दो तारों के टकराने और विलय से होने वाला विस्फोट किलोनोवा होता है. (फोटो साभार :ESO)
Supernova Vs Kilonova: अंतरिक्ष में हर दिन सैकड़ों आकाशीय घटनाएं होती रहती हैं. इनमें से हमारे अंतरिक्ष विज्ञानी और खगोलशास्त्री कुछ ही घटनाओं को टेलीस्कोप या दूसरे तकनीकी माध्यमों के जरिये देख पाते हैं. ऐसी ही एक अदभुत घटना को खगोलविदों ने पहली बार देखा है. उनका कहना है कि न्यूट्रॉन सितारों का विलय होने पर विस्फोट से पहले ही घटना को चिह्नित कर लिया गया है. ऐसी घटना 10 अरब में एक बार ही होती है. इसे पहले ही पहचान लिया गया है, इसलिए इसे kilonova-in-waiting कहा जा रहा है. इसने खगोलशास्त्र की धारणाओं को पूरी तरह से बदल दिया है.
धरती से 11.400 प्रकाशवर्ष दूर एक न्यूट्रॉन तारा अपने जैसे दूसरे विशाल न्यूट्रॉन तारे से टकराने को तैयार है. जब दो न्यूट्रॉन तारों में टकराव होगा तो जबरदस्त विस्फोट होगा. इससे हजारों प्रकाशवर्ष आकाशगंगा में कीमती धातुएं फैल जाएंगी. इस घटना को किलोनोवा कहा जाता है. इस तरह से ब्रह्मांड का श्रृंगार बहुत ही दुर्लभ घटनाओं पर निर्भर करता है. आकाशगंगा में मिल्की-वे के बराबर बड़ा सुपरनोवा सदियों में एक बार ही होता है. किलोनोवा और विशाल सुपरनोवा जैसी घटनाओं से ही भविष्य के ग्रहों के लिए कीमती धातुओं का निर्माण होता है.
किलोनोवा से पैदा होती हैं दुर्लभ धातुएं
न्यूट्रॉन तारों के बीच टकराव की घटना की पूर्व पहचान 2017 में की गई थी. इसने हमें खगोलीय इतिहास की सबसे अहम घटना को लेकर सचेत किया था. ग्रहों पर दुर्लभ धातुओं के लिए आकाशगंगा में किलोनावा जैसी घटनाएं ही जिम्मेदार और जरूरी होती हैं. न्यूट्रॉन तारे सूर्य के द्रव्यमान के 10-25 गुना ज्यादा द्रव्यमान वाले तारों के सुपरनोवा से बनते हैं. हालांकि, इनमें से हजारों मिल्की-वे में मौजूद हैं. फिर भी इनमें से कोई दो शायद ही कभी एकदूसरे की परिक्रमा करते हैं. ऐसे में चिली में मौजूद SMARTS 1.5-मीटर टेलीस्कोप के जरिये पहली बार किलोनोवा से पहले ही इस घटना को चिह्नित करना बड़ी खोज है.
कैसे न्यूट्रॉन तारे आपस में टकराते हैं
नेचर मैग्जीन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, खगोलविदों ने कहा है कि कई बार कई न्यूट्रॉन तारे एक ही कक्षा में होते हैं, लेकिन कभी किलोनोवा नहीं बनाते हैं. इस CPD-29 2176 सिस्टम को लेकर नासा की नील गेहर्ल्स स्विफ्ट ऑब्जर्वेटरी ने पहली बार तब उम्मीद जताई थी, जब 2019 में उसने एक मैग्नेटार जैसा धमाका देखा था. इसके बाद SMARTS का इस्तेमाल कर देखा गया कि एक न्यूट्रॉन तारा अपने ही जैसे विशालकाय तारे की कक्षा में चक्कर लगा रहा है. अजीब बात ये है कि मुख्य तारा एकदम सही द्रव्यमान का है. ये धीरे-धीरे न्यूट्रॉन तारा बनकर दूसरे से टकरा जाएगा.
आकाशगंगा में कब होगा किलोनोवा
हालांकि, ये घटना हाल-फिलहाल नहीं होने वाली है. पहले मुख्य धीरे-धीरे दोनों की कक्षाओं को एक होना होगा. धीरे-धीरे दोनों की गुरुत्वीय तरंगे कमजोर पड़ती जाएंगी और फिर दोनों मिलकर विस्फोट करेंगे. किलोनोवा के दुर्लभतम होने की एक और वजह भी है कि बहुत कम तारे ही न्यूट्रॉन तारा बनने के लिए सही आकार ले पाते हैं. वहीं, अगर किसी सुपरनोवा विस्फोट में आसपास के तारे इतनी तेजी से आकाशगंगा में भागना शुरू हो जाते हैं कि किसी तरह का टकराव नहीं हो पाता है. हालांकि, अल्ट्रा-स्ट्राइप्ड सुपरनोवा में कम विस्फोटक क्षमता होती है. इससे दो तारों को एक ही कक्षा में टिके रहने का मौका मिल जाता है.
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