कोरोना वायरस (Corona Virus) संक्रमण की वैश्विक महामारी किसी तरह थम जाएगी. किसी वैक्सीन (Vaccine) या किसी दवा या किसी और तरह कोई हल कभी निकल आएगा. लेकिन इसके बाद दुनिया में किस तरह के बदलाव होंगे? ऐसा क्या नयापन होगा, जिसे लोग आम जीवन में अपनाते (New Normal) नज़र आएंगे? इन सवालों के जवाब में आप कई तरह की बातें सुन पढ़ रहे होंगे, लेकिन नई बात ये है कि जापान में सड़कों पर डिलीवरी रोबोट (Delivery Robots) जल्द नज़र आने वाले हैं.
जी हां, कोविड 19 के चलते सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) और वायरस के फैलने पर लगाम लगाने के मकसद से जापान रोज़मर्रा के जीवन के हिस्से के तौर पर ऐसे रोबोट्स की तैयारी में है, जो कई तरह का सामान दुकान से कलेक्ट करने के बाद आपके दरवाज़े तक डिलीवर करेंगे. संक्रमण की रोकथाम के लिए लोगों को आपस में संपर्क (Human Contact) कम से कम हो, इसे मद्देनज़र रखते हुए ये रोबोट लॉंच होने जा रहे हैं.
टोक्यो में अगस्त से इस तरह के डिलीवरी रोबोट का ट्रायल रन शुरू होगा. ZMP Inc. नामक कंपनी DeliRo नामक रोबोट को डिलीवरी बॉय की तरह कस्टमरों तक पहुंचाएगी. 12 से 16 अगस्त के बीच कस्टमर अपने टैबलेट कंप्यूटर से ऑर्डर देंगे और कैशलेस पेमेंट करेंगे और उनके फूड आइटम की डिलीवरी इन रोबोट्स के ज़रिए होगी. कंपनी का कहना है कि DeliRo की क्षमता जांचने और कोविड के कारण बन रहे नए लाइफस्टाइल की मांग को मैच करने के लिए ये परीक्षण किए जा रहे हैं.
50 किलोग्राम वज़न तक की डिलीवरी मुमकिन
एक मीटर ऊंचे DeliRo की रफ्तार ज़्यादा से ज़्यादा 6 किलोमीटर प्रति घंटा होगी यानी आम इंसान जितनी रफ्तार से ही ये रोबोट चलेगा. जापान टाइम्स की
खबर के मुताबिक एडवांस ड्राइविंग तकनीक से बना ये रोबोट अपने रास्ते में आने वाली रुकावटों को पहचान लेगा और 50 किलाग्राम तक का वज़न डिलीवर कर पाएगा. यही नहीं, वायरस संबंधी बचाव के फीचर के तहत यह रोबोट चलते हुए कीटाणुनाशक का स्प्रे भी करेगा.
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जापान में चूंकि जन्म दर कम है और आबादी उम्रदराज़ हो रही है इसलिए वहां श्रमिकों की कमी एक बहुत बड़ा कारण है कि मशीनों का उपयोग ज़्यादा से ज़्यादा किया जाता है. इसके साथ ही नई स्थितियां जो कोरोना वायरस के कारण बनी हैं, उनके मद्देनज़र जापान सरकार भी इस तरह के रोबोट प्रोजेक्ट को लेकर उत्साहित है. लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर एक कानूनी समस्या भी पेश आ रही है.
वास्तव में, ये रोबोट एक ऐसी मशीन होंगे जो सिर्फ 6 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगे. यानी इन्हें वाहनों की श्रेणी में माना जाएगा और इस स्पीड के वाहनों को मुख्य सड़कों पर उतारना कानूनी दायरे में मुमकिन कर पाना एक बड़ी चुनौती बन रहा है क्योंकि ये मशीनें सड़कों पर खुद ही रुकावट बन जाएंगी.
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इस समस्या से निपटने के लिए नेशनल पॉलिसी एजेंसी के तहत एक पैनल ने ट्रैफिक रूल्स को लेकर विचार करना शुरू किया है. इस साल इन रोबोट्स को लेकर ट्रायल करने के सरकार के मकसद के चलते ट्रैफिक रूल्स इन रोबोट्स पर कैसे लागू होंगे, ये समझा जा रहा है, हालांकि अभी तक की स्थिति में ये रोबोट मॉनिटर किए जा सकेंगे.
इसी तरह के एक प्रोजेक्ट को लेकर ई कॉमर्स क्षेत्र की बड़ी कंपनी Rakuten Inc. भी कह चुकी है कि वो भी इस साल के आखिर तक स्वचालित वाहन सड़कों पर उतारने की तैयारी में है, जो चीज़ों की डिलीवरी का ही काम करेगी. माना जा रहा है कि जापान में इस प्रयोग के सफल होने पर दुनिया के कुछ और देश इसे अपनाने में दिलचस्पी दिखाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : July 28, 2020, 17:09 IST