जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata) का बचपन से उड़ने का सपना था. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (Jehangir Ratanji Dadabhoy Tata) भारतीय उद्योग ही नहीं बल्कि आधुनिक भारतीय इतिहास में भी एक सम्मानीय नाम है. जेआरडी टाटा अपने आदर्श के लिए पहचाने जाने वाले टाटा समूह (Tata Group) के लंबे समय तक चेयरमैन रहे और समूह को अपने अथक प्रयासों से नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. वे प्रसिद्ध उद्योगपति रतनजी दादाभाई टाटा के पुत्र थे. उन्हें भारत में कई उद्योगों कि शुरुआत करने के लिए जाना जाता है. वे भारत के पहले लाइसेंसधारी पायलट थे. भारत के पहले ऐसे उद्योगपति थे जिन्हें भारत रत्न मिला था. 29 नवंबर को भारतीय विमानन के जनक कहे जाने जेआरडी टाटा की पुण्यतिथि (JRD Tata Death Anniversary) है.
जमशेदजी टाटा से भी था रिश्ता
जेआरडी टाटा का जन्म 29 जुलाई 1904 में पेरिस में हुआ था. वे अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा और मा सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे. उनके पिता रतनजी टाटा, मशहूर उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे. उनका अधिकांश बचपन फ्रांस में ही बीता.बाद में मुंबई आकर उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई की. मुंबई केकैथेडरल और जॉन कोनोन स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
बचपन में पाल लिया था सपना
जेआरडी को बचपन से ही हवाई जहाज से बहुत लगाव था. 15 साल की उम्र में जब पहली बार हवाई जहाज में बैठे, उन्होंने तभी तय कर लिया था कि वे उड्डयन में ही अपना भविष्य बनाएंगे. उनकी लगन ही थी कि उन्होंने 24 साल की उम्र में ही कमर्शियल पायलट का लायसेंस मिल गया और ऐसा करने वाले वे पहले व्यक्ति थे.
टाटा एयरलाइंस से एयर इंडिया
आरजेडी ने साल 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी जो बाद में एयर इंडियाके नाम से मशहूर हुई. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान ही एयर इंडिया को बुलंदियों तक पहुंचाने का काम किया जिससे उसकी सेवाएं बहुत मशहूर हुईं. लेकिन उनका विमान उड़ाने का शौक भी कायम रहा.
खुद भी उड़ाते रहे विमान
1930 में जेआरडी ने आगा खान प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारत से इंग्लैंड तक अकेले सफर किया था. इसके अलावा उन्होंने खुद करांची से बंबई की उडान भरी थी. उसके पचास साल बाद 78 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी एकल उद्घाटन उड़ान को फिर दुहराया ताकि युवा पीढ़ी में साहस की भावना का संचार हो सके.
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खुद की कर लिया करते थे कुछ काम
जेआरडी को टाटा एयरलाइंस यानि एयर इंडिया से विशेष लगाव था. वे खुद कई बार सफर के दौरान औचक निरीक्षण कर टॉयलेट पेपर की जांच करते थे एक बार उनकेसाथ भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर एलके झा सफर कर रहे थे, तब उन्होंने पाया कि टॉयलेट में पेपर ठीक से नहीं लगा है. तो उन्होंने खुद पेपर ठीक से लगाने का काम किया.
टाटा समूह की शानदार तरक्की
जेआरडी को अपने परिवारका व्यवसाय संभालने के लिए 1924 को ही मुंबई में बुलाया गया, जहां उन्होंने बाम्बे हाउस में टाटा स्टील के प्रभावरी निदेशक जॉन पीटरसन अधीन कार्य शुरू किया. इसके दो साल के बाद ही वे टाटा सन्स के निदेशक बने और 1991 तक चैयरमैन बने रहे. उन्होंने टाटा समूह को 14 कंपनियों से 90 कंपनियों का मालिक बना दिया.
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जेआरडी को 1955 में भारत सरकार ने उनके योगदाने के लिए उन्हें पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा. 1992 में उन्हें भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मिला. उनकी 29 नवंबर 1993 को स्विट्जरलैंड में गुर्दे में संक्रमण के कारण 89 वर्ष की आयु में मौत हो गई और उनकी मृत्यु के बाद भारत की संसद ने अपनी कार्यवाही स्थगित कर दी थी. इस तरह का सम्मान उन लोगों को नहीं मिलता जो संसद सदस्य नहीं होते हैं. उन्हें पेरिस के कब्रिस्तान में दफनाया गया था.
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