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फाइटर विमानों की एक घंटे की उड़ान के पीछे होता है कई घंटों का मेंटेनेंस

फाइटर विमान मेंटेनेंस के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर.

फाइटर विमान मेंटेनेंस के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर.

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के जंगी बेड़े में आधुनिक फाइटर जेट राफेल (Rafale Fighter Jet) का पहला बैच शामिल होन ...अधिक पढ़ें

    लड़ाकू या जंगी विमान (Fighter Aircraft) किसी मोटरबाइक की तरह नहीं होते, कि आप उसे उठाएं, सवार हों और चल पड़ें. फाइटर विमानों की एक घंटे की उड़ान (Flight) भी काफी महंगी पड़ती है यानी हज़ारों डॉलर प्रति घंटे तक हो सकती है. ये तो रकम की बात हुई, एक घंटे के लिए फाइटर जेट (Fighter Jet) को उड़ाने का मतलब होता है कि उसके मेंटेनेंस (Fighter Plane Maintenance) पर कई घंटे और डीप मेंटेनेंस की बात करें तो कई हफ्ते भी लग जाते हैं.

    भारत के पास फाइटर जेट राफेल का पहला बैच फ्रांस से पहुंचने वाला है. हालांकि दावे किए गए हैं राफेल उन आधुनिक फाइटर विमानों में है, जिसकी मेंटेनेंस कीमत अन्य की तुलना में काफी कम है. उधर, अमेरिकी वायु सेना के पास जो फाइटर विमान हैं, उनकी मेंटेनेंस कीमत और प्रक्रिया सबसे ज़्यादा बताई जाती है. इतनी कि कुछ घंटों की उड़ान की मेंटेनेंस की कीमत में तो नया फाइटर विमान ही आ जाए. जानिए कि आधुनिक फाइटर विमानों के मेंटेनेंस में क्या खास है और इनकी तुलना में राफेल कैसा है.

    कैसे होता है लड़ाकू विमानों का मेंटेनेंस?
    विमान किस प्रकार का है, उसकी उम्र कितनी है और किस तकनीक पर आधारित है... इन तमाम बातों से तय होता है कि उस विमान का मेंटेनेंस कैसे और कितना किया जाना है. सामान्य तौर पर रिपेयरिंग की नौबत नहीं होती है बल्कि तय समय पर सर्विसिंग, कई स्तरों पर बारीक निरीक्षण और वास्तविक उड़ान से पहले टेस्ट उड़ान जैसे कई तरह के चेक किए जाते हैं.

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    भारत के लिए राफेल का पहला बैच फ्रांस से चलकर यूएई पहुंच गया है.


    किसी मॉडर्न फाइटर जेट को हर फ्लाइट से पहले और बाद में पूरी ओवरहॉलिंग की ज़रूरत होती है. कनाडा के सशस्त्र बलों में काम करने वाले डैन गॉल की मानें तो यह एक तरह से जेट को लगभग खोलकर दोबारा बनाने जैसा ही हो जाता है. अगर उड़ान के वक्त जेट में कुछ टूट फूट हुई हो, तो उसे रिप्लेस करना महंगा और समय लेने वाला काम होता है.

    कितना हेक्टिक और खर्चीला है मेंटेनेंस?
    उदाह​रण के तौर पर समझें कि जर्मनी में कनाडा सशस्त्र बलों के 3 स्क्वाड्रन हैं. एक स्क्वाड्रन के लिए करीब 20 पायलटों की ज़रूरत होती है जबकि मेंटेनेंस के लिए 500 ग्राउंड स्टाफ और नियत समय पर इंस्पेक्शन के लिए और 500 स्टाफ की. यानी वहां कुल 54 विमानों के लिए 60 पायलटों के साथ ही 2000 ग्राउंड स्टाफ ज़रूरी होता है. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये मेंटेनेंस कितना हेक्टिक होता है.

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    2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक वॉशिंग्टन बेस्ड एक थिंक टैंक ने कहा था कि अमेरिका में टैक्टिकल विमानों की कीमत उन्हें रीप्लेस किए जाने की कीमत से ढाई गुना तक ज़्यादा पड़ रही थी. इससे अमेरिकी रक्षा बजट प्रभावित हो रहा था. 2019 की एक और रिपोर्ट बताती है कि फाइटर जेट्स की उड़ान कितनी महंगी पड़ रही थी :

    F-22A और F-35A की एक घंटे की उड़ान की कीमत क्रमश: 33,538 और 28,455 डॉलर थी. इसी तरह, AV-8B हैरियर के लिए यह कीमत करीब 13700, FA-18F के लिए 10500, F-16 के लिए 8000 और A-10 लड़ाकू विमान की एक घंटे की उड़ान के लिए कीमत 6,000 डॉलर तक आ रही थी.

    विमान के टाइप का मेंटेनेंस पर असर
    अगर बात F-35 जैसे हाई टेक लड़ाकू विमानों की होगी तो इनके मेंटेनेंस के लिए ज़्यादा क्वालिफाइड स्टाफ और उपकरणों की ज़रूरत होगी और इनके चलते मेंटेनेंस की कीमत बढ़ जाएगी. वहीं, SAAB जैसे फाइटरों को क्विक ट्रेंड स्टाफ की मदद से फटाफट रिफ्यूल और रीआर्म किया जा सकता है. अब देखें कि मेंटेनेंस को लेकर राफेल फाइटर जेट कितने आधुनिक हैं.

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    राफेल को लो मेंटेनेंस फाइटर जेट बताया गया है.


    क्यों कम है राफेल की मेंटेनेंस कीमत?
    राफेल की निर्माता कंपनी दासॉल्ट एविएशन के पोर्टल पर दावा किया गया है कि राफेल के मेंटेनेंस में तुलनात्मक रूप से कम घंटे और कम तकनीशियनों की ज़रूरत पड़ती है. इसके कुछ फीचर और कारण भी बताए गए हैं.

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    * राफेल को मेंटेनेंस के लिए अपना ऑपरेशनल बेस नहीं छोड़ना पड़ता. साथ ही, राफेल को एयरफ्रेम और इंजिन के लिए समय समय पर डिपो स्तर के इंस्पेक्शन की बहुत ज़रूरत नहीं है.
    * देखा गया कि 3300 घंटे की उड़ान के बाद भी राफेल के स्ट्रक्चरल पार्ट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ. यानी मेंटेनेंस कीमत कम आती है.
    * मॉड्यूलर M88 इंजिन 21 मॉड्यूल्स से बना है यानी डिपो में इसकी रिपेयरिंग सिर्फ मॉड्यूल के पार्ट्स बदलकर संभव है. साथ ही, इंजिन को सर्विस में लाने से पहले बैलेंसिंग और रनअप चेक की ज़रूरत भी नहीं होती.

    आधुनिक तकनीक से बना राफेल दुनिया के सबसे बेहतर लड़ाकू विमानों की लिस्ट में शुमार है. गौरतलब है कि भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल विमानों के लिए एक बड़ा सौदा किया था, जिसके पहले बैच के तौर पर 5 राफेल भारत के अंबाला एयरबेस में 29 जुलाई को पहुंचने की उम्मीद है.

    Tags: Fighter jet, Fighter Plane, Indian Airforce, Indian Armed Forces, Rafale, Rafale deal

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