Explained : कैसी है भारत की पहली स्वदेशी 9-mm मशीन पिस्टल 'अस्मि'?

अस्मि पकड़े हुए लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद बांसोड़.
डीआरडीओ (DRDO) की पुणे स्थित विंग ARDE और इन्फेंट्री स्कूल ने मिलकर देश की पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल रिकॉर्ड 4 महीनों के भीतर डेवलप कर यह साबित किया कि भारत आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र की तरफ किस रफ्तार से बढ़ रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 17, 2021, 9:14 AM IST
भारत तेज़ी से सेना की मज़बूती और रक्षा के क्षेत्र में (Defense Sector) आत्मनिर्भर होने की कवायद में जुटा हुआ है. इस दिशा में हाल में ही घरेलू और स्वदेशी फाइटर विमानों (Indigenous Fighter Jets) की खरीदी की खबरें अहम रहीं, तो एक और खास खबर यह है कि पहली बार भारत ने स्वदेशी 9मिमी की मशीन पिस्टल डेवलप कर ली है. इस खबर में अहम बात यह भी है कि भारत इसे सिर्फ अपनी सेना के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात (India can Export Machine Pistol) करने के बारे में भी सोच सकता है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान यानी डीआरडीओ की पुणे बेस्ड इकाई और भारतीय आर्मी के महू बेस्ड इन्फेंट्री स्कूल ने मिलकर यह कारनामा किया है कि भारत अपनी पहली अहम स्वदेशी मशीन पिस्टल बना सका. इस मशीन पिस्टल को 'अस्मि' नाम दिया गया है और बताया गया है कि इसके उत्पादन की लागत 50,000 रुपये से कम होगी और क्वालिटी के हिसाब से इसे एक्सपोर्ट करने की संभावना भी होगी.
ये भी पढ़ें :- समीरा फाज़िली के बाद अब बाइडन टीम में हैं ये अहम भारतीय महिलाएं
क्या होती है मशीन पिस्टल?
यह एक खास किस्म की पिस्तौल होती है, जिसमें सेल्फ लोडिंग क्षमता होती है. साथ ही यह पूरी तरह ऑटोमैटिक भी हो सकती है और एक साथ कई गोलियां फायर कर सकती है. इसे आप छोटी मशीन गन के तौर पर समझ सकते हैं. यानी वो मशीन गन, जिसे हाथ में लेकर चलाना मुमकिन होता है. सबमशीन गन के लिए मशीन पिस्टल शब्द वास्तव में जर्मनी से आया.
ये भी पढ़ें :- वो स्टेनोग्राफर, जो नहीं होता तो खो जाते स्वामी विवेकानंद के यादगार भाषण
ऑस्ट्रिया में पहली बार मशीन पिस्टल बनाई गई थीं और पहले विश्व युद्ध के समय जर्मन सेना में इन हथियारों ने खासी शोहरत हासिल की थी. मौजूदा समय में यह हथियार सीमित आवश्यकता या खास मकसद के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन सबसे बेहतरीन शूटर हथियारों में शुमार है.

कैसी है स्वदेशी 'अस्मि'?
भारत की यह मशीन पिस्टल 9 mm की गोलियां दागने के सक्षम है. खास बात यह है कि इस पिस्टल में लोअर रिसीवर तो कार्बन फाइबर का है लेकिन अपर रिसीवर के लिए विमानों की क्वालिटी वाले एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया गया है. अस्मि के कई पार्ट की डिज़ाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से तैयार की गई है. ट्रिगर में भी मेटल 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल हुआ है.
ये भी पढ़ें :- ट्रंप पर लागू हुआ महाभियोग, तो कितने करोड़ों की सुविधाएं छिनेंगी?
रक्षा मंत्रायल की तरफ से जारी किए गए बयान में बताया गया कि आमने सामने की लड़ाई हो, दुश्मन से बॉर्डर पर सीधी जंग हो या फिर आतंकवाद निरोधी अभियान हों, इन सबमें अस्मि मशीन पिस्टल की उपयोगिता बेहद अहम साबित होगी. यह भारी हथियारों के बीच में पर्सनल हथियार है, जो काफी मारक क्षमता रखता है. खबरों के मुताबिक मशीन पिस्तौल इजरायल की यूज़ी बंदूकों के क्लास की है. ये 100 मीटर की दूरी तक फायर करने में सक्षम है.
कहां इस्तेमाल होगी अस्मि?
गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत के अर्थ अपने भीतर संजोने वाले शब्द अस्मि के नाम की इस मशीन पिस्टल के इस्तेमाल के लिए मंत्रालय ने कहा है कि केंद्रीय और राज्य पुलिस की विभिन्न टीमों के लिए यह हथियार कारगर साबित हो सकता है. वीआईपी सुरक्षा दस्तों और पुलिस बलों को यह मुहैया कराया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें :- केबीसी किस्सा : जब अमिताभ ने मकान की नींव में रखी कलम
मंत्रालय के मुताबिक सशस्त्र बलों में विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर और साथ ही उग्रवाद तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में भी यह पिस्तौल दमदार साबित होगी. मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इस हथियार को चार महीने के रिकॉर्ड टाइम में विकसित किया गया है. इस मशीन पिस्टल की लागत चूंकि 50 हज़ार रुपयों से कम की होगी और क्वालिटी बहुत बेहतर इसलिए इसे एक्सपोर्ट भी किया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें :- वैक्सीन और हम : क्या और कैसे हैं टीके के खतरे और साइड इफैक्ट्स?
गौरतलब है कि अस्मि के डेवलपमेंट की खबर कार्बाइन के डेवलपमेंट के करीब एक महीने बाद आई, जिसे एआरडीई और ओएफबी ने मिलकर विकसित किया था. कार्बाइन आर्मी में इंडक्शन के लिए तैयार है तो क्या अस्मि की वजह से इस पर कोई असर पड़ेगा? बताया गया कि कार्बाइन का मकसद 9 mm वाली पुरानी कार्बाइनों को ही रिप्लेस करने का है. साथ ही, सशस्त्र बलों को और आधुनिक हथियार उपलब्ध करवाने का.
रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान यानी डीआरडीओ की पुणे बेस्ड इकाई और भारतीय आर्मी के महू बेस्ड इन्फेंट्री स्कूल ने मिलकर यह कारनामा किया है कि भारत अपनी पहली अहम स्वदेशी मशीन पिस्टल बना सका. इस मशीन पिस्टल को 'अस्मि' नाम दिया गया है और बताया गया है कि इसके उत्पादन की लागत 50,000 रुपये से कम होगी और क्वालिटी के हिसाब से इसे एक्सपोर्ट करने की संभावना भी होगी.
ये भी पढ़ें :- समीरा फाज़िली के बाद अब बाइडन टीम में हैं ये अहम भारतीय महिलाएं
क्या होती है मशीन पिस्टल?
यह एक खास किस्म की पिस्तौल होती है, जिसमें सेल्फ लोडिंग क्षमता होती है. साथ ही यह पूरी तरह ऑटोमैटिक भी हो सकती है और एक साथ कई गोलियां फायर कर सकती है. इसे आप छोटी मशीन गन के तौर पर समझ सकते हैं. यानी वो मशीन गन, जिसे हाथ में लेकर चलाना मुमकिन होता है. सबमशीन गन के लिए मशीन पिस्टल शब्द वास्तव में जर्मनी से आया.
ये भी पढ़ें :- वो स्टेनोग्राफर, जो नहीं होता तो खो जाते स्वामी विवेकानंद के यादगार भाषण
ऑस्ट्रिया में पहली बार मशीन पिस्टल बनाई गई थीं और पहले विश्व युद्ध के समय जर्मन सेना में इन हथियारों ने खासी शोहरत हासिल की थी. मौजूदा समय में यह हथियार सीमित आवश्यकता या खास मकसद के लिए इस्तेमाल होता है, लेकिन सबसे बेहतरीन शूटर हथियारों में शुमार है.

अस्मि की यह तस्वीर समाचार एजेंसियों ने जारी की.
कैसी है स्वदेशी 'अस्मि'?
भारत की यह मशीन पिस्टल 9 mm की गोलियां दागने के सक्षम है. खास बात यह है कि इस पिस्टल में लोअर रिसीवर तो कार्बन फाइबर का है लेकिन अपर रिसीवर के लिए विमानों की क्वालिटी वाले एल्युमीनियम का इस्तेमाल किया गया है. अस्मि के कई पार्ट की डिज़ाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से तैयार की गई है. ट्रिगर में भी मेटल 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल हुआ है.
ये भी पढ़ें :- ट्रंप पर लागू हुआ महाभियोग, तो कितने करोड़ों की सुविधाएं छिनेंगी?
रक्षा मंत्रायल की तरफ से जारी किए गए बयान में बताया गया कि आमने सामने की लड़ाई हो, दुश्मन से बॉर्डर पर सीधी जंग हो या फिर आतंकवाद निरोधी अभियान हों, इन सबमें अस्मि मशीन पिस्टल की उपयोगिता बेहद अहम साबित होगी. यह भारी हथियारों के बीच में पर्सनल हथियार है, जो काफी मारक क्षमता रखता है. खबरों के मुताबिक मशीन पिस्तौल इजरायल की यूज़ी बंदूकों के क्लास की है. ये 100 मीटर की दूरी तक फायर करने में सक्षम है.
कहां इस्तेमाल होगी अस्मि?
गर्व, आत्मसम्मान और कड़ी मेहनत के अर्थ अपने भीतर संजोने वाले शब्द अस्मि के नाम की इस मशीन पिस्टल के इस्तेमाल के लिए मंत्रालय ने कहा है कि केंद्रीय और राज्य पुलिस की विभिन्न टीमों के लिए यह हथियार कारगर साबित हो सकता है. वीआईपी सुरक्षा दस्तों और पुलिस बलों को यह मुहैया कराया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें :- केबीसी किस्सा : जब अमिताभ ने मकान की नींव में रखी कलम
मंत्रालय के मुताबिक सशस्त्र बलों में विभिन्न अभियानों में व्यक्तिगत हथियार के तौर पर और साथ ही उग्रवाद तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में भी यह पिस्तौल दमदार साबित होगी. मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इस हथियार को चार महीने के रिकॉर्ड टाइम में विकसित किया गया है. इस मशीन पिस्टल की लागत चूंकि 50 हज़ार रुपयों से कम की होगी और क्वालिटी बहुत बेहतर इसलिए इसे एक्सपोर्ट भी किया जा सकेगा.
ये भी पढ़ें :- वैक्सीन और हम : क्या और कैसे हैं टीके के खतरे और साइड इफैक्ट्स?
गौरतलब है कि अस्मि के डेवलपमेंट की खबर कार्बाइन के डेवलपमेंट के करीब एक महीने बाद आई, जिसे एआरडीई और ओएफबी ने मिलकर विकसित किया था. कार्बाइन आर्मी में इंडक्शन के लिए तैयार है तो क्या अस्मि की वजह से इस पर कोई असर पड़ेगा? बताया गया कि कार्बाइन का मकसद 9 mm वाली पुरानी कार्बाइनों को ही रिप्लेस करने का है. साथ ही, सशस्त्र बलों को और आधुनिक हथियार उपलब्ध करवाने का.