जापानी अंतरिक्ष यान गिराने वाला है क्षुद्रग्रह के नमूने, जानिए इनकी अहमियत

क्षुद्रग्रह (Asteroid) के नमूनों से वैज्ञानिकों पृथ्वी (Earth) और हमारे सौरमंडल की जानकारी मिल सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA)
जापान (Japan) का हायाबुसा2 (Hayabusa2) अंतरिक्ष यान रियगु (Ryugu) क्षुद्रग्रह (Asteroid) के नमूने पृथ्वी पर लाकर छोड़ने वाला है. शोधकर्ताओं को इससे पृथ्वी सहित सौरमंडल की काफी जानकारी मिल सकती है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 5, 2020, 3:35 PM IST
क्षुद्रग्रहों (Asteroid) का हमारे खगोलविदों और वैज्ञानिकों के लिए उतना है महत्व है जितना किसी ग्रह, तारे या अन्य खगोलीय पिंड का. यूं तो दुनिया में ज्यादातक शोधों का ध्यान चंद्रमा (Mooon) और मंगल ग्रह (Mars) पर ही है, लेकिन क्षुद्रग्रहों पर भी खासी पड़ताल चल रही है. हाल ही में जापान का हायाबुसा2 यान (Hayabusa2 Probe) छह साल बाद अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आ रहा है, और यह रेगयु क्षुद्रग्रह के नमूने अपने साथ ला रहा है और यह रविवार को पृथ्वी तक पहुंचेगा.
वापसी भी होगी हायाबुसा2 की
हायाबुसा2 क्षुद्रग्रह के नमूने गिराने के बाद वापस अपने मिशन पर चला जाएगा. यह यान केवल एक फ्रिज का आकार का है जिसे दिसंबर 2014 में प्रक्षेपित किया गया . जब यह पृथ्वी से 30 करोड़ किलोमीटर दूर एक क्षुद्रग्रह पर उसके नमूने जमा करने के लिए उतरा था. उस समय वैज्ञानिकों में बहुत उत्साह था.
और लंबा चलेगा ये मिशनइसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है. अब जाक्सा के वैज्ञानिक इस अभियान को एक दशक से अधिक लंबा करने की योजना बना रहे हैं. इतना ही नहीं इस बार उनका लक्ष्य दो नए क्षुद्रग्रह हैं. लेकिन इस मिशन से पहले हायाबुसा2 को रायगु क्षुद्रग्रह से नमूने पृथ्वी पर गिराने हैं
सौरमंडल के बारे में जानकारी
रियगु एक जापानी नाम है जिसका मतलब ड्रैगन का महल होता है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि0.1 ग्राम के पदार्थ वाले कैप्सूल से हमारे सौरमंडल के उत्पत्ति के बारे में जानकारी हो सकती है जो करीब 4.6 अरब साल पहले पैदा हुआ था. इस प्रजोक्ट के मैनेजर युईची सूडा ने संवाददाताओं को बताया कि इस नमूने से इस बारे में जानकारी मिल सकेगी कि सौरमंडल में पदार्थ का वितरण कैसे हुआ, क्षुद्रग्रह क्यों होते हैं और इनका पृथ्वी से क्या संबंध हैं.
क्या होगा इन नमूनों का
कैप्सूल के अंतर सूर्य के प्रकाश और विकिरण से सुरक्षित ये नमूने जमा कर जापान भेजे जाएंगे. इन नमूनों का आधा हिस्सा जाक्सा, नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन साझा करेंगे जबकि बाकि हिस्से को उन्नत तकनीकों से विश्लेषणात्मक अध्ययन के लिए सहेजा जाएगा.
जानिए कितनी कीमत में चांद की धूल को खरीदना चाहता है नासा
अब हायाबुसा2 छह साल तक सूर्य का चक्क रलगाते हुए ग्रहों के बीच के धूल के आंकड़े जमा करेगा. इसके बाद जुलाई 2026 में वह क्षुद्रग्रहों का लक्ष्य बनाते हुए 2001CC21 क्षुद्रग्रह के समीप जाएगा और फिर 2031 में केवल 30 मीटर बड़े 1998KY26 क्षुद्रग्रह की ओर जाएगा.
वापसी भी होगी हायाबुसा2 की
हायाबुसा2 क्षुद्रग्रह के नमूने गिराने के बाद वापस अपने मिशन पर चला जाएगा. यह यान केवल एक फ्रिज का आकार का है जिसे दिसंबर 2014 में प्रक्षेपित किया गया . जब यह पृथ्वी से 30 करोड़ किलोमीटर दूर एक क्षुद्रग्रह पर उसके नमूने जमा करने के लिए उतरा था. उस समय वैज्ञानिकों में बहुत उत्साह था.
और लंबा चलेगा ये मिशनइसका काम अभी पूरा नहीं हुआ है. अब जाक्सा के वैज्ञानिक इस अभियान को एक दशक से अधिक लंबा करने की योजना बना रहे हैं. इतना ही नहीं इस बार उनका लक्ष्य दो नए क्षुद्रग्रह हैं. लेकिन इस मिशन से पहले हायाबुसा2 को रायगु क्षुद्रग्रह से नमूने पृथ्वी पर गिराने हैं
सौरमंडल के बारे में जानकारी
रियगु एक जापानी नाम है जिसका मतलब ड्रैगन का महल होता है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि0.1 ग्राम के पदार्थ वाले कैप्सूल से हमारे सौरमंडल के उत्पत्ति के बारे में जानकारी हो सकती है जो करीब 4.6 अरब साल पहले पैदा हुआ था. इस प्रजोक्ट के मैनेजर युईची सूडा ने संवाददाताओं को बताया कि इस नमूने से इस बारे में जानकारी मिल सकेगी कि सौरमंडल में पदार्थ का वितरण कैसे हुआ, क्षुद्रग्रह क्यों होते हैं और इनका पृथ्वी से क्या संबंध हैं.
कैसे आएंगे नमूने धरती परनमूने वाला कैप्सूल हायाबुसा2 से दो लाख बीस हजार किलोमीटर की ऊंचाई से अलग होगा और वह ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी रेगिस्तान में गिरेगा. नमूने गिराने के बाद हायाबुसा2 अंतरिक्ष में वापस अपने नए मिशन के लिए चला जाएगा. इन नमूनों को पिछले साल मिशन के दो नाजुक चरणों में जमा किया गया था.मंगल की सतह के मीलों नीचे लंबे समय तक रहा होगा जीवन- शोधयह मिल सकती है जानकारीपहले चरण में हायाबुसा ने रियगु की सतह से धूल जमा करने से पहले इम्पैक्टर चलाया जिससे सतह के नीचे का पदार्थ जमा किया जा सके. महीनों के बाद अतिरिक्त नमूनों को जमा करने के लिए वह सतह पर उतरा. इस मिशन के मैनेजर मोकोतो योशीकावा ने बताया कि वैज्ञानिकों को ऐसे पदार्थ मिल सकते हैं जो ग्रहों की उत्पत्ति से लेकर जीवन की भी उत्पत्ति के बारे में जानकारी दे सकते हैं.[Capsule Separation Operation] More views from the control room today. The top right photo shows the image when the Gate Check is confirmed, and the next photo will show the screen before we are GO... pic.twitter.com/uUaVTnj7qp
— HAYABUSA2@JAXA (@haya2e_jaxa) December 5, 2020
Weather forecast for @haya2e_jaxa capsule return: Stratocumulus will move up from the south, reaching us around midnight. For the landing approx 3:58am SA, dry conditions, scattered cloud. Surface winds are forecast to be southwesterly 20-30 km/h, with temp 14°C.@BOM_SA pic.twitter.com/CpYrvoB7Hy
— Australian Space Agency (@AusSpaceAgency) December 5, 2020
क्या होगा इन नमूनों का
कैप्सूल के अंतर सूर्य के प्रकाश और विकिरण से सुरक्षित ये नमूने जमा कर जापान भेजे जाएंगे. इन नमूनों का आधा हिस्सा जाक्सा, नासा और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन साझा करेंगे जबकि बाकि हिस्से को उन्नत तकनीकों से विश्लेषणात्मक अध्ययन के लिए सहेजा जाएगा.
जानिए कितनी कीमत में चांद की धूल को खरीदना चाहता है नासा
अब हायाबुसा2 छह साल तक सूर्य का चक्क रलगाते हुए ग्रहों के बीच के धूल के आंकड़े जमा करेगा. इसके बाद जुलाई 2026 में वह क्षुद्रग्रहों का लक्ष्य बनाते हुए 2001CC21 क्षुद्रग्रह के समीप जाएगा और फिर 2031 में केवल 30 मीटर बड़े 1998KY26 क्षुद्रग्रह की ओर जाएगा.