उस समय
टेलीविज़न रिमोट कंट्रोल से नहीं चलते थे और न ही कई चैनलों का झंझट था इसलिए दूरदर्शन देख रहे दर्शक कार्यक्रमों के साथ विज्ञापन भी चाव से देखा करते थे. ये उस समय के विज्ञापनों का भी प्रभाव था कि कई उत्पादों के साथ देश का रिश्ता बना. अगर आप टीनेजर हैं, तो पैरेंट्स से पूछें कि उनके समय के कौन से ब्रांड्स थे, जिनसे लोग इमोशनली जुड़े थे. कुछ ब्रांड्स तो ऐसे थे, जिनके बगैर शादियां भी अधूरी लगती थीं, जैसे घड़ी और स्कूटर के कुछ ब्रांड्स. अब वो नाम और विज्ञापन सिर्फ यादें बनकर रह गए हैं. क्योंकि वो कंपनियां या उन उत्पादों का बनना
बंद हो चुका है.
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हाल में, लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि सरकार घाटे में चल रही
डेढ़ दर्जन कंपनियों को बंद करने का फैसला कर चुकी है. इनमें एचएमटी घड़ियों सहित हिंदुस्तान मशीन टूल्स की अन्य कंपनियों का भी नाम शामिल है. एचएमटी घड़ियों के साथ कम से कम दो पीढ़ियों का इमोशनल जुड़ाव रहा. नौजवान अगर अपने पैरेंट्स की शादी का 20-25 साल पुराना एलबम भी देखें, तो समझ सकते हैं कि शादियों में खास तोहफा ये घड़ियां हुआ करती थीं. देश में एचएमटी घड़ियों की पहुंच कहीं ज़्यादा थी.
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एचएमटी की कलाई पर बांधी जाने वाली घड़ियों के उत्पादन की शुरुआत जापान की सिटिज़न वॉच कंपनी के साथ मिलकर 1961 में हुई थी. जिसे लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि इससे देश के लोगों में पंक्चुअल होने का अनुशासन आएगा. 1970 और 80 के दशक में इन घड़ियों का कारोबार चरम पर रहा. 80 के दशक के आखिर से इन घड़ियों के सामने प्रतिस्पर्धा का दौर आया जब टाटा समूह की टाइटन कंपनी की कहानी शुरू हुई. 90 के दशक में एचएमटी की घड़ियां पुराने ज़माने की तकनीक की कही जाने लगीं. फिर भी इनकी विश्वसनीयता इतनी थी कि एक बड़ा वर्ग इनका ही दीवाना था.

80 और 90 के दशक में दूरदर्शन पर एचएमटी का विज्ञापन इस कैचलाइन के साथ प्रसारित होता था.
राष्ट्र के समय प्रहरी
इस कैचलाइन के साथ एचएमटी घड़ियों के विज्ञापन दूरदर्शन पर प्रसारित होते थे और 70 के दशक में जब देश की आबादी 50 करोड़ से कुछ ज़्यादा थी, तब एचएमटी 1 करोड़ घड़ियों का उत्पादन कर चुकी थी. साल 2012-13 में इन घड़ियों का सालाना कारोबार 242 करोड़ रुपये से ज़्यादा का था. लेकिन बड़े कर्ज़ों और लगातार घट रहे मुनाफे के कारण इन घड़ियों का उत्पादन बंद कर देने का फैसला लिया गया और अब एचएमटी घड़ी कंपनी को पूरी तरह बंद कर दिया गया.
अब कौन सी घड़ियां हैं देश की पसंद
एचएमटी घड़ियां बेशक पुराने ज़माने या कम से कम एक पीढ़ी पहले की बात हो चुकी हैं, लेकिन अब भी कई घरों में मिल सकती हैं. वर्तमान समय में वैश्विक बाज़ार खुला हुआ है इसलिए दुनिया भर के ब्रांड्स देश में उपलब्ध हैं. टाइटन और टाइमेक्स के अलावा देश में कैसियो, रॉलेक्स, गेस, टॉमी हिलफिगर, फॉसिल और ग्यॉर्डेनो ब्रांड की घड़ियां काफी पसंद की जा रही हैं. इनके अलावा हाईटेक गैजेट्स की सुविधाओं वाली और डिजिटल घड़ियां भी बाज़ार में उपलब्ध हैं.

एचएमटी घड़ियों के पुराने विज्ञापन से एक स्टिल तस्वीर.
कुछ और पुराने ब्रांड्स, जो यादों में रहेंगे
एचएमटी कंपनी ज़रूर बंद हो रही है लेकिन इसकी घड़ियों की यादें काफी समय तक बनी रहेंगी. ऐसे ही कुछ और ब्रांड्स भी हैं, जो देश की यादों में बने हुए हैं और अगले कुछ और समय तक बने रहेंगे जब तक वो पीढ़ियां ज़िंदा हैं, जो 80 और 90 के दशक में बचपन या जवानी गुज़ार रही थीं.
ऐसे ही और ब्रांड्स पर एक नज़र :
एंबेसडर कार : हिंदुस्तान मोटर्स की ये कार देश की सर्वाधिक विश्वसनीय कार रह चुकी है. एंबेसडर और फिएट कार के कई किस्से आप अपने घरों के बुज़ुर्गों से सुन सकते हैं और अब भी कभी-कभी सड़क पर 30, 40 या 50 साल पुराना मॉडल देख सकते हैं.

एंबेसडर कार का विज्ञापन इस तरह अखबारों या होर्डिंग्स पर दिखता था.
गोदरेज अलमारी : गोदरेज की अलमारी एक ऐसा ब्रांड था कि अलमारी को गोदरेज कहा जाने लगा था. शादियों में दहेज या तोहफे के तौर पर ये अलमारी देने का चलन काफी समय तक बना रहा.
कैम्पा कोला : प्योर ड्रिंक्स समूह का ये प्रोडक्ट तकरीबन दो दशकों तक देश की ज़बान पर रहा. 90 के दशक में जब वैश्वीकरण से बाज़ार खुला तो दुनिया भर के ड्रिंक्स की भीड़ में कैम्पा कोला, गोल्ड स्पॉट, डबल 7 और थ्रिल जैसे कई कोल्ड ड्रिंक्स ब्रांड चलन से बाहर हुए.
कुछ और : पोल्सन बटर, बिनाका टूथपेस्ट, बाटा और लखानी के फुटवेयर ब्रांड, रूह अफज़ा, पारलेजी ग्लूकोज बिस्किट, बरनॉल, हमदर्द टॉनिक सिंकारा जैसे दर्जनों ब्रांड उस समय देश के सामान्य जनजीवन में शामिल थे, जो समय के साथ खो गए या खोते जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2019, 09:35 IST