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ठीक 100 साल पहले इस 'साइक्‍लोन' ने प्‍लेग महामारी को खत्‍म करने में की थी बड़ी मदद

प्‍लेग ने बॉम्‍बे में 1896 में भयंकर तबाही मचाई थी. इसके फैलने के 6 महीने के भीतर 50 फीसदी प्रवासी श्रमिकों ने शहर को छोड़ दिया था.

प्‍लेग ने बॉम्‍बे में 1896 में भयंकर तबाही मचाई थी. इसके फैलने के 6 महीने के भीतर 50 फीसदी प्रवासी श्रमिकों ने शहर को छोड़ दिया था.

प्‍लेग महामारी (Plague) ने 1896 में बॉम्‍बे शहर में भारी तबाही मचाई थी. उस समय 50 फीसदी प्रवासी श्रमिक शहर को छोड़कर अप ...अधिक पढ़ें

    कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के दौरान दुनिया को इससे पहले तबाही मचा चुकीं कई वैश्विक महामारियों (Pandemic) की याद आने लगी. विशेषज्ञों ने भी पुरानी महामारियों के हवाले से सुझाव दिए कि कोरोना वायरस (Coronavirus) से निपटने के लिए क्‍या किया जाए और किससे बचा जाए. इसी बीच बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में सुपर साइक्‍लोन अम्‍फान (Super Cyclone Amphan) ने भारी तबाही मचा दी.

    दुनिया में 100 पहले भी प्‍लेग महामारी फैलने के दौरान एक 'साइक्‍लोन' आया था. हालांकि, तब उस साइक्‍लोन ने प्‍लेग (Plague) जैसी वैश्विक महामारी को खत्‍म करने में मदद की थी. बता दें कि प्‍लेग 1894 में जहाजों के जरिये पूरी दुनिया में फैला और 1896 में बॉम्‍बे (अब मुंबई) पहुंच चुका था. तब इसने शहर में इतनी तबाही मचाई थी कि इसे बॉम्‍बे प्‍लेग (Bombay Plague) भी कहा जाने लगा था.

    प्‍लेग के दौरान 50 फीसदी प्रवासी श्रमिकों ने छोड़ दिया था बॉम्‍बे
    प्‍लेग फैलने के समय बॉम्‍बे की कुल आबादी के 70 फीसदी लोग प्रवासी श्रमिक थे. इनमें से 50 फीसदी लोग प्‍लेग फैलने के 6 महीने के भीतर बॉम्‍बे को छोड़कर अपने-अपने राज्‍यों को लौट गए थे. बता दें कि महामारी कानून भी बॉम्‍बे प्‍लेग के चलते 1897 में लागू किया गया था. इसे तीसरी प्‍लेग वैश्विक महामारी भी कहा जाता था. इसने लोगों को 14वीं शताब्‍दी में दुनियाभर में फैली ब्‍लैक डेथ (Black Death) महामारी की यादें ताजा करा दी थीं.

    जहाजों को प्‍लेग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए जिम्‍मेदार माना गया. वहीं, दुनियाभर के कई शहरों में चूहों को पकड़ने वाले लोगों को नौकरी पर रखा गया.


    हांगकांग (Hong Kong) में प्‍लेग 1894 में फैलना शुरू हुआ था. इसके बाद फ्रांस के पाश्‍चर इंस्‍टीट्यूट के एलेक्‍जेंडर यरसिन ने हांगकांग जाकर प्‍लेग के फैलने के कारणों की जांच की थी. उन्‍होंने ही प्‍लेग फैलाने वाले बैक्‍टीरिया को अलग किया था और चूहों (Rats) से इसकी शुरुआत होने का पता लगाया था. इसके बाद 1898 में उनके सहयोगी ने भारत आकर पता लगाया कि प्‍लेग चूहों से इंसानों में फैला है.

    जहाजों के जरिये एक से दूसरे देश तक पहुंच गई थी प्‍लेग महामारी
    सदियों तक लोग यही सोचते रहे कि प्‍लेग सिर्फ चूहों की वजह से ही फैल रहा है. इसी के चलते कई शहरों में चूहों को पकड़ने वाले लोगों को भी नौकरी पर रखा गया. वहीं, जहाजों को प्‍लेग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए जिम्‍मेदार माना गया. दरअसल, जहाजों में चूहों के लिए पर्याप्‍त जगह और खाने-पीने का सामान उपलब्‍ध रहता था. वे यात्रियों के लिए रखे गए खाने को खाते और उससे प्‍लेग यात्रियों में फैल जाता था. इससे ये यात्री विभिन्‍न देशों तक प्‍लेग को लेकर पहुंच गए.

    उस समय देशों के बीच ज्‍यादातर व्‍यापार जहाजों के जरिये ही होता था. ओडिशा बाइट्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन मालवाहक जहाजों (Cargo Ships) में मौजद चूहे सामान को संक्रमित कर देते थे. इसके बाद उस सामान को कई-कई दिन तक बंदरगाहों पर रखना पड़ता था. इससे उनकी कीमत में भी इजाफा हो जाता था. इससे वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था (Global Economy) पर भी बुरा असर पड़ा था.

    शुरुआत में सल्‍फर डाइऑक्‍साइड जलाकर धुंआ कर जहाजों को प्‍लेगमुक्‍त किया गया. हालांकि, ये बहुत धीमी प्रक्रिया थी.
    शुरुआत में सल्‍फर डाइऑक्‍साइड जलाने पर होने वाले धुएं से जहाजों को प्‍लेगमुक्‍त किया जाने लगा. हालांकि, ये बहुत धीमी प्रक्रिया थी.


    जर्मनी ने जहाजों को प्‍लेग मुक्‍त करने के लिए बनाई जायक्‍लोन गैस
    वैज्ञानिकों ने इस समस्‍या से निपटने के लिए शुरुआत में सल्‍फर डाइऑक्‍साइड जलाकर जहाजों में धुंआ किया (Fumigation) ताकि प्‍लेग को खत्‍म किया जा सके. हालांकि, ये बहुत धीमी प्रक्रिया थी. साथ ही हर यात्रा के बाद जहाज में इस प्रक्रिया को दोहराना पड़ता था. अब से ठीक 100 साल पहले जर्मनी की कंपनी डिजी (Degesch) ने 1920 में जायक्‍लोन बी (Zyklon B) गैस बनाकर जहाजों में प्‍लेग खत्‍म करने के काम में क्रांति ला दी.

    जर्मनी में साइक्‍लोन के लिए जायक्‍लोन शब्‍द का इस्‍तेमाल किया गया क्‍योंकि ये गैस सायनाइड (Cyanide) और क्‍लोरीन (Chlorine) के कंपाउंड से मिलकर बनी थी. जायक्‍लोन बी बहुत ही प्रभावी होने के कारण पूरी दुनिया में तूफान की तरह छा गया. इस गैस के बनने के बाद किसी भी जहाज को प्‍लेग मुक्‍त करने के लिए साल में सिर्फ दो बार गैस फैलाने की जरूरत पड़ती थी. साथ ही पहुंचने वाले सामान को बंदरगाहों पर क्‍वारंटीन करने की जरूरत भी खत्‍म हो गई थी. जायक्‍लोन ने दुनियाभर में प्‍लेग फैलने से रोकने में काफी मदद की थी.

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    Tags: Bombay, Coronavirus in India, Coronavirus pandemic, Cyclone amphan, Germany, Global pandemic, Migrant laborers, Mumbai

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