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जानें अंडमान-निकोबार के आदिवासियों को बचाने के लिए सरकार ने उठाए क्‍या कदम?

अंडमान निकोबार प्रशासन जारवा जनजाति को कोरोना वायरस से बचाने के लिए सख्‍त कदम उठाए जा रहे हैं.

अंडमान निकोबार प्रशासन जारवा जनजाति को कोरोना वायरस से बचाने के लिए सख्‍त कदम उठाए जा रहे हैं.

कोरोना वायरस (Coronavirus) से बचने के लिए दुनियाभर की सरकारें हरसंभव उपाय कर रही हैं. आइए जानते हैं कि भारत के अंडमान-न ...अधिक पढ़ें

    कोरोना वायरस (Coronavirus) अब तक पूरी दुनिया में 13 लाख से ज्‍यादा लोगों को चपेट में ले चुका है, जिनमें 76 हजार से ज्‍यादा की मौत हो चुकी है. ऐसे में हर तरफ इससे बचाव को लेकर ज्‍यादा से ज्‍यादा उपाय किए जा रहे हैं. इसी के मद्देनजर भारत के अंडमान-निकोबार (Andaman-Nicobar) प्रशासन ने भी खास इंतजाम किए हैं. प्रशासन ने द्वीप (Island) पर रहने वाली जारवा जनजाति ((Jarawa Tribe) के आदिवासियों को संक्रमण से बचाने के लिए सख्‍त कदम उठाए हैं. भारत समेत पूरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं रखने वाले ये आदिवासी कोरोना वायरस के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं.

    प्रशासन समुद्री रास्‍तों की भी दिनरात कर रहा है निगरानी
    अंडमान निकोबार प्रशासन ने आदिवासियों (Tribes) के रहने की जगह के पास से गुजरने वाली एक सड़क को 16 मार्च से पूरी तरह बंद कर दिया है ताकि कोई भी संक्रमित (Infected) व्‍यक्ति या बाहरी व्‍यक्ति उनके इलाके के नजदीक से भी न गुजर पाए. आदिवासी कल्‍याण विभाग (Tribal Welfare Department) ने भी उन्‍हें संक्रमण से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं; इस पूरे इलाके में जारवा प्रोटेक्शन पोस्ट बना दी गई हैं ताकि कोई भी टूरिस्ट या स्थानीय नागरिक आदिवासियों के करीब तक ना पहुंच सके. वहीं, प्रशासन समुद्री रास्‍तों (Sea Routes) को दिनरात निगरानी कर रहा है.

    प्रशासन अंडमान निकोबार के सेंटीनल द्वीप के समुद्री रास्‍ते पर भी नजर रख रहा है.


    तबलीगी जमात के मरकज से लौटे लोगों में मिला संक्रमण
    अंडमान-निकोबार में एयरपोर्ट पर 13 मार्च से ही थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई थी. प्रशासन की कोशिशों से शुरुआत में यहां कोरोना वायरस नहीं पहुंचा, लेकिन यहां 24 मार्च को दिल्‍ली (Delhi) के निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के मरकज से आए दो लोगों को तेज बुखार के कारण अलग किया गया. दिल्‍ली से आए इस ग्रुप में 9 लोग थे. बाद में मेडिकल जांच किए जाने पर ग्रूप के सभी लोग कोरोना पॉजिटिव निकले. इन सभी को अलग-थलग कर इलाज किया जा रहा है ताकि संक्रमण यहां अपनी जड़ ना जमा पाए. प्रशासन चाहता है कि संक्रमण को आगे फैलने से पहले ही खत्‍म कर दिया जाए.

    दुनियाभर में अपनी तरह की यह आदिवासियों की अलग जनजाति अंडमान निकोबार में ही बची है. ऐसे में इन्हें बचाना बेहद जरूरी है.


    पूरी दुनिया में यहीं बची है जारवा जनजाति, बचाना जरूरी
    विशेषज्ञों का मानना है कि अपने रहन-सहन और खानपान के कारण जारवा जनजाति के लोग सामान्य आदमी के संपर्क में आने से संक्रमित हो सकते हैं. इसलिए उनमें संक्रमण फैला तो संकट बड़ा हो सकता है. दुनियाभर में अपनी तरह की यह आदिवासियों की अलग जनजाति यहीं बची है. ऐसे में इन्हें बचाना बेहद जरूरी है. वहीं, अंडमान निकोबार के सेंटीनल द्वीप पर रहने वाले आदिवासियों के बारे में कहा जाता है कि वे करीब 30 हजार साल से किसी के संपर्क में आए ही नहीं हैं. इन सभी को सरकार की ओर से विशेष सुरक्षा दी गई है. पिछले साल जारवा जनजाति के लोगों ने 27 साल के अमेरिकी व्‍यक्ति को तीर से मार गिराया था. ये अमेरिकी नागरिक स्थानीय मछुवारों की मदद से सेंटीनल द्वीप तक पहुंच गया था.

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    Tags: America, Andaman and Nicobar, China, Coronavirus, Coronavirus in India, Lockdown, Lockdown. Covid 19, Tablighi Jamaat

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