जानिए जो बाइडन के ओवल ऑफिस में रखे चांद के टुकड़े के बारे में सब कुछ

नासा (NASA) ने चंद्रमा (Moon)की चट्टान का नमूना ओवल ऑफिस (Oval Office) को किराए पर दिया है. (तस्वीर: NASA)
अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने ओवल ऑफिस में चंद्रमा (Moon) से लाया गया 76015,143 नमूना एक कांच के केस में रखा गया है. यह नमूना चंद्रमा की एक खास घटना की कहानी कह रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 24, 2021, 7:20 PM IST
अमेरिका (USA) में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. जो बाइडन (Joe Biden) अमेरिका के46वें राष्ट्रपति के रूप में काम शुरू कर चुके हैं. उनके आने के बाद ओवल ऑफिस (Oval Office) में भी कई बदलाव हुए हैं इनमें से एक नासा (NASA) के अपोलो अभियान (Apollo Mission) के जरिए चंद्रमा (Moon) से लाया पत्थर का टुकड़ा है जिसे एक सजावटी केस में ओवल ऑफिस में रखा गया है. लोगों में यह कौतूहल है कि आखिर यह कौन सा ‘चांद का टुकड़ा’ (Moon Sample) है.
किस इरादे से रखा गया है इसे
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन ने ही इस चंद्रमा के नमूने को अपने ऑफिस में रखवाया है जिससे अमेरिकियों को अपनी महत्वकांक्षा और पिछली पीढ़ियों की उपलब्धियां याद रह सकें. यह नमूना टेक्सास के हॉस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर से किराए पर लिया गया है.
कौन सा नमूना है येयह नमूना नासा के अपोलो 17 अभियान के दौरान पृथ्वी पर लाया गया था. यह अमेरिका का चंद्रमा के लिए अंतिम अपोलो अभियान था. इस अभियान में चंद्रमा पर गए दुनिया के एकमात्र भूगर्भशास्त्री और एस्ट्रोनॉट हैरिसन जैक श्मिथ और यूजीन सर्नैन ने 76015,143 नाम के इस नमूने को चंद्रमा की सतह से दिसंबर 1972 में उठाया था.
कहां से उठाया गया था इसे
साल 1969 से 19972 के बीच हुए अपोलो अभियानों में चंद्रमा की सतह से 842 पाउंड के चंद्रमा की मिट्टी के नमूने उठाए गए थे. इनमें से हर पत्थर चंद्रमा के बारे में एक अलग ही कहानी कहता है. श्मिथ ने स्टेशन 6 पर मौजूद एक बड़ी चट्टान से इस पत्थर को काटा था. स्टेशन 6 चंद्रमा के उत्तर में टॉरस लिट्रो घाटी के पास नॉर्थ मासिफ नाम के एक पर्वत पर स्थित साइट है.

क्षुद्रग्रह के टकराव से बनी थी वह चट्टान
यह नमूना 3.9 अरब साल पुराना है जो ब्रेसिया नाम की चट्टान का हिस्सा है जो क्षुद्रग्रह के टकराव के बाद बनी थी. यह टकराव चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले हिस्से में हुआ था. यह टकराव चंद्रमा पर इस तरह के अंतिम टकरावों में से एक था. नासा के मुताबिक 76015,143 इम्ब्रियम इम्पैक्ट बेसिन का है. यह क्रेटर 711.5 मील व्यास का है.
पहले ही दिन कैसे अलग दिखा बाइडन का प्रेसिडेंट ओवल आफिस
क्यों ज्यादा खास हैं नमूने
किसी भी लिहाज से 76015,143 और ऐसे दूसरे सभी नमूने एक खास समय की जानकारी रखते हैं. बड़े टकराव चट्टानों की उम्र फिर से शुरू कर देते हैं. इससे इस टकराव की घटना के समय की जानकारी मिल सकती है. इसमें सबसे खास बात यह है कि ये चट्टानें पृथ्वी की चट्टानों की तरह नहीं हैं जो टेक्टनिक गतिविधियों के कारण बदलती रहीं. इसके अलावा इन चट्टानों में अपरदन जैसी गतिविधि का असर भी नहीं होता जो चंद्रमा पर नहीं होती लेकिन पृथ्वी पर होती हैं.

खो भी गए बहुत से नमूने
इतनी कीमती होने के बाद इस तरह के बहुत से नमूने पूर्व राष्ट्रपति निक्सन ने बहुत से विदेशी पदाधिकारियों को तोहफे में दिए थे जो उन्हें संभाल कर नहीं रख सके. ऐसे तीन नमूने साल 2002 में चोरी भी हो गए थे जिनकी कीमत 20 लाख डॉलर थी. एफबीआई ने इन नमूनों को फिर से हासिल कर लिया था.
जानिए कैसे अमेरिका के अरबों के सिस्टम को हैक कर डाला रूसी हैकर्स ने
ओवल ऑफिस में आने वाला 76015,143 पहला नमूना नहीं है. साल 1999 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स ने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को इसे दिया था.इसके साथ ही उन्होंने 10057,30 नमूना भी दिया था. 76015,143 का ओवल ऑफिस में रखा जाना बाइडन प्रशासन का विज्ञान और तकनीक के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि नासा को बाइडन प्रशासन में कितनी अहमियत मिलने वाली है.
किस इरादे से रखा गया है इसे
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन ने ही इस चंद्रमा के नमूने को अपने ऑफिस में रखवाया है जिससे अमेरिकियों को अपनी महत्वकांक्षा और पिछली पीढ़ियों की उपलब्धियां याद रह सकें. यह नमूना टेक्सास के हॉस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर से किराए पर लिया गया है.
कौन सा नमूना है येयह नमूना नासा के अपोलो 17 अभियान के दौरान पृथ्वी पर लाया गया था. यह अमेरिका का चंद्रमा के लिए अंतिम अपोलो अभियान था. इस अभियान में चंद्रमा पर गए दुनिया के एकमात्र भूगर्भशास्त्री और एस्ट्रोनॉट हैरिसन जैक श्मिथ और यूजीन सर्नैन ने 76015,143 नाम के इस नमूने को चंद्रमा की सतह से दिसंबर 1972 में उठाया था.
कहां से उठाया गया था इसे
साल 1969 से 19972 के बीच हुए अपोलो अभियानों में चंद्रमा की सतह से 842 पाउंड के चंद्रमा की मिट्टी के नमूने उठाए गए थे. इनमें से हर पत्थर चंद्रमा के बारे में एक अलग ही कहानी कहता है. श्मिथ ने स्टेशन 6 पर मौजूद एक बड़ी चट्टान से इस पत्थर को काटा था. स्टेशन 6 चंद्रमा के उत्तर में टॉरस लिट्रो घाटी के पास नॉर्थ मासिफ नाम के एक पर्वत पर स्थित साइट है.

नासा (NASA) ने चंद्रमा (Moon) के इस नमूने को अपोलो अभियान से हासिल किया था. (तस्वीर: Pixabay)
क्षुद्रग्रह के टकराव से बनी थी वह चट्टान
यह नमूना 3.9 अरब साल पुराना है जो ब्रेसिया नाम की चट्टान का हिस्सा है जो क्षुद्रग्रह के टकराव के बाद बनी थी. यह टकराव चंद्रमा के पृथ्वी की ओर वाले हिस्से में हुआ था. यह टकराव चंद्रमा पर इस तरह के अंतिम टकरावों में से एक था. नासा के मुताबिक 76015,143 इम्ब्रियम इम्पैक्ट बेसिन का है. यह क्रेटर 711.5 मील व्यास का है.
पहले ही दिन कैसे अलग दिखा बाइडन का प्रेसिडेंट ओवल आफिस
क्यों ज्यादा खास हैं नमूने
किसी भी लिहाज से 76015,143 और ऐसे दूसरे सभी नमूने एक खास समय की जानकारी रखते हैं. बड़े टकराव चट्टानों की उम्र फिर से शुरू कर देते हैं. इससे इस टकराव की घटना के समय की जानकारी मिल सकती है. इसमें सबसे खास बात यह है कि ये चट्टानें पृथ्वी की चट्टानों की तरह नहीं हैं जो टेक्टनिक गतिविधियों के कारण बदलती रहीं. इसके अलावा इन चट्टानों में अपरदन जैसी गतिविधि का असर भी नहीं होता जो चंद्रमा पर नहीं होती लेकिन पृथ्वी पर होती हैं.

जो बाइडन (Joe Biden) ने खुद इस नमूने को अपने ऑफिस में रखवाया है. (फाइल फोटो)
खो भी गए बहुत से नमूने
इतनी कीमती होने के बाद इस तरह के बहुत से नमूने पूर्व राष्ट्रपति निक्सन ने बहुत से विदेशी पदाधिकारियों को तोहफे में दिए थे जो उन्हें संभाल कर नहीं रख सके. ऐसे तीन नमूने साल 2002 में चोरी भी हो गए थे जिनकी कीमत 20 लाख डॉलर थी. एफबीआई ने इन नमूनों को फिर से हासिल कर लिया था.
जानिए कैसे अमेरिका के अरबों के सिस्टम को हैक कर डाला रूसी हैकर्स ने
ओवल ऑफिस में आने वाला 76015,143 पहला नमूना नहीं है. साल 1999 में नील आर्मस्ट्रॉन्ग, बज एल्ड्रिन और माइकल कोलिन्स ने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को इसे दिया था.इसके साथ ही उन्होंने 10057,30 नमूना भी दिया था. 76015,143 का ओवल ऑफिस में रखा जाना बाइडन प्रशासन का विज्ञान और तकनीक के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि नासा को बाइडन प्रशासन में कितनी अहमियत मिलने वाली है.