क्यों देश में टिड्डियों के कारण मचा हाहाकार, कहां से आई हैं ये, जानिए इनके बारे में हर सवाल का जवाब
क्यों देश में टिड्डियों के कारण मचा हाहाकार, कहां से आई हैं ये, जानिए इनके बारे में हर सवाल का जवाब
टिड्डी दल की वजह से किसानों को काफी नुकसान हुआ है. (File)
टिड्डियों का दल (Locust Swarm) कैसे कहर ढाता है और भारत (India) में इस साल कितना नुकसान कर चुका है? कितनी देर में खेत चट कर जाता है और टिड्डी दल से जंग कैसे लड़ी जाती है? भारत के कई राज्यों (Indian States) में परेशानी का सबब बन चुके इस कीट से जुड़ी कई रोचक और ज़रूरी जानकारियां आपको हैरान तक कर सकती हैं.
एक तरफ देश कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी से जूझ रहा है और दूसरी तरफ, तकरीबन महामारी (Epidemic) की शक्ल में एक और संकट आ खड़ा हुआ है. राजस्थान (Rajasthan), गुजरात (Gujarat), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) जैसे राज्यों में पिछले कुछ दिनों से टिड्डियों (Locusts) के दलों ने आतंक मचा रखा है. जयपुर (Jaipur) शहर में इन टिड्डियों (Grasshopper) ने घरों में घुसकर जीवन मुहाल कर दिया तो झांसी (Jhansi) में इनके खात्मे की ताज़ा खबरें हैं.
यह पहली बार नहीं है कि टिड्डियों ने हमला किया हो. 1993 में पिछला सबसे बड़ा हमला हुआ था लेकिन इस बार का हमला उससे भी बड़ा माना जा रहा है. अस्ल में, ये टिड्डियों का दल अरबी प्रायद्वीप से पाकिस्तान होते हुए भारत पहुंचा है. इससे पहले यह अफ्रीकी देशों में भी तबाही मचा चुका है. टिड्डियों का दल कैसे तबाही मचाता है? एक दिन में कितना सफर कर लेता है? कितनी जल्दी खेत चाट जाता है? इससे कैसे निपटा जाए? ऐसे तमाम सवालों के जवाब यहां जानिए जो आपके मन में आ सकते हैं.
दुनिया के सबसे खतरनाक कीट क्यों हैं टिड्डी?
टिड्डियों की दुनिया भर में 10 हज़ार से ज़्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं, लेकिन भारत में मुख्य तौर से चार प्रजातियां रेगिस्तानी टिड्डा (Schistocerca gregaria), प्रव्राजक टिड्डा (Locusta migratoria), बम्बई टिड्डा (Nomadacris succincta) और पेड़ वाला टिड्डा (Anacridium) ही सक्रिय ही रहती हैं. जब हरे-भरे घास के मैदानों पर कई सारे रेगिस्तानी टिड्डे इकट्ठे होते हैं तो झुंड में भयानक रूप ले लेते हैं. एफएओ की मानें तो रेगिस्तानी टिड्डे दुनिया की दस फीसदी आबादी की ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं इसलिए इन्हें दुनिया का सबसे खतरनाक कीट कहा जाता है. इनके बारे में रोचक और सनसनीखेज़ तथ्य इस तरह हैं.
खबरें हैं कि दिल्ली में भी टिड्डियों का हमला हो सकता है.
1. कितने खतरनाक हो सकते हैं टिड्डी दल?
आसमान में उड़ते इन टिड्डी दलों में दस अरब टिड्डे तक हो सकते हैं. ये झुंड एक दिन में 13 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से करीब 200 किलोमीटर तक का रास्ता नाप सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन यानी एफएओ के मुताबिक एक वर्ग किलोमीटर में फैले दल में करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो एक दिन में इतने वज़न का भोजन कर लेती हैं, जितने में 35 हज़ार लोगों का पेट भर सकता है. अगर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2.3 किग्रा भोजन का औसत लिया जाए.
2. कैसे तबाही मचाती हैं टिड्डियां?
ये हजारों लाखों के झुण्ड में आकर पेड़ों, पौधों या फसलों के पत्ते, फूल, फल, बीज, छाल और फुनगियाँ सभी खा जाते हैं. ये इतनी संख्या में पेड़ों पर बैठते हैं कि उनके भार से पेड़ टूट तक सकता है. एक टिड्डा अपने वज़न के बराबर भोजन चट करता है यानी कम से कम दो ग्राम. मिसाल के तौर पर झांसी के डीएम ने कहा कि शहर में 90 लाख टिड्डियों ने हमला किया था, यानी इतनी टिड्डियां मिलकर करीब 9000 किलोग्राम वज़न का भोजन खा जाती हैं.
3. कहां से आए हैं टिड्डियों के दल?
भारत में ताज़ा हमलों को लेकर खबरों के मुताबिक ये टिड्डी दल ईरान के रास्ते पाकिस्तान से होते हुए भारत पहुंचे हैं. पहले पंजाब, राजस्थान में फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद हमलावर टिड्डियों के आगरा पहुंचने की आशंका थी लेकिन ये झांसी पहुंचे और इसी तरह एक टिड्डी दल जयपुर पहुंचा. अस्ल में, यह सिलसिला पिछले साल से चल रहा है और इसने इस साल के शुरूआती महीनों में अफ्रीका में खास तौर से केन्या और इथियोपिया में कहर ढाया था. इसके बाद अरबी देशों के रास्ते से टिड्डी दलों ने यहां तक का सफर किया.
ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते मौसम में आए बदलाव को कारण माना जा रहा है कि टिड्डी दलों की आबादी और हमले बढ़ रहे हैं.
4. कैसे पनपती हैं टिड्डियां?
ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते मौसम में आए बदलाव को कारण माना जा रहा है कि टिड्डी दलों की आबादी और हमले बढ़ रहे हैं. एक मादा टिड्डी अपने जीवन में कम से कम तीन बार अंडे देती है और एक बार में 95 से 158 अंडे तक दे सकती है. एक वर्ग मीटर में टिड्डियों के करीब 1000 अंडे हो सकते हैं. एक टिड्डी का जीवन सामान्यतया तीन से पांच महीने का होता है. दूसरी तरफ, ये नमी वाले इलाकों में पनपते हैं.
5. कितना नुकसान करेंगे टिड्डी दल?
दो महीने पहले जब टिड्डियों ने हमला किया था, तब गुजरात और राजस्थान में 1.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी तेल बीजों, जीरे और गेहूं की फसलों को नुकसान पहुंचा था. ताज़ा हमले को लेकर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर टिड्डियों पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो 8 हज़ार करोड़ रुपए तक की मूंग की फसल तबाह हो सकती है. लेकिन, भारत में इस साल हो चुके और होने वाले कुल नुकसान के बारे में अभी कोई पुख्ता अंदाज़ा तक नहीं है.
दुनिया भर में हर साल टिड्डियों के कारण अरबों डॉलर की फसलें बर्बाद हो जाती हैं. उदाहरण के तौर पर सिर्फ अमेरिका में हर साल टिड्डियों के हमले से डेढ़ अरब डॉलर का नुकसान होता है.
6. ताज़ा हमलों का परिदृश्य क्या है?
● जनवरी 2019 में टिड्डियों का दल यमन और अरब से ईरान पहुंचा. जहां भारी बारिश हुई.
● मौसम के चलते इन टिड्डियों की बड़ी आबादी पनपी. इसके बाद अफ्रीका के सोमालिया, इथयोपिया, केन्या में कहर मचाने के साथ ही जनू से दिसंबर के बीच ये टिड्डी दल ईरान से पाकिस्तान और भारत की तरफ बढ़े.
● इन्हीं इलाकों में 2020 की शुरूआत में भी टिड्डी दलों ने तबाही मचाई.
भारतीय वन सेवाओं के अधिकारी प्रवीण कासवान अपने ट्विटर अकाउंट पर टिड्डी दलों और उनके हमलों को लेकर ज़रूरी जानकारियां साझा कर रहे हैं.
7. क्यों हो रहे हैं लगातार ऐसे हमले?
जांच की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पाया गया कि टिड्डी दलों की तादाद और हमले बढ़ने का कारण बेमौसमी बारिश रही है. लाल सागर से अरबी प्रायद्वीप की बात हो या पाकिस्तान और भारत की, पिछले एक साल के दौरान लगभग हर महीने बारिश हुई. बेमौसम बारिश से नमी पाकर ये कीट भयानक रूप से बढ़े. विशेषज्ञों की मानें तो पहले प्रजजन काल में टिड्डियां 20 गुना बढ़ती हैं, दूसरे में 400 और तीसरे में 1600 गुना तक बढ़ जाती हैं.
वैज्ञानिकों की मानें तो लगातार चक्रवातों से हवाओं का रुख बदला और टिड्डियां हवा के साथ मुड़ती हैं. दूसरी बात, अफ्रीकी क्षेत्र में कम खाद्य होने के चलते भी इन टिड्डियों ने आगे का रुख किया पश्चिम एशिया में प्रवास के बाद मानसून की हवाओं के साथ भारत पहुंचने वाली ये टिड्डियां सामान्य तौर पर सर्दी के मौसम में आराम फरमाती हैं, लेकिन भारत के साथ ही कई एशियाई देशों में इनका हमला लगातार बना हुआ है, यह विशेषज्ञों के लिए दुविधा का विषय है.
8. क्या है इनसे निपटने का तरीका?
इस महामारी की रोकथाम का सबसे कारगर तरीका तो बेहतर नियंत्रण और मॉनिटरिंग ही है. साथ ही, एफएओ की डेजर्ट लोकस्ट इंफॉर्मेशन सर्विस टिड्डी दलों संबंधी चेतावनियां, एलर्ट, स्थान और प्रजनन आदि से जुड़ी जानकारियां देती रहती है. अब इन सूचनाओं को लेकर कैसी तैयारी की जाती है, इस महामारी से बचने के लिए यही महत्वपूर्ण है. मसलन, रविवार को जयपुर में टिड्डियों के हमले के बाद कृषि विभाग की टीम कीटनाशक छिड़काव नहीं कर सकी और टिड्डी नियंत्रण संगठन ने भी इलाके में टिड्डी नियंत्रण से हाथ खड़े कर दिए.
जयपुर में टिड्डियों के हमले से जुड़े वीडियो और तस्वीरों के साथ ही कई पोस्ट सोशल मीडिया पर दिखे.
टिड्डियों के हमले से निपटने के तरीकों के बारे में और भी कुछ बातें जानने लायक हैं.
● हमला हो जाने की दशा में टिड्डियों पर काबू पाना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लिए कीटनाशक का हवाई छिड़काव या विशालकाय स्प्रेयर से स्प्रे किया जाना होता है. भारत में यह सुविधा अब भी बहुत दुर्लभ है.
● टिड्डियों के हमले को रोकने का उपाय सावधानी है. यानी टिड्डियों के अंडों को पनपने से पहले नष्ट किया जाना चाहिए.
● इसके अलावा फसलों को ढांकना, टिड्डियों को खाने वाले पक्षियों को पालना, लहसुन के पानी का छिड़काव जैसे प्राकृतिक उपाय भी बताए जाते हैं.
● रासायनिक उपायों में कारबैरिल को टिड्डियों के लिए सबसे असरदार माना जाता है लेकिन इसके छिड़काव से फसलों के लिए उपयोग कीट भी नष्ट होते हैं. साथ ही, कैनोला तेल को कीटनाशक में मिलाकर स्प्रे का तरीका भी कुछ जगह अपनाया जाता है.