स्विस बैंक को लेकर एक बार फिर खलबली मची हुई है. दरअसल जून महीने में स्विटजरलैंड के बैंक की एक रिपोर्ट आई, जिसके मुताबिक साल 2020 में वहां भारतीयों ने रिकॉर्डतोड़ पैसे जमा कराए. लगभग 20700 करोड़ रुपए का ये आंकड़ा बीते 13 सालों में सबसे ज्यादा है. लेकिन क्या स्विस बैंक में केवल काला धन ही जमा किया जाता है और क्या आम लोग इस नामी बैंक तक नहीं पहुंच सकते, यहां जानिए.
गोपनीयता के चलते बना था जमाखोरी का ठिकाना
स्विट्जरलैंड सिर्फ अपनी खूबसूरत वादियों और चमचमाती इमारतों के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है. एक अरसे से टैक्स चोरी के बाद उसे छिपाने के लिए लोग स्विस बैंकों की शरण लेते रहे. बैंकों की गोपनीयता के नियमों की वजह से स्विट्जरलैंड काला धन की जमाखोरी का अड्डा बन चुका था लेकिन अब वो इमेज सुधारते हुए लगातार देशों को अपने यहां पैसों की मोटा-मोटी जानकारी दे रहा है.
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ऐसा है नियम
यहां लगभग 400 बैंक हैं. ये तमाम बैंक स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून के सेक्शन 47 के तहत बैंक अकाउंट खोलने का अधिकार रखते हैं. इस धारा के तहत जब तक अकाउंट होल्डर ऐसे वित्तीय अपराध से जुड़ा न हो, जो स्विट्जरलैंड में भी अपराध की श्रेणी में आता हो, तब तक बैंक उसके बारे में कोई जानकारी नहीं देगा और न ही पुलिस ऐसे मामले में पूछताछ कर सकती है.

स्विस बैंकों में सीक्रेसी बरकरार रखने का इतिहास काफी पुराना है (Photo- news18 English via Reuters)
इस तरह हुई शुरुआत
स्विस बैंकों में सीक्रेसी बरकरार रखने का इतिहास काफी पुराना है. 17वीं सदी से ही इसकी शुरुआत हो चुकी थी, जब ग्रांड कौंसिल ऑफ जिनेवा ने एक कोड तैयार किया, जिसके तरह अकाउंट होल्डर की जानकारी किसी से भी साझा न करने का नियम बनाया गया. इसी दौर में फ्रेंच लेखक और दर्शक वॉल्टेयर ने कहा था कि अगर आप किसी स्विस बैंकर को खिड़की से कूदकर भागता देखें तो उसके पीछे दौड़ लें. इससे कोई न कोई फायदा जरूर होगा.
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जर्मनी में खाता खोलने पर मौत की सजा
लगभग 3 सौ साल पहले ही इसके टैक्स हेवन बनने की शुरुआत हो चुकी थी. यहां के नियम इतने सख्त थे कि पहले और फिर दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पड़ोसी देश स्विस बैंकों पर भड़कने लगे. यहां तक कि जर्मनी में एक कानून बन गया कि अगर कोई अपना पैसा स्विस बैंकों में जमा करने की कोशिश करता पाया जाए तो उसे मौत की सजा दी जा सकती है. कई यहूदियों को भी वित्तीय गड़बड़ी की कोशिश के आरोप में मौत की सजा दी गई.

स्विस बैंक में अकाउंट खोलने के लिए अरब-खरबपति होना जरूरी नहीं- सांकेतिक फोटो (pixabay)
क्यों चल रहे हैं स्विस बैंक
बहुत से लोगों की धारणा है कि स्विस बैंक सिर्फ कालाधन जमा करने का जरिया हैं. हालांकि ऐसा है नहीं. स्विस बैंकों में खाताधारक की पहचान गुप्त रखने के पीछे ये मंशा रही कि राजनैतिक अस्थिरता के हालात वाले देशों में लोगों का पैसा सुरक्षित रहे. जैसे कि सूडान, नॉर्थ कोरिया या इराक जैसे देशों में हालात लंबे अरसे से खराब हैं. ऐसे में पैसे लूटे जाने से बचाने के लिए स्विस बैंक अच्छा जरिया साबित होते रहे हैं. हालांकि इसका इस्तेमाल गलत इरादों से भी किया जाता रहा है.
कौन खोल सकता है अकाउंट
स्विस बैंक में अकाउंट के लिए अरब-खरबपति होना जरूरी नहीं. ये किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए भी उसी तरह से काम करता है. आप खाता खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए आपको पहचान संबंधी दस्तावेज भेजने होंगे जो सरकारी एजेंसी से सत्यापित हों. ये ई-मेल भी किया जा सकता है. बिना नाम का अकाउंट खोलने के लिए स्विटजरलैंड जाना जरूरी होता है. दस्तावेजों के आधार पर स्विटजरलैंड के बैंकों में पर्सनल, सेविंग्स अकाउंट और इन्वेस्टमेंट अकाउंट जैसे खाते खुलवा सकते हैं.
आसान नहीं बिना नाम का खाता खुलवाना
टैक्स बचाने की नीयत से जो अकाउंट खुलता है उसे नंबर्ड अकाउंट कहा जाता है. इसकी शुरुआत काफी मोटी रकम से होती है और दस्तावेज भेजने की बजाए खुद वहां जाना होता है. इसके अलावा हर साल लगभग 20 हजार रुपए मेंटेनेंस के देने होते हैं. यहां हर ट्रांजेक्शन नाम की बजाए एक नंबर से होता है और बैंक के कनिष्ठ अधिकारियों के पास भी पहचान के तौर पर वही नंबर रहता है.
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Tags: Bank account, Bank news, Income tax, Switzerland
FIRST PUBLISHED : July 04, 2021, 12:20 IST