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कैसे हैं वो दमदार 'भाभा कवच', जिन्हें एके 47 से निकली गोली भी भेद नहीं पाती

भाभा कवच के लिए यह प्रतीक तस्वीर ट्विटर पर साझा हुई थी.

भाभा कवच के लिए यह प्रतीक तस्वीर ट्विटर पर साझा हुई थी.

इस साल फरवरी के महीने में BARC निदेशक एके मोहंती ने सीआईएसएफ (CISF) के डीजी राजेश रंजन को 55 भाभा कवच ट्रायल के लिए सौं ...अधिक पढ़ें

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    ऐसे समय में जब लद्दाख (Ladakh) में भारत और चीन (India-China Face-Off) की सेनाएं आमने सामने के हालात में हैं और कभी भी तनाव बढ़ सकता है, हमारे सैनिकों के लिए राहत की एक खबर आई है. हैदराबाद बेस्ड एक फर्म मिश्र धातु निगम लिमिटेड यानी मिधानी (Midhani) ने बुलेट प्रूफ वाहनों की सप्लाई के साथ ही एक अनूठे सैन्य कवच (Armour Jacket) का उत्पादन किया है, जिसे गोलियां नहीं भेद सकेंगी. यह कवच सुरक्षा के लिहाज़ से न केवल अंतर्राष्ट्रीय स्टैंडर्ड को मैच करता है बल्कि इसे अपग्रेड किए जाने की भी गुंजाइशें बनी हुई हैं.

    जी हां, मिधानी ने साफ कहा है कि वो दुनिया भर में विकसित हो रहे हथियारों पर निगरानी रखकर लगातार इस कवच को और मज़बूत और अभेद्य बनाने के लिए अपग्रेडेशन करने को तत्पर है. साथ ही, ऐसे कवच बड़ी संख्या में सप्लाई किए जाने की भी बात कही गई है. ​जानिए कि इस कवच में कितनी खूबियां हैं और यह कैसे हमारे सैनिकों के लिए कारगर साबित होता है.

    कैसा है बुलेट प्रूफ 'भाभा कवच'?
    चूंकि यह कवच भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की तकनीक पर आधारित है, इसलिए इसका नाम 'भाभा कवच' रखा गया है. यह बुलेट प्रूफ जैकेट सामान्य ही नहीं, बल्कि एके47 से निकलीं गोलियों को भी रोकने में कारगर साबित होता, ऐसा दावा किया गया है. इस तरह की सैकड़ों जैकेट्स देश की पैरामिलिट्री फोर्सों की भेजी जा चुकी हैं.

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    कहा जा रहा है कि सेना और सशस्त्र बल भाभा कवच की खरीदी कर सकते हैं.


    और भी हैं भाभा कवच की खूबियां
    BARC के मुताबिक यह कवच सिर्फ 6.8 किलोग्राम का है, जो बैलेस्टिक प्रूफ जैकेट के लिहाज़ से काफी हल्का है. गुजरात में फॉरेंसिक साइन्स यूनिवर्सिटी में फायरिंग ट्रायल में यह जैकेट कारगर साबित हुई. पूरी तरह से देसी कवच में बोरोन कार्बाइड और कार्बन नैनोट्यूब तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. इस जैकेट में चार कड़क सुरक्षा प्लेटें लगाई गई हैं, जो सुरक्षा देती हैं और इसकी कार्बन कार्बन कोटिंग से भी इसे मज़बूती मिलती है.

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    काफी लचक वाले पॉलीथलीन की लेयर्स वाली इस जैकेट को इनसास और एसएलआर राइफलों की गोलियां नहीं भेद सकतीं. रक्षा के क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर होने के लिहाज़ से इस तरह की जैकेट के साथ ही, सिर की सुरक्षा के लिए पटका यानी बुलेट प्रूफ हेलमेट, रक्षक बुलेट प्रूफ जैकेट के साथ ही पूरी तरह कस्टमाइज़्ड आर्मर सिस्टम भी विकसित किया जा रहा है.

    सिर्फ कवच ही नहीं बल्कि और उपकरण भी
    बुलेट प्रूफ जैकेट्स उन पैमानों पर बनाई जा रही हैं, जो देश के गृह मंत्रालय ने तय किए हैं और BIS level-6 के अनुरूप हैं. मिधानी का कहना है कि यह सही समय है जब सिर्फ कवच के लिए ही नहीं बल्कि अभेद्य वाहनों के साथ ही सैनिकों के लिए उपयोगी अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों का निर्माण भी देश के भीतर ही ​किए जाने के लिए पूरा एक प्लांट हो.

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    कैसे हैं बुलेट प्रूफ वाहन?
    सुरक्षा बलों के लिए चुनौतीपूर्ण हालात से निपटने में कारगर वाहनों के बारे में खबरें कहती हैं कि मिधानी ने ऐसे बुलेटप्रूफ वाहन बनाए हैं, जिनके टायर में भी अगर गोली लग जाए, तो भी वो 100 किमी तक चल सकेंगे. इसे तकनीकी भाषा में रनफ्लैट टायर कहा जाता है. यह देश के पहले Isuzu बेस्ड युद्ध वाहन हैं, जो शस्त्रों के साथ सात बलों के लिए उपयुक्त हैं, तत्काल रिस्पॉंस में इस्तेमाल हो सकते हैं और घुसपैठ रोकने के लिए सैन्य या एस्कॉर्ट वाहन के तौर पर भी कारगर हो सकते हैं.

    भारत को रक्षा के ​क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की पहल के चलते मिधानी, जिस तरह जिरह बख्तर और रक्षा वाहनों का निर्माण कर रही है, रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि रक्षा मंत्रालय इसकी खरीदी कर सकता है.

    Tags: India China Border Tension, Indian Armed Forces, Security Forces

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