जापान (Japan) दुनिया में सबसे तेजी से कम हो रही आबादी वाले शीर्ष 10 देशों में से एक है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ( Japanese Prime minister Fumio Kishida) ने हाल ही में संकल्प लिया है कि वे जापान के गिरती जन्मदर (Declining birth Rate in Japan) बढ़ाने के लिए वे आपात कदम उठाएंगे. जापान उन शीर्ष 10 देशों में शामिल है जिनकी जनसंख्या की रफ्तार कम होने की दर सबसे कम (Fastest declining Population of World) है और जहां दुनिया के बाकी शीर्ष 20 देशों में इसकी प्रमुख वजह विस्थापन है, जापान ऐसा देश है जहां विस्थापन नहीं बल्कि गिरती जन्मदर समस्या है. इससे बच्चे पैदा होने की संख्या की जो उम्मीद 8 साल बाद की जा रही थी वह कम संख्या पिछले साल ही पहुंच गई.
अभी नहीं तो कभी नहीं
जापान के प्रधानमंत्री का कहना है कि हालात “अभी नहीं तो कभी नहीं” जैसे हो गए हैं, नहीं तो दुनिया की सबसे पुराने समाजों में एक को बचाना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. ऐसा नहीं है कि जापान अपने देशे के लोगों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहा है, बल्कि वहां तो पहले ही ज्यादा बच्चे पैदा करने पर नकद बोनस और अन्य लाभ की सुविधाएं दी जा रही हैं.
कम जन्म दर का रिकॉर्ड
जापान में एक और समस्या है जिसकी वहां की जन्मदर कम रखने में एक बड़ी भूमिका है. लेकिन तमाम सर्वे के मुताबिक जापान अब भी बच्चों को पालने के मामले में दुनिया के सबसे महंगे देशों में से एक है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल ही जापान में कम जन्म दर का नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया था.
पैदा होने वाले बच्चों की संख्या
पिछले साल जापान मे पैदा होने वाले बच्चों की संख्या पहली बार 8 लाख के नीचे पहुंच गई थी जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह 8 साल पहले ही आ गई है. जापान के मोनाको शहर- राज्य में मध्य आयु 49 जो दुनिया में सबसे ज्यादा है. यानि वहां की आधी आबादी 49 से कम और आधी उससे ज्यादा है.
बढ़ते बुजुर्ग और घटता कार्यबल
जापान में एक समस्या यह भी हो गई है कि वहां गिरती जन्मदर के कारण बुजुर्गों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ गई है. इससे ना केवल वहां की जनसंख्या गिरती जा रही है बल्कि वहां का कार्यबल भी कम होता जा रहा है जो आगे जाकर बड़ी समस्या हो सकता है. किशिदा का कहना है कि जापान में हालात यह हो गए हैं कि क्या वहां सामाजिक कार्य कायम रखे जा सकते हैं या नहीं.
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आपात स्थिति क्यों
जापानी संसद में इस साल के अपने शुरुआती संबोधन में किशिदा ने जनसंख्या नीति के बारे में बात करते हुए कहा कि अभी नहीं तो कभी नहीं की स्थिति तब आई है जब जन्म और बच्चों को पालने संबंधित नीतियां एक बड़ा मुद्दा बन चुकी हैं और इस मामले में और इंतजार नहीं किया जा सकता है.
क्या उठाए जाएंगे कदम
किशिदा ने बताया अब नई नीति के तहत वे जून तक ऐसी योजनाएं पेश करेंगे जिससे बच्चों से संबंधित बजट दोगुना कर दिया जाएगा और नए बच्चों और परिवारों पर निगरानी रखने के लिए सरकारी एजेंसी का गठन अप्रैल तक कर दिया जाएगा. जापान अभी बच्चों की परवरिश के लिहाज से चीन और दक्षिण कोरिया के बाद दुनिया का सबसे महंगा देश है.
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यूवा जनसंख्या शोध के मुताबिकजापान, चीन और दक्षिण कोरिया तीनों देशों में जनसंख्या गिरती जा रही है और यह दुनिया की आर्थिक स्थिति के लिए एक चिंताजनक विषय है. इसके अलावा दूसरे कई और देश भी घटती और बूढ़ी होती आबादी की समस्या से जूझ रहे हैं. चीन ने तो हाल ही में जानकारी दी है कि साल 2022 में उसकी जनसंख्या पिछले 60 साल में पहली बार कम हुई है. वहीं पूर्वी यूरोप के कई देश भी तेजी से कम होती आबादी से परेशान हैं, लेकिन वहां विस्थापन एक बड़ा मुद्दा है.
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