सरला ठकराल : क्या आपको याद है पहली भारतीय महिला पायलट?

देश की पहली महिला पायलट सरला ठकराल.
कोई दांतों तले उंगलियां दबाता था, तो कोई कहता था कि आदमियों के पेशे में औरत क्यों? कोई यह भी कहता था कि यह 'बेशर्मी' होती है कि महिला हवाई जहाज़ उड़ाए. देश की पहली महिला पायलट (First Lady Pilot of India) की कहानी जानिए.
- News18Hindi
- Last Updated: January 10, 2021, 11:25 AM IST
जगह : लाहौर का फ्लाइंग क्लब, जहां दो सीटों वाला एक एयरक्राफ्ट था.
समय : 1936 यानी जब हवाई जहाज़ उड़ाने के बारे में सोचना भी अजूबा था.
उस वक्त एक महिला हाथ से तैयार की हुई कॉटन की साड़ी पहनकर हवाई पट्टी पर पहुंची, सर पर एक हेलमेट लगाए हुए उसने एयरक्राफ्ट के कॉकपिट में जगह ली और कुछ ही पलों में वो हवा में उड़ रही थी. हवा में लहराता हुआ यह जहाज़ जब ज़मीन वापस उतरा तो उस महिला का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका था. और यह ऐतिहासिक नाम था सरला ठकराल का.
जी हां, सिर्फ 21 साल की उम्र में चार साल की बेटी की मां होने के बावजूद सरला ठकराल ने बाकायदा ट्रेनिंग लेने के बाद ब्रिटिश राज में पायलट का लाइसेंस हासिल किया था. शुरूआती लाइसेंस हासिल करने के बाद 1000 घंटों की उड़ान पूरी कर सरला 'ए' लाइसेंस लेने में भी कामयाब रही थीं. सरला को क्यों याद करें, कैसे याद करें जैसे सवालों से एक बेमिसाल कहानी हाथ लगती है.ये भी पढ़ें :-
क्या है अमेरिका 25वां संविधान संशोधन, जिससे ट्रंप को हटाना मुमकिन है
कैसे हुई सरला की शुरूआत?
दिल्ली में 1914 में पैदा हुईं सरला की शादी महज़ 16 साल की उम्र में पायलट पीडी शर्मा के साथ हो गई थी. शर्मा ही उनकी प्रेरणा बने थे और उन्होंने ही उड़ान भरने के लिए सरला को हिम्मत और सुविधाएं दी थीं. कई बार इंटरव्यू में सरला ने खुद कहा था कि उनके पति और ससुर ने उन्हें पायलट बनने के लिए प्रोत्साहित किया था.

उस ज़माने में यह हैरत की बात थी कि कोई महिला पायलट बने, लेकिन सरला की ससुराल में नौ लोग हवाई जहाज़ उड़ाने का तजुर्बा रखते थे इसलिए सरला के लिए रास्ते खुलना मुश्किल नहीं था. यह भी एक फैक्ट है कि सरला के पति पीडी शर्मा खुद भारत के पहले एयरमेल पायलट लाइसेंसधारी थे, जिन्होंने इस लाइसेंस पर पहली बार कराची से लाहौर के बीच उड़ान भरी थी.
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पहली उड़ान भरने के समय को याद करते हुए सरला ने कई बार बताया था कि उनके फ्लाइंग कोच, साथी पायलटों और परिवार में से किसी को कोई आपत्ति ने नहीं थी, बस फ्लाइंग क्लब के एक क्लर्क को यह सवाल सता रहा था कि एक महिला क्यों हवाई जहाज़ उड़ाने जा रही है? सरला के मुताबिक पहली उड़ान भरने की इजाज़त मिलने के बाद भी उन्होंने अपने पति की इजाज़त लेने के लिए खासा इंतज़ार किया था.
इसलिए बदल गई ज़िंदगी
84 साल पहले इतिहास रचने वाली सरला की ज़िंदगी में साल 1939 में दो बड़े कारणों से बदलाव आया. पहला, तो ये कि एक विमान क्रैश में उनके पति शर्मा की मौत हो गई और दूसरे उसी साल दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ. कुछ कहानियों के तार अनजाने ही अतीत से वर्तमान के बीच पुल बन जाते हैं. ऐसा ही कुछ सरला की कहानी में भी दिखता है.
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पति की मौत के सदमे से उबरकर दो बच्चियों की मां सरला कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने जोधपुर गई थीं, लेकिन उसी वक्त विश्वयुद्ध शुरू हो जाने से सभी उड़ानें सस्पेंड हो रही थीं. और तब यह भी नहीं पता था कि यह दौर कितना लंबा चलेगा. तो, यहां से ज़िंदगी का रुख मुड़ना सरला के लिए स्वाभाविक था ही.
आत्मनिर्भरता की मिसाल रहीं सरला
लाहौर लौटीं और आर्ट्स के मेयो स्कूल में दाखिला लेकर डिप्लोमा पूरा कर सरला चित्रकार बनीं. सिर्फ चित्रकारी तक ही सीमित न रहते हुए सरला ने हैंडीक्राफ्ट, कैलिग्राफी और कॉस्ट्यूम ज्वेलरी डिज़ाइन का काम भी लगातार किया. सरला ने इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अपने आप अपने काम करने की आदत भी है और इसी में विश्वास भी.

94 साल की लंबी उम्र पाने वाली सरला तकरीबन आखिरी सांस तक अपने सारे काम खुद ही करने की स्थिति में रहने के लिए भाग्यशाली रहीं. खाना पकाने, घर के काम से लेकर कलाकृतियां बनाने तक सारे काम खुद करने वाली सरला ने अपनी कला को आजीविका का साधन बनाया कई व्यापारों से जुड़ने के साथ ही वह कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर के तौर पर एनएसडी से भी जुड़ी रहीं.
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आर्य समाज और जीवन का संदेश
चूंकि सरला आर्य समाज से जुड़ी रहीं इसलिए विधवा विवाह भी कोई समस्या नहीं थी. भारत के विभाजन के बाद लाहौर से दिल्ली लौटीं सरला की मुलाकात आरपी ठकराल से हुई थी और 1948 में उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी. 2008 में आखिरी सांस लेने वाली सरला ने अपने आखिरी सालों में अपनी ज़िंदगी के बारे में बातचीत करते हुए कहा था :
जब मैं स्कूल में थी, तब मेरा मोटो था : हमेशा खुश रहना. मनुष्य के तौर पर सब जानवरों से अलग हमें कुदरत का वरदान हंसी के तौर पर मिला है इसलिए खुश और हंसते रहना बहुत ज़रूरी है. मेरे जीवन में जो भी संकट आए, इस मोटो ने मुझे हमेशा हौसला दिया.
जीवन के संकट तो आपने महसूस किए ही, एक किस्सा और देखिए. अपनी उड़ान के दिनों में साड़ी पहनने वाली सरला जब कॉकपिट में बैठती थीं तो सिर पर घूंघट के काम आने वाली चुन्नी उतारकर सहयोगी को दे देती थीं. इस पर अमेरिका में भारतीय राजदूत बनने वाले राय बहादुर रूपचंद ने एक बार उनके पति को धमकाकर कहा था कि 'सरला को इस बेशर्मी' से रोका जाए.
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इस किस्से को याद करके हंसने वाली सरला ने यह भी बताया था कि सिर्फ 30 रुपये घंटे के हिसाब से उन्हें उड़ान की ट्रेनिंग मुहैया हो गई थी. सस्ती कीमत की वजह यही थी कि उस समय जान का जोखिम होने के चलते ज़्यादा लोग इस पेशे में नहीं आते थे.

बता दें कि ताज़ा खबरों के मुताबिक एयर इंडिया पहली बार यह प्रयोग करने जा रहा है कि दुनिया की सबसे लंबी यानी सैन फ्रांसिस्को से बेंगलूरु तक नॉनस्टॉप उड़ान पूरी तरह से महिला पायलटों की टीम उड़ाए. कैप्टन ज़ोया अगरवाल के साथ ही कैप्टन थनमई पपगरी, आकांक्षा सोनवणे और शिवानी मनहास आदि उस टीम का हिस्सा हैं, जो 16000 किमी की उड़ान भरकर इतिहास रच रही हैं.
समय : 1936 यानी जब हवाई जहाज़ उड़ाने के बारे में सोचना भी अजूबा था.
उस वक्त एक महिला हाथ से तैयार की हुई कॉटन की साड़ी पहनकर हवाई पट्टी पर पहुंची, सर पर एक हेलमेट लगाए हुए उसने एयरक्राफ्ट के कॉकपिट में जगह ली और कुछ ही पलों में वो हवा में उड़ रही थी. हवा में लहराता हुआ यह जहाज़ जब ज़मीन वापस उतरा तो उस महिला का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका था. और यह ऐतिहासिक नाम था सरला ठकराल का.
जी हां, सिर्फ 21 साल की उम्र में चार साल की बेटी की मां होने के बावजूद सरला ठकराल ने बाकायदा ट्रेनिंग लेने के बाद ब्रिटिश राज में पायलट का लाइसेंस हासिल किया था. शुरूआती लाइसेंस हासिल करने के बाद 1000 घंटों की उड़ान पूरी कर सरला 'ए' लाइसेंस लेने में भी कामयाब रही थीं. सरला को क्यों याद करें, कैसे याद करें जैसे सवालों से एक बेमिसाल कहानी हाथ लगती है.ये भी पढ़ें :-
क्या है अमेरिका 25वां संविधान संशोधन, जिससे ट्रंप को हटाना मुमकिन है
कैसे हुई सरला की शुरूआत?
दिल्ली में 1914 में पैदा हुईं सरला की शादी महज़ 16 साल की उम्र में पायलट पीडी शर्मा के साथ हो गई थी. शर्मा ही उनकी प्रेरणा बने थे और उन्होंने ही उड़ान भरने के लिए सरला को हिम्मत और सुविधाएं दी थीं. कई बार इंटरव्यू में सरला ने खुद कहा था कि उनके पति और ससुर ने उन्हें पायलट बनने के लिए प्रोत्साहित किया था.

न्यूज़18 क्रिएटिव
उस ज़माने में यह हैरत की बात थी कि कोई महिला पायलट बने, लेकिन सरला की ससुराल में नौ लोग हवाई जहाज़ उड़ाने का तजुर्बा रखते थे इसलिए सरला के लिए रास्ते खुलना मुश्किल नहीं था. यह भी एक फैक्ट है कि सरला के पति पीडी शर्मा खुद भारत के पहले एयरमेल पायलट लाइसेंसधारी थे, जिन्होंने इस लाइसेंस पर पहली बार कराची से लाहौर के बीच उड़ान भरी थी.
ये भी पढ़ें :- हज़ारों लोगों के साथ चीन में कैसे गायब हो जाती हैं बड़ी-बड़ी शख्सियतें?
पहली उड़ान भरने के समय को याद करते हुए सरला ने कई बार बताया था कि उनके फ्लाइंग कोच, साथी पायलटों और परिवार में से किसी को कोई आपत्ति ने नहीं थी, बस फ्लाइंग क्लब के एक क्लर्क को यह सवाल सता रहा था कि एक महिला क्यों हवाई जहाज़ उड़ाने जा रही है? सरला के मुताबिक पहली उड़ान भरने की इजाज़त मिलने के बाद भी उन्होंने अपने पति की इजाज़त लेने के लिए खासा इंतज़ार किया था.
इसलिए बदल गई ज़िंदगी
84 साल पहले इतिहास रचने वाली सरला की ज़िंदगी में साल 1939 में दो बड़े कारणों से बदलाव आया. पहला, तो ये कि एक विमान क्रैश में उनके पति शर्मा की मौत हो गई और दूसरे उसी साल दूसरा विश्व युद्ध शुरू हुआ. कुछ कहानियों के तार अनजाने ही अतीत से वर्तमान के बीच पुल बन जाते हैं. ऐसा ही कुछ सरला की कहानी में भी दिखता है.
ये भी पढ़ें :- Capitol hill violence: बार-बार कैसे ट्रंप पर एक्शन लेते रहे ट्विटर और एफबी?
पति की मौत के सदमे से उबरकर दो बच्चियों की मां सरला कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने जोधपुर गई थीं, लेकिन उसी वक्त विश्वयुद्ध शुरू हो जाने से सभी उड़ानें सस्पेंड हो रही थीं. और तब यह भी नहीं पता था कि यह दौर कितना लंबा चलेगा. तो, यहां से ज़िंदगी का रुख मुड़ना सरला के लिए स्वाभाविक था ही.
आत्मनिर्भरता की मिसाल रहीं सरला
लाहौर लौटीं और आर्ट्स के मेयो स्कूल में दाखिला लेकर डिप्लोमा पूरा कर सरला चित्रकार बनीं. सिर्फ चित्रकारी तक ही सीमित न रहते हुए सरला ने हैंडीक्राफ्ट, कैलिग्राफी और कॉस्ट्यूम ज्वेलरी डिज़ाइन का काम भी लगातार किया. सरला ने इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अपने आप अपने काम करने की आदत भी है और इसी में विश्वास भी.

सरला ठकराल की यह तस्वीर विकिकॉमन्स से साभार.
94 साल की लंबी उम्र पाने वाली सरला तकरीबन आखिरी सांस तक अपने सारे काम खुद ही करने की स्थिति में रहने के लिए भाग्यशाली रहीं. खाना पकाने, घर के काम से लेकर कलाकृतियां बनाने तक सारे काम खुद करने वाली सरला ने अपनी कला को आजीविका का साधन बनाया कई व्यापारों से जुड़ने के साथ ही वह कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर के तौर पर एनएसडी से भी जुड़ी रहीं.
ये भी पढ़ें :- Capitol hill violence: कैपिटल हिल क्या है, जहां हिंसक हुए ट्रंप के समर्थक
आर्य समाज और जीवन का संदेश
चूंकि सरला आर्य समाज से जुड़ी रहीं इसलिए विधवा विवाह भी कोई समस्या नहीं थी. भारत के विभाजन के बाद लाहौर से दिल्ली लौटीं सरला की मुलाकात आरपी ठकराल से हुई थी और 1948 में उन्होंने दूसरी शादी कर ली थी. 2008 में आखिरी सांस लेने वाली सरला ने अपने आखिरी सालों में अपनी ज़िंदगी के बारे में बातचीत करते हुए कहा था :

जीवन के संकट तो आपने महसूस किए ही, एक किस्सा और देखिए. अपनी उड़ान के दिनों में साड़ी पहनने वाली सरला जब कॉकपिट में बैठती थीं तो सिर पर घूंघट के काम आने वाली चुन्नी उतारकर सहयोगी को दे देती थीं. इस पर अमेरिका में भारतीय राजदूत बनने वाले राय बहादुर रूपचंद ने एक बार उनके पति को धमकाकर कहा था कि 'सरला को इस बेशर्मी' से रोका जाए.
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इस किस्से को याद करके हंसने वाली सरला ने यह भी बताया था कि सिर्फ 30 रुपये घंटे के हिसाब से उन्हें उड़ान की ट्रेनिंग मुहैया हो गई थी. सस्ती कीमत की वजह यही थी कि उस समय जान का जोखिम होने के चलते ज़्यादा लोग इस पेशे में नहीं आते थे.

सबसे लंबी उड़ान भरने वाली महिला पायलटों की टीम की तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की जा रही हैं.
बता दें कि ताज़ा खबरों के मुताबिक एयर इंडिया पहली बार यह प्रयोग करने जा रहा है कि दुनिया की सबसे लंबी यानी सैन फ्रांसिस्को से बेंगलूरु तक नॉनस्टॉप उड़ान पूरी तरह से महिला पायलटों की टीम उड़ाए. कैप्टन ज़ोया अगरवाल के साथ ही कैप्टन थनमई पपगरी, आकांक्षा सोनवणे और शिवानी मनहास आदि उस टीम का हिस्सा हैं, जो 16000 किमी की उड़ान भरकर इतिहास रच रही हैं.