuclear power Plant) को अचानक ही बंद करना पड़ा था. इससे रेडियोधर्मी प्रदूषण का खतरा फैल गया. तब जापान ने अपने परमाणु ऊर्जा नीति में बदलाव किए थे. अब जापान एक बार फिर परमाणु नीति की समीक्षा कर रहा है.
नई परमाणु नीति?
फुकुशिमा हादसे के बाद अब जापान के प्रधानमंत्री फुमियो काशिदा ने कहा है कि उनका देश वर्तमान में चल रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के सक्रिय जीवनकाल को लंबा करने और नई पीढ़ी के परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने पर विचार कर रहा है. उन्होंने कहा कि जापान को संकट के हालातों का ध्यान रखना होगा.
इसी साल होगा इस पर फैसला
किशिदा ने यह ऐलान ग्रीन ट्रॉन्सफॉर्मर कॉन्फ्रेंस में किया. वे कोविड पॉजिटिव होने के बाद रिमोट कॉन्फ्रेस के जरिए बोल रहे थे. यह ऐलान जापान की पिछली परमाणु नीति से अलग हटकर आया है. उन्होंने यह भी कहा की इस साल के अंत में इस नई नीति पर फैसला ले लिया जाएगा.
अलग हैं जापान के हालात
जापान की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है कि वहां भूगर्भीय अस्थिरता रहती है. वहां भूकंप बहुत आते हैं. और समुद्री इलाका पास होने से सुनामी आने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है. ऐसे में सुनामी के कारण फुकुशिमा हादसे के बाद जापान ने परमाणु ऊर्जा के उपयोग को धीरे धीरे खत्म करने की नीति अपना ली थी.
क्या है अभी की नीति
फुकुशिमा हादसे के बाद जापान ने फैसला किया था कि बचे हुए संयंत्रों को भी अगले 60 सालों तक उपयोग किया जाएगा. अधिकारियों ने सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सक्रियता की सीमा 40 साल कर दी और और अतिरिक्त 20 साल भी कड़े सुरक्षा उपाय अपनाने पर ही बढ़ाने की बात की थी. साल 2030 तक जापान को अपनी परमाणु ऊर्जा खपत को 20 प्रतिशत तक ले जाने की उम्मीद है और 2050 वह कार्बन रहित देश बनने का ऐलान कर चुका है.
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अभी क्या है स्थिति
सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जापान को अपनी परमाणु ऊर्जा नीति पर विचार करने के जरूरत क्यों पड़ रही है. इस साल जुलाई के अंत में जापान के पास सात परमाणु संयंत्र थे जो काम कर रहे थे जिनमें से तीन रखरखाव के कारण बंध थे. सरकार ने ऐलान किया था कि उसकी सर्दियों तक 9 परमाणु ऊर्जा संयत्र चालू रखने की योजना है और अगली गर्मी तक सात अतिरिक्त संयंत्र चालू कर दिए जाएंगे.
यह है दबाव का कारण
लेकिन वास्तव जापान में कुल 33 परमाणु संयंत्र जिनमें से अधिकारश रीलाइसेंसिंग की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं जिन्हें फुकुशिमा हादसे के बाद कड़े सुरक्षा मानदंडों से गुजरना है. रूस यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर बहुत दबाव होने के कारण जापानी सरकार को परमाणु ऊर्जा के उपयोग पर लौटने पर विचार करना पड़ रहा है. इसके अलावा वैश्विक उत्सर्जन कम करने का भी दबाव है.
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जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. वहीं भीषण गर्मी पड़ने के दौरान गर्मियों में जापानी लोगों को बिजली बचाने की सलाह भी दी गई थी, लेकिन मांग फिर भी ज्यादा होती जा रही है. ऐसे में आने वाले समय में देश में कहीं ऊर्जा संकट ना आ जाए. जापानी सरकार को ऊर्जा नीति के सभी विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है जिसमें ज्यादा कठोर मानदंडों के साथ परमाणु ऊर्जा की ओर जाना भी अच्छा विकल्प हो सकता है.
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