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नई महामारी खाद्य संकट : भूख की चपेट में क्यों और कैसे आया न्यूयॉर्क?

न्यूज़18 क्रिएटिव

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अगर कहा जाए कि Covid 19 एक महामारी नहीं है बल्कि कई तरह की महामारियों का जत्था है, तो कुछ लोग कहेंगे कि यह डर फैलाने की कवायद है. लेकिन, आंकड़ों और हालात की गवाही को कैसे नकारा जाए. बेरोज़गारी (Unemployment), हिंसा, गरीबी (Poverty) और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याएं एक वायरस (Virus) के चलते बने हालात के कारण दुनिया भर में महामारियों (Pandemic) की तरह फैली हैं. जब अमेरिका (USA) जैसे संपन्न देश में लाखों लोग भूख के शिकार हैं, तो पिछड़े देशों की बात ही क्या.

भूख और भुखमरी का संकट दुनिया के कई हिस्सों में है. संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के निदेशक डेविड बीज़ली ने 21 अप्रैल को हुई यून की मीटिंग में कहा था कि कोविड 19 महामारी से जूझते हुए हम भूख की महामारी की कगार पर हैं. डेविड ने वैश्विक महामारी के फैलने से पहले आशंका जताई थी कि करीब साढ़े 13 करोड़ लोग दुनिया में भूख के शिकार होंगे, लेकिन अब हालात देखते हुए यह आंकड़ा दोगुना समझा जा रहा है. जानिए कि क्यों और कैसे अमेरिका खासकर न्यूयॉर्क भूख से जूझ रहा है.

कैसा है न्यूयॉर्क का भूख संकट?
न्यूयॉर्क के मेयर बिल डि ब्लैसियो ने बीते गुरुवार को कहा कि चार में से एक नागरिक को भोजन की ज़रूरत है. इसके ​चलते शहर में अगले हफ्ते से रोज़ाना 15 लाख फूड पैकेट बांटे जाने की तैयारी चल रही है. ब्लैसियो ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप के पहले अंदाज़ा लगाया गया था कि शहर में 10 लाख के आसपास लोग भूख से जूझेंगे लेकिन वास्तविक संख्या दोगुनी यानी 20 लाख लोगों की नज़र आ रही है.

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ट्विटर पर Indiaspora के फोरम की यह तस्वीर है. इस एनजीओ ने देश के प्रवासी कामगारों के लिए एक लाख से ज़्यादा राशन किट बांटने का बीड़ा उठाया था और अमेरिका के लिए भी खाद्य सप्लाई का.


खाने की क्वालिटी कैसी है?
ब्लैसियो के हवाले से एनवायटी की रिपोर्ट यह भी कहती है कि भूख के इस संकट के चलते शहर में अब तक 3.2 करोड़ मील बांटे जा चुके हैं. लेकिन सवाल यह है कि खाना कैसा बांटा जा रहा है? मेयर की घोषणाओं से पहले सिलसिलेवार कई शिकायतें प्रशासन के पास पहुंची थीं कि जो खाना बांटा जा रहा था, उसकी क्वालिटी और पोषण वैल्यू बेहद घटिया रही. अब प्रशासन ने खराब भोजन देने वाले वेंडरों को हटाया है.

अमेरिका में भुखमरी की वजह क्या है?
1. ज़रूरी सेवाओं में शामिल भोजन की आपूर्ति की कोशिशें अमेरिका में हो रही हैं लेकिन फूड इंडस्ट्री और सप्लाई चेन में जो कड़ियां टूट गई हैं, उनका नतीजा है भूख का संकट. इस संकट पर द नेशन की विस्तृत रिपोर्ट से एक उदाहरण समझें कि फूड प्रोसेसिंग और पै​केजिंग एक बहुत बड़ा उद्योग है, जिसमें कई कामगार काम करते हैं. 25 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक इस उद्योग 30 प्लांट्स में 3300 से ज़्यादा कामगार संक्रमण के शिकार पाए गए, जिनमें से कम से कम 17 की मौत हुई. ऐसे में, सप्लाई चेन की यह कड़ी टूटी.

2. कोविड 19 के चलते अमेरिका में लाखों नौकरियां गई हैं, जिससे बेरोज़गारी बेतहाशा बढ़ी है. दूसरी तरफ, अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचने के चलते भी संपन्नता में खासी कमी आई है और निचले तबके में गरीबी और बढ़ी है. इस वजह से अमेरिका में लाखों लोग भूख के संकट से जूझ रहे हैं.

कितना बड़ा है यह संकट?
सिर्फ न्यूयॉर्क ही नहीं बल्कि अमेरिका के कई शहरों और ग्रामीण इलाकों में कई समुदाय भूख की चपेट में हैं. इनके लिए सरकारी और गैर सरकारी संस्थान पिछले कई दिनों से भोजन वितरण की व्यवस्था भी कर रहे हैं. लेकिन, कई समुदाय अब भी मदद के इंतज़ार में हैं. नेशन की रिपोर्ट की मानें तो न्यूयॉर्क के ग्रामीण और गरीब इलाकों तक मदद नहीं पहुंची है. एक बेहतर खाद्य सुरक्षा सिस्टम और वितरण प्रणाली की ज़रूरत बनी हुई है.

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विशेषज्ञ मान रहे हैं कि खाद्य सुरक्षा और गारंटी के लिए एक बेहतर सिस्टम बनाना ही होगा. फाइल फोटो.


भूख का संकट एक जगह नहीं दुनिया भर का कैसे है?
कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में खाद्य उपलब्धता दो तरह से प्रभावित हो रही है. चूंकि स्कूलों, रेस्टॉरेंटों, होटलों, एयरलाइनों जैसे बड़े ग्राहकों ने लॉकडाउन के कारण खरीदी और स्टॉक रखना बंद किया इसलिए किसानों और वितरकों की तरफ से सप्लाई बेहद कम है. दूसरी तरफ, स्थानीय बाज़ारों में खाद्य पदार्थ उपलब्ध होने के बावजूद लोग खरीद नहीं पा रहे क्योंकि बेरोज़गारी और गरीबी के चलते उनके पास रकम नहीं है.

इसके अलावा, दुनिया के लगभग सभी देश अपनी खाद्य आपूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर आयात के भरोसे हैं. दुनिया भर में लॉकडाउन के कारण हवाई यातायात प्रतिबंधित होने के कारण यह आयात निर्यात बंद है इसलिए भी सप्लाई प्रभावित है.

क्या और गहराएगा भूख का संकट?
खाद्य संकट वैश्विक महामारी बन चुका है और कोरोना वायरस भविष्य में और कितना कहर ढाने वाला है, इस ​पर निर्भर करेगा कि दुनिया में खाद्य संकट और कितना गहराने वाला है. भारत समेत कई देशों में बेरोज़गारी, पलायन, गरीबी और भारी उथल पुथल जैसी स्थितियां साफ नज़र आ रही हैं. ऐसे में, विशेषज्ञ मान रहे हैं कि खाद्य सुरक्षा और गारंटी के लिए एक बेहतर सिस्टम बनाना ही होगा. स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर तक.

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