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पता चला कि कौन से जीन्स कोरोना वायरस के 'साथी' हैं और कौन से 'दुश्मन'

सांकेतिक तस्वीर

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जब दुनिया में Covid-19 के कन्फर्म केसों की संख्या 1 करोड़ के पार जा चुकी है, तब कहीं जाकर यह पता चलने का दावा किया जा र ...अधिक पढ़ें

    Corona Virus के संक्रमण की रोकथाम के लिए इलाज खोजने और Vaccine आदि बनाने की राह में अब तक सबसे बड़ा रोड़ा यही रहा है कि वैज्ञानिक पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं कि शरीर के भीतर यह कैसे फैलता है और कैसे अपना मिज़ाज बदलता (Mutation) है. लेकिन, अब ताज़ा अध्ययन में कहा गया है कि ऐसे Genes ढूंढ़ लिये गए हैं, जो Sars-CoV-2 के फैलने में मदद और रोकथाम के लिए ज़िम्मेदार होते हैं.

    कोविड 19 संक्रमण के बाद शरीर में जो कोशिकाएं प्रभावित होती हैं, उनमें वायरस के फैलने में दोस्त और दुश्मन की तरह जो जीन्स काम करते हैं, उन्हें जीन एडिटिंग टूल CRISPR-Cas9 के ज़रिये ट्रैस कर लेने का दावा किया गया है. इस ताज़ा स्टडी से क्या फायदे हो सकते हैं और कैसे? इसे जानना बहुत ज़रूरी है.

    बंदरों की कोशिकाओं पर किए गए प्रयोग
    इस अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने अफ्रीकन ग्रीन मंकी की कोशिकाओं पर प्रयोग किए. कुछ जीन्स इनकी कोशिकाओं में डाले गए और फिर इन्हें कोरोना वायरस के साथ संक्रमित कर दिया गया. इसके बाद यह देखा गया कि कोशिकाओं में कौन से जीन्स वायरस के फैलने में सहायक हैं यानी प्रो वायरल हैं और कौन से जीन्स वायरस से लड़ रहे हैं यानी एंटी वायरल हैं.

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    क्या इस स्टडी से कोई फायदा होगा?
    इस तरह के जीन्स की स्क्रीनिंग के बाद शोधकर्ताओं का दावा है कि मनुष्यों के शरीर में रोगाणु कैसे बर्ताव कर रहा है, यह समझने में मदद मिलेगी. इस समझ का सीधा फायदा इस वायरस का पुख्ता इलाज खोजने और वैक्सीन बनाने में होगा. अब वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के लिए उन जीन्स और कोशिकाओं की उन प्रक्रियाओं को सीधे टारगेट कर सकते हैं, जो एंटी वायरल हैं.

    प्रोटीन और इम्युनिटी को भी समझा गया
    कोशिकाओं के भीतर वायरस की प्रक्रियाओं को समझने वाले इस अध्ययन में HMGB1 नामक प्रोटीन को भी देखा गया, जो इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट करने में मददगार पाया गया. ये भी देखा गया कि प्रोटीन के हिस्टोन्स तत्व एंटी वायरस जीन्स में मौजूद हैं यानी ये प्रोटीन वायरस को रोकने में सहायक हैं जबकि प्रोटीन्स के उन समूहों के बारे में भी पता चला जो वायरस के शरीर में फैलने में मददगार दिखे.

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    कहां हुई यह स्टडी?
    BioRxiv नामक पत्र में बीते 17 जून को छपी इस स्टडी को येल स्कूल ऑफ मेडिसिन, बोर्ड इंस्टिट्यूट और MIT और हावर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर अंजाम दिया. दुनिया भर में वैज्ञानिक लगातार कोरोना वायरस को डिकोड करने के लिए प्रयोग और अध्ययन कर रहे हैं. ये खोजने और समझने की कोशिश की जा रही है कि कैसे शरीर में इस वायरस को नष्ट करने का रास्ता ढूंढ़ा जा सकता है.

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