भारत के खिलाफ कई तरह की गतिविधियों (Anti-India Activity) को अंजाम देने के लिए चीन लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. इसी कड़ी में भारत के विरोधियों (Anti-National) को पनाह देने का काम भी चीन कर रहा है क्योंकि 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है'. ताज़ा खबरों की मानें तो केंद्र (Central Government) ने दावा किया है कि उत्तर पूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले संगठन उल्फा यानी ULFA (I) को चीन में पनाह मिल चुकी है और वहां से यह संगठन भारत विरोधी हरकतें कर रहा है.
गुवाहाटी के गैर कानूनी गतिविधि निरोधी ट्रिब्यूनल में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक
एफिडेविट में इस तरह की बात कहते हुए दावा किया कि ULFA (I) का प्रमुख परेश बरुआ म्यांमार बॉर्डर के पास चीन के युन्नान प्रांत के रुइली में है. खबरों में है कि बरुआ म्यांमार के सागैंग डिविज़न से अपने संगठन के ऑपरेशन बेस और ट्रेनिंग कैंप संचालित कर रहा है.
दूसरी तरफ, इसी ट्रिब्यूनल में असम सरकार ने जो एफिडेविट दाखिल किया, उसके मुताबिक लुंगमार्क, टाका और नीलगिरि में ULFA (I) के कई कैंपों को झटका लगा है, कई कैडर संगठन से किनारा कर चुके हैं. असम ने सागैंग डिविज़न की वो 8 लोकेशनों की
लिस्ट भी सौंपी, जहां NSCN (K) की मदद से बरुआ के संगठन के सेटअप हैं. अब जानने लायक बात यह है कि चीन की ज़मीन से यह संगठन किस तरह की चालें चल सकता है.
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उल्फा का प्रमुख परेश बरुआ.
डार्कनेट के ज़रिये हमले की तैयारी
ट्रिब्यूनल को बताया गया है कि ULFA (I) डार्कनेट यानी साइबर हमले के तकनीकी तैयारी कर रहा है, जिसके लिए उसे आईटी विशेषज्ञों की एक नई फौज हाल में भर्ती की है. यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए खासा सिरदर्द बन गया है. गुवाहाटी हाईकोर्ट के ट्रिब्यूनल में दाखिल किए गए इन तमाम दस्तोवज़ों के आधार पर यह मांग की गई है कि इस संगठन को UA (P) एक्ट के तहत गैरकानूनी घोषित किया जाए.
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इससे पहले भी गृह मंत्रालय ने इस संगठन को पांच और सालों के लिए गैरकानूनी घोषित किए जाने का प्रस्ताव दिया था क्योंकि इस संगठन की गतिविधियों से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा है. पहले दाखिल किए गए एफिडेविट में बताया जा चुका है कि ULFA (I) फेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया नेटवर्कों के ज़रिये उग्रवादियों की भर्तियां कर चुका है और उल्फा की पब्लिसिटी विंग युवाओं को बरगला रही है.
क्या है भारत विरोधी प्रोपैगैंडा?
यह संगठन लगातार भारत के विरोध में हरकतों को अंजाम दे रहा है. कभी यह चुनाव का बहिष्कार करने के लिए माहौल बनाता है तो कभी भारतीय लोकतंत्र को चुनौती देते हुए अन्य बागी संगठनों को भारत के खिलाफ खड़ा करने की कवायद करता है. यही नहीं, 2018 में इस संगठन ने एक और नया संगठन “ANMMMTA” खड़ा किया जो उत्तर पूर्व के सभी राज्यों में सक्रिय है.
बताया जा चुका है कि ANMMMTA संगठन सोशल मीडिया, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का इस्तेमाल कर भारत की लोकतांत्रिक सरकारों के खिलाफ लोगों को विद्रोह के लिए तैयार करने का काम करता है. साथ ही, उग्रवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए फंड की व्यवस्था भी. इस संगठन की पूरी निगरानी खुद बरुआ ही करता है.

उल्फा के चीन और म्यांमार से संचालित होने के दावे किए गए.
उल्फा के कैसे ठिकाने कहां हैं?
संगठन की परिषद का मोबाइल हेक्वार्टर टाका में है, जबकि सामान्य मोबाइल हेडक्वार्टर, ट्रेनिंग सेंटर और यूजी कैंप लुंगमार्क में हैं. टीओआई की
रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठन की काउंसिल का नीलगिरि कैंप नाइमुंग बस्ती में है. यूजी कैंप वो जगह है, जहां उल्फा अपने हथियार, विस्फोटक और असलहे को छुपाकर रखता है.
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नागालैंड के मोन ज़िले की सीमा से सटे म्यांमार के हयात बस्ती इलाके में उल्फा की ईस्टर्न कमांड का हेडक्वार्टर है. ब्रिगेड कैंप के नाम से प्रचलित अराकान कैंप और ऑपरेशन कैंप पापुंग नागा बस्ती में हैं, जहां संगठन के कुछ समूह असम में हमलों को अंजाम देने के लिए मौजूद रहते हैं. चीन के युन्नान प्रांत से बराबर संगठन में भर्तियां हो रही हैं और हथियारों के इंतज़ाम के साथ ही जबरन वसूली और हिंसक गतिविधियां हो रही हैं.
म्यांमार के मीतेई आतंकी संगठन और दूसरे आतंकी संगठनों की मदद से बरुआ का संगठन सुरक्षा एजेंसियों के हथियारों व असलहों को लूटने, तस्करी करने जैसे अपराधों को अंजाम दे रहा है.
रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत और म्यांमार बॉर्डर पर बहने वाली चिंडविन नदी यूजी कैंप के लिए भारत से असलहे के ट्रांसपोर्ट के लिहाज़ से अहम है.undefined
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Tags: Assam, North East, Terrorism
FIRST PUBLISHED : October 07, 2020, 09:36 IST