जापान किससे डरा है, जो धड़ाधड़ बढ़ा रहा है अपना सैन्य बजट?

जापान में सेना का बजट लगातार 9 सालों से बढ़ रहा है- सांकेतिक फोटो
जापान (Japan) के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा (Yoshihide Suga) ने आते ही आने वाले साल का सैन्य बजट (defense budget) बढ़ा दिया. माना जा रहा है कि जापान ने सेना के मामले में भारत को पीछे छोड़ दिया है. जानिए, क्या है सच.
- News18Hindi
- Last Updated: December 28, 2020, 2:31 PM IST
जापान की कैबिनेट ने साल 2021-22 का सैन्य बजट बढ़ाते हुए उसे 51.7 बिलियन डॉलर कर दिया. जापान में सेना का बजट लगातार 9 सालों से बढ़ रहा है. साथ ही वो अत्याधनिक हथियारों की खरीदी में भी इसका बड़ा हिस्सा लगा रहा है. जापान के इस कदम पर रक्षा विशेषज्ञ कई कयास लगा रहे हैं. ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या जापान भारत को हटाते हुए दुनिया में तीसरा सबसे बड़े मिलिट्री बजट वाला देश बन चुका.
स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) देशों के रक्षा इंतजामों पर नजर रखता और रिसर्च करता है. साल 2019 में इसका डाटा बताता है कि भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर का देश है, जो सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करता है. इसके बाद जापान और फिर दक्षिण कोरिया का नंबर रहा.
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अब पॉजिशन बदलती दिख रही है. यूरेशियन टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक लोवी इंस्टीट्यूट ( Lowy Institute) ने हाल में रिसर्च की, जो इस क्रम को बदलती दिख रही है. इसमें अमेरिका और चीन के बाद जापान आ चुका है, जिसके बाद चौथे नंबर पर भारत है. डिफेंस बजट में कुछ स्कोर दिए गए. इसमें अमेरिका को 81.6, चीन को 76.1, जापान को 41.0 और भारत को 39.7 स्कोर मिले.
वैसे खुद भारतीय रक्षा विभाग के आंकड़े कुछ और बताते हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक साल 2019-20 में देश ने सेना पर लगभग 448,820 करोड़ रुपए (59.4 बिलियन डॉलर) खर्च किए. ये बजट हमें तीसरे या चौथे नहीं, बल्कि पांचवे नंबर पर खड़ा करता है.
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जो भी हो, ये दूसरे विकसित देशों के मुकाबले ये अच्छी-खासी बड़ी रकम है, जो हमें एशिया में भी काफी ताकतवर बनाती है. वैसे अगर ये देखा जाए कि देश सेना में लग रहे पैसों का कितना हिस्सा, कहां खर्च करता है, तो कई दिलचस्प बातें दिखती हैं. इसमें सबसे अहम बात निकलकर आती है कि देश अपने प्रति सैनिक पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च रहा है. इतने पैसे अमेरिका या चीन भी नहीं खर्च कर रहे.
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भारत में प्रति सैनिक खर्च की तुलना अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और पाकिस्तान से की गई. इसमें दिखता है कि हमारे यहां कुल रक्षा बजट में से लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों पर लगाया जा रहा है. अमेरिका में ये 38 प्रतिशत है, जबकि चीन और ब्रिटेन में केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही सैनिकों की तनख्वाह और पेंशन पर जा रहा है. एक और अलग बात ये दिखती है कि सैनिकों पर खर्च के मामले में पाकिस्तान 40 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है.

चूंकि भारत अपने कुल रक्षा बजट का सबसे बड़ा हिस्सा सैनिकों की सैलरी और पेंशन पर लगा देता है इसलिए उसके पास दूसरे मदों में लगाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचते. यही वजह है कि रक्षा उपकरणों की खरीदी पर सबसे कम पैसे खर्च हो रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत अपने कुल बजट का 25 प्रतिशत सैन्य उपकरणों के निर्माण और खरीदी पर लगा रहा है. ब्रिटेन 42 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है. जबकि चीन 41 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है, जो अत्याधुनिक हथियारों पर खर्च कर रहा है.
भारत के पास भी अगले 15 सालों के लिए Long Term Integrated Perspective Plan (LTIPP) रहता है लेकिन इसे उन्नत नहीं किया जा रहा क्योंकि हमारे यहां सैनिकों की भर्ती और तनख्वाह पर ज्यादा खर्च हो रहा है, बजाए हथियारों की खरीदी के.
दूसरी ओर जापान की बात करें, तो ये 9वां साल है, जब इस देश ने सेना के बजट में बढ़ोत्तरी की. माना जा रहा है कि ये बढ़त चीन के आक्रामक रवैये के चलते हुई. हालांकि अत्याधुनिक हथियारों की खरीदी के बाद जापान की बड़ी समस्या ये है कि उसके पास सैन्य भर्ती के लिए सही उम्र के लोग नहीं. बता दें कि जापान इस समय बुजुर्गों का देश बन चुका है, जहां परिवार छोटा रखने या संतान न करने के चलते देश में युवा आबादी लगातार कम हुई. अब जापान के पास हथियार तो हैं लेकिन भर्ती के लिए युवा सैनिक नहीं.

अब अगर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात करें तो वहां की सेना के हाल ही निराले हैं. ये सेना कॉर्पोरेट सेना है, जो मिलिट्री एक्सरसाइज से ज्यादा कारोबार में मन लगाती है. कम से कम ट्रेंड्स तो यही बताते हैं. पाकिस्तान की सेना के पास इतनी संपत्ति है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है.
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क्वार्ट्ज.कॉम के अनुसार ये आर्मी साल 2016 में ही 50 से ज्यादा व्यापारिक संस्थानों की मालिक बन चुकी थी, जिसकी कीमत 20 बिलियन डॉलर से भी कहीं ज्यादा थी. ये कीमत अब और ऊपर जा चुकी है. पेट्रोल पंप, इंडस्ट्रिअल प्लांट, बैंक, स्कूल-यूनिवर्सिटी, दूध से जुड़े उद्योग, सीमेंट प्लांट और यहां तक कि सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली बेकरीज भी सेना के हिस्से हैं. देश के आठ बड़े शहरों में हाउसिंग प्रॉपर्टी में भी सेना का सबसे बड़ा शेयर है.
स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) देशों के रक्षा इंतजामों पर नजर रखता और रिसर्च करता है. साल 2019 में इसका डाटा बताता है कि भारत अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरे नंबर का देश है, जो सेना पर सबसे ज्यादा खर्च करता है. इसके बाद जापान और फिर दक्षिण कोरिया का नंबर रहा.
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अब पॉजिशन बदलती दिख रही है. यूरेशियन टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक लोवी इंस्टीट्यूट ( Lowy Institute) ने हाल में रिसर्च की, जो इस क्रम को बदलती दिख रही है. इसमें अमेरिका और चीन के बाद जापान आ चुका है, जिसके बाद चौथे नंबर पर भारत है. डिफेंस बजट में कुछ स्कोर दिए गए. इसमें अमेरिका को 81.6, चीन को 76.1, जापान को 41.0 और भारत को 39.7 स्कोर मिले.

जापान के पास हथियार तो हैं लेकिन भर्ती के लिए युवा सैनिक नहीं- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
वैसे खुद भारतीय रक्षा विभाग के आंकड़े कुछ और बताते हैं. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक साल 2019-20 में देश ने सेना पर लगभग 448,820 करोड़ रुपए (59.4 बिलियन डॉलर) खर्च किए. ये बजट हमें तीसरे या चौथे नहीं, बल्कि पांचवे नंबर पर खड़ा करता है.
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जो भी हो, ये दूसरे विकसित देशों के मुकाबले ये अच्छी-खासी बड़ी रकम है, जो हमें एशिया में भी काफी ताकतवर बनाती है. वैसे अगर ये देखा जाए कि देश सेना में लग रहे पैसों का कितना हिस्सा, कहां खर्च करता है, तो कई दिलचस्प बातें दिखती हैं. इसमें सबसे अहम बात निकलकर आती है कि देश अपने प्रति सैनिक पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च रहा है. इतने पैसे अमेरिका या चीन भी नहीं खर्च कर रहे.
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भारत में प्रति सैनिक खर्च की तुलना अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और पाकिस्तान से की गई. इसमें दिखता है कि हमारे यहां कुल रक्षा बजट में से लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों पर लगाया जा रहा है. अमेरिका में ये 38 प्रतिशत है, जबकि चीन और ब्रिटेन में केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही सैनिकों की तनख्वाह और पेंशन पर जा रहा है. एक और अलग बात ये दिखती है कि सैनिकों पर खर्च के मामले में पाकिस्तान 40 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है.

भारत में कुल रक्षा बजट में से लगभग 59 प्रतिशत हिस्सा सैनिकों पर लगाया जा रहा है (Photo- news18 English)
चूंकि भारत अपने कुल रक्षा बजट का सबसे बड़ा हिस्सा सैनिकों की सैलरी और पेंशन पर लगा देता है इसलिए उसके पास दूसरे मदों में लगाने के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचते. यही वजह है कि रक्षा उपकरणों की खरीदी पर सबसे कम पैसे खर्च हो रहे हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत अपने कुल बजट का 25 प्रतिशत सैन्य उपकरणों के निर्माण और खरीदी पर लगा रहा है. ब्रिटेन 42 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है. जबकि चीन 41 प्रतिशत के साथ दूसरे नंबर पर है, जो अत्याधुनिक हथियारों पर खर्च कर रहा है.
भारत के पास भी अगले 15 सालों के लिए Long Term Integrated Perspective Plan (LTIPP) रहता है लेकिन इसे उन्नत नहीं किया जा रहा क्योंकि हमारे यहां सैनिकों की भर्ती और तनख्वाह पर ज्यादा खर्च हो रहा है, बजाए हथियारों की खरीदी के.
दूसरी ओर जापान की बात करें, तो ये 9वां साल है, जब इस देश ने सेना के बजट में बढ़ोत्तरी की. माना जा रहा है कि ये बढ़त चीन के आक्रामक रवैये के चलते हुई. हालांकि अत्याधुनिक हथियारों की खरीदी के बाद जापान की बड़ी समस्या ये है कि उसके पास सैन्य भर्ती के लिए सही उम्र के लोग नहीं. बता दें कि जापान इस समय बुजुर्गों का देश बन चुका है, जहां परिवार छोटा रखने या संतान न करने के चलते देश में युवा आबादी लगातार कम हुई. अब जापान के पास हथियार तो हैं लेकिन भर्ती के लिए युवा सैनिक नहीं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Photo- flickr)
अब अगर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की बात करें तो वहां की सेना के हाल ही निराले हैं. ये सेना कॉर्पोरेट सेना है, जो मिलिट्री एक्सरसाइज से ज्यादा कारोबार में मन लगाती है. कम से कम ट्रेंड्स तो यही बताते हैं. पाकिस्तान की सेना के पास इतनी संपत्ति है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है.
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क्वार्ट्ज.कॉम के अनुसार ये आर्मी साल 2016 में ही 50 से ज्यादा व्यापारिक संस्थानों की मालिक बन चुकी थी, जिसकी कीमत 20 बिलियन डॉलर से भी कहीं ज्यादा थी. ये कीमत अब और ऊपर जा चुकी है. पेट्रोल पंप, इंडस्ट्रिअल प्लांट, बैंक, स्कूल-यूनिवर्सिटी, दूध से जुड़े उद्योग, सीमेंट प्लांट और यहां तक कि सबसे ज्यादा मुनाफा देने वाली बेकरीज भी सेना के हिस्से हैं. देश के आठ बड़े शहरों में हाउसिंग प्रॉपर्टी में भी सेना का सबसे बड़ा शेयर है.