वॉट्सएप और सोशल मीडिया (Social Media) पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि रिलीफ फंड (Lockdown Fund) के तौर पर सरकार लोगों को 5 हज़ार रुपए की राशि मुहैया करवा रही है. इस मैसेज के साथ एक वेबसाइट का लिंक भी दिया जा रहा है और कहा जा रहा है कि इसे सीमित समय के भीतर पाया जा सकता है इसलिए आप तुरंत इस रकम के लिए दावा (Claim) करें. Corona Virus के चलते लॉकडाउन के बाद क्या वाकई सरकार सभी को इस तरह का कोई राहत फंड दे रही है? जानिए और परिचितों को भी बताएं कि इस मैसेज की सच्चाई क्या है.
दावा क्या है?
सरकार आपको 5 हज़ार रुपये की रकम दे रही है. इस वेबसाइट लिंक https://bit.ly/free---funds पर जाकर आप दावा पेश कर सकते हैं.
क्या दावा सही है?
नहीं, यह दावा सही नहीं है. कैसे? तकनीकी पहलुओं को समझकर विस्तार से जानिए.

सोशल मीडिया और वॉट्सएप पर इस तरह के दावे वाले मैसेजों की भरमार दिखी.
कैसे भ्रामक है यह वेबसाइट?
जिस वेबसाइट का लिंक आपको दिया जाता है, उस पर क्लिक करने के बाद आप इस वेबसाइट http://fund.ramaphosafoundations.com/ पर पहुंचते हैं. द लॉजिकल इंडियन ने फैक्ट चेक करते हुए लिखा है कि दिन भर इस वेबसाइट पर कई कोशिशें करने के बाद भी फ्रंट पेज का यह मैसेज नहीं बदला. इस पेज पर उल्लेख है कि '1936 लॉकडाउन पैकेज शेष हैं', यह आंकड़ा भी दिन भर नहीं बदला. न्यूज़18 ने इस मैसेज को देखा जो एक दिन बाद भी ऐसा ही दिखा.
क्या इस पेज पर और कुछ नहीं है?
इस पेज पर जैसे ही आप भारतीय होने की पुष्टि पर क्लिक करते हैं, तो आपसे पूछा जाता है कि आप कितनी राशि लॉकडाउन फंड के तौर पर चाहते हैं, 2000 या 5000 रुपए. इसके बाद सवाल आता है कि यह राशि आप कैसे खर्च करेंगे और विकल्प हैं, इंटरनेट, भोजन या कपड़े. इसे चुनते ही एक मैसेज आता है कि कम इस लिंक को आप कम से कम 7 वॉट्सएप समूहों पर शेयर करें. उसके बाद आप तक रकम पहुंचाने के लिए आपके बैंक खाते के डिटेल लिये जाएंगे.
एक और झोल!
इस मैसेज को विश्वसनीय दिखाने के लिए इस के नीचे कुछ लोगों के कमेंट्स शेयर किए गए हैं, जो बताते हैं कि उन्हें रकम मिल चुकी है. लेकिन ये वॉट्सएप नहीं बल्कि फेसबुक कमेंट से मिलते जुलते फॉर्मेट में दिखते हैं. दूसरी बात, ये कमेंट अपडेट नहीं हुए क्योंकि जब
लॉजिकल इंडियन ने इसकी तस्वीर छापी, उसके करीब 24 घंटे बाद चेक करने पर न्यूज़18 को भी यही कमेंट दिखाई दिए. और इतनी देर बाद भी उन्हीं कमेंट्स का पोस्टिंग टाइम 'जस्ट नाउ' लिखा था. साथ ही, लाइक्स और कमेंट की संख्या भी 24 घंटे बाद भी नहीं बदली.

फेक मैसेज में दिए गए लिंक से खुली वेबसाइट का पेज इस तरह दिखता है.
रामाफोसा फाउंडेशन क्या है?
ये जो वेबसाइट है इसके नाम में रामाफोसा फाउंडेशन लिखा है. वास्तव में, यह दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा की प्रमुखता वाली वहीं की एक फाउंडेशन है. और, इसका भी कोई प्रमाण नहीं है कि यह वेबसाइट इस फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट है या सरकार के किसी विभाग की. भारत में किसी सरकार की तो यह कतई नहीं है क्योंकि भारत में सरकारी वेबसाइट के पते या डोमेन के आखिर में gov.in या nic.in ही सामान्यतया होता है.
तो क्या नतीजा निकला?
भारत सरकार के किसी भी विभाग की वेबसाइट पर उससे संबंधित मंत्रायलय का नाम और राष्ट्रीय चिह्न होता है. इस वेबसाइट पर नहीं है. साफ ज़ाहिर है कि यह वेबसाइट फेक न्यूज़ फैलाने और लोगों को बेवकूफ बनाकर किसी किस्म की धोखाधड़ी के लिए बनाई गई है. खुद भी सावधान रहें और अपने शुभचिंतकों को भी ये जानकारी देकर सतर्क करें.
ये भी पढ़ें :
नॉलेज : देश में टिड्डी टेरर का दौर, जानिए टिड्डियों से जुड़े हर सवाल का जवाब
वैज्ञानिकों का दावा! रेगिस्तान बनने की तरफ है इज़रायलundefined
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Big Facts, Fake Message, Fake news, NewsCheck, Online fraud, Social media, Twitter, Whatsapp
FIRST PUBLISHED : May 26, 2020, 17:19 IST