ब्रिटेन में क्यों विरोध कर रहे हैं सिख डॉक्टर?

ब्रिटेन में कुछ सिख डॉक्टरों को कोविड 19 ड्यूटी से हटाया गया. फाइल फोटो.
दुनिया भर में कोरोना वायरस की महामारी के खिलाफ सबसे बड़े योद्धा डॉक्टर माने जा रहे हैं और ऐसे में यूके में कुछ सिख डॉक्टरों को इस लड़ाई के मुख्य मोर्चे से हटाए जाने पर उनकी एसोसिएशन ने विरोध कर अपनी मांगें रखी हैं. जानिए कि सिख डॉक्टरों को क्यों लड़ाई से अलग किया गया और क्या है पूरा मामला.
- News18India
- Last Updated: May 6, 2020, 4:26 PM IST
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में सिख समुदाय (Sikh) के कई प्रमुख डॉक्टर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और वह भी ऐसे समय में, जब कोरोना वायरस (Corona Virus) की महामारी से लड़ने के लिए डॉक्टर सबसे बड़े योद्धा हैं. ये डॉक्टर इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि कोविड 19 (Covid 19) के खिलाफ युद्ध में इन्हें प्रमुख भूमिकाएं देने से मना कर दिया गया है. ऐसा क्यों हुआ है और जो कारण बताया गया है क्या वो जायज़ है? आइए जानें.
यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं (NHS) से संबद्ध कम से कम 5 डॉक्टरों को उनकी सामान्य शिफ्टों से हटा दिया गया है, ऐसी सूचना सिख डॉक्टर्स एसोसिएशन (SDA) ने दी. इन सिख डॉक्टरों को हटाने का कारण यह बताया गया है कि इन्होंने दाढ़ी शेव (Beard Shave) करने से मना किया, जिसके कारण ये डॉक्टर सुरक्षात्मक नज़रिये से 'फिट टेस्ट' (Fit Test) में फिट नहीं पाए गए. क्या सच में सिख डॉक्टर कोरोना मरीज़ों (Corona Patients) के लिए जोखिम हैं? जानें क्या है पूरा मामला.
दाढ़ी मूंछ को लेकर क्या है गाइडलाइन?
कोविड 19 के मरीज़ों का इलाज करते वक्त सख्त हिदायत है कि स्वास्थ्य सुरक्षा स्टाफ पीपीई यानी सुरक्षात्मक उपकरण पहने, जिसमें फेस मास्क भी शामिल है. सिख डॉक्टरों को हटाने के संबंध में कहा गया है कि दाढ़ी की वजह से मास्क उनके चेहरों पर ठीक से फिट नहीं होता, जिससे संक्रमण की आशंकाएं बढ़ती हैं. लेकिन, दूसरी तरफ दाढ़ी और शेव को लेकर कोई औपचारिक गाइडलाइन नहीं है.वहीं, एनएचएस की वेवसाइट पर लिखा गया है : दाढ़ी या छोटी दाढ़ी या चेहरे के अन्य बालों की वजह से पीपीई फेस मास्क पहनने में अड़चन आती है. चूंकि फेस मास्क को चेहरे पर पूरी तरह फिट होना चाहिए और इस फिट टेस्ट में पास होना ज़रूरी है.
क्या है डॉक्टरों को हटाने का मतलब?
अगर कोई डॉक्टर अपने चेहरे के बालों को शेव करने से मना करता है, तो एनएचएस के निर्देश हैं कि उसे क्लीनिकल स्टाफ की जगह गैर क्लीनिकल क्षेत्रों में शिफ्ट कर दिया जाए. सिख डॉक्टरों को उनकी अब तक की शिफ्टों से हटाकर कोविड 19 के मरीज़ों के सीधे संपर्क से दूर कर दिया गया है.

क्या फेस मास्क का विकल्प नहीं है?
हुड, हेलमेट के अलावा पीएपीआर कहे जाने वाले विशेष तरह के सुरक्षात्मक फेस मास्क विकल्प हैं, लेकिन ये महंगे विकल्प हैं. साथ ही, इनकी सप्लाई भी संकट में हैं और इनके साथ ट्रेनिंग में समय भी ज़्यादा लगता है. अब इसी शॉर्टेज को लेकर सिख डॉक्टर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्पेशलिस्ट फेस मास्क की व्यवस्था की जाना चाहिए ताकि वो अपनी दाढ़ी के साथ मुख्यधारा के काम पर लौट सकें.
सिख डॉक्टरों के तर्क
सिख डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है : 'दाढ़ी सिख समुदाय की आस्था और पहचान का प्रमुख फीचर है. चेहरे के बालों को शेव करना सिखों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है... एनएचएस को स्पेशल मास्क की व्यवस्था करना चाहिए जो चेहरे पर पूरी तरह फिट होते हैं और हवा के ज़रिए फैलने वाले वायरसों से सुरक्षा देते हैं.'
कैसे दाढ़ी बनती है मास्क के लिए अड़चन?
हेल्थकेयर कर्मचारियों के लिए जिन फेस मास्क की हिदायत दी जाती है, उनका चेहरे पर पूरी तरह फिट होना ज़रूरी है ताकि सूक्ष्म कणों के ज़रिये होने वाले संक्रमण से सुरक्षा रहे. लेकिन, दाढ़ी के कारण ये मास्क चेहरे पर पूरी तरह फिट नहीं हो पाते और मास्क से नाक, मुंह या गाल की तरफ से कोई गैप रह जाता है. हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि दाढ़ी से कोई असर नहीं पड़ता लेकिन यूके में 2015 में हुई एक रिसर्च कहती है कि छोटी दाढ़ी भी मास्क पहनने की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है.
क्या मानी गई सिख डॉक्टरों की मांग?
सिख डॉक्टरों ने अपनी धार्मिक भावनाओं के चलते विशेष फेस मास्क उपलब्ध करवाए जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए. इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस की विस्तृत रिपोर्ट कहती है कि यूके में एनएचएस ने पांच सिख डॉक्टरों को पीएपीआर मास्क मुहैया करवाए हैं. साथ ही, यह भी कहा गया है कि पीएपीआर मास्क की शॉर्टेज से जल्द ही निपटना होगा क्योंकि इस्लाम में भी दाढ़ी धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है इसलिए भविष्य में यह शॉर्टेज बड़ी समस्या हो सकती है.
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यूके की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं (NHS) से संबद्ध कम से कम 5 डॉक्टरों को उनकी सामान्य शिफ्टों से हटा दिया गया है, ऐसी सूचना सिख डॉक्टर्स एसोसिएशन (SDA) ने दी. इन सिख डॉक्टरों को हटाने का कारण यह बताया गया है कि इन्होंने दाढ़ी शेव (Beard Shave) करने से मना किया, जिसके कारण ये डॉक्टर सुरक्षात्मक नज़रिये से 'फिट टेस्ट' (Fit Test) में फिट नहीं पाए गए. क्या सच में सिख डॉक्टर कोरोना मरीज़ों (Corona Patients) के लिए जोखिम हैं? जानें क्या है पूरा मामला.
दाढ़ी मूंछ को लेकर क्या है गाइडलाइन?
कोविड 19 के मरीज़ों का इलाज करते वक्त सख्त हिदायत है कि स्वास्थ्य सुरक्षा स्टाफ पीपीई यानी सुरक्षात्मक उपकरण पहने, जिसमें फेस मास्क भी शामिल है. सिख डॉक्टरों को हटाने के संबंध में कहा गया है कि दाढ़ी की वजह से मास्क उनके चेहरों पर ठीक से फिट नहीं होता, जिससे संक्रमण की आशंकाएं बढ़ती हैं. लेकिन, दूसरी तरफ दाढ़ी और शेव को लेकर कोई औपचारिक गाइडलाइन नहीं है.वहीं, एनएचएस की वेवसाइट पर लिखा गया है : दाढ़ी या छोटी दाढ़ी या चेहरे के अन्य बालों की वजह से पीपीई फेस मास्क पहनने में अड़चन आती है. चूंकि फेस मास्क को चेहरे पर पूरी तरह फिट होना चाहिए और इस फिट टेस्ट में पास होना ज़रूरी है.
क्या है डॉक्टरों को हटाने का मतलब?
अगर कोई डॉक्टर अपने चेहरे के बालों को शेव करने से मना करता है, तो एनएचएस के निर्देश हैं कि उसे क्लीनिकल स्टाफ की जगह गैर क्लीनिकल क्षेत्रों में शिफ्ट कर दिया जाए. सिख डॉक्टरों को उनकी अब तक की शिफ्टों से हटाकर कोविड 19 के मरीज़ों के सीधे संपर्क से दूर कर दिया गया है.

चेहरे को सिर से पूरी तरह ढांकने वाले विशेष पीएपीआर मास्क की मांग सिख डॉक्टर कर रहे हैं. तस्वीर 3एम से साभार.
क्या फेस मास्क का विकल्प नहीं है?
हुड, हेलमेट के अलावा पीएपीआर कहे जाने वाले विशेष तरह के सुरक्षात्मक फेस मास्क विकल्प हैं, लेकिन ये महंगे विकल्प हैं. साथ ही, इनकी सप्लाई भी संकट में हैं और इनके साथ ट्रेनिंग में समय भी ज़्यादा लगता है. अब इसी शॉर्टेज को लेकर सिख डॉक्टर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्पेशलिस्ट फेस मास्क की व्यवस्था की जाना चाहिए ताकि वो अपनी दाढ़ी के साथ मुख्यधारा के काम पर लौट सकें.
सिख डॉक्टरों के तर्क
सिख डॉक्टर्स एसोसिएशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है : 'दाढ़ी सिख समुदाय की आस्था और पहचान का प्रमुख फीचर है. चेहरे के बालों को शेव करना सिखों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ है... एनएचएस को स्पेशल मास्क की व्यवस्था करना चाहिए जो चेहरे पर पूरी तरह फिट होते हैं और हवा के ज़रिए फैलने वाले वायरसों से सुरक्षा देते हैं.'
कैसे दाढ़ी बनती है मास्क के लिए अड़चन?
हेल्थकेयर कर्मचारियों के लिए जिन फेस मास्क की हिदायत दी जाती है, उनका चेहरे पर पूरी तरह फिट होना ज़रूरी है ताकि सूक्ष्म कणों के ज़रिये होने वाले संक्रमण से सुरक्षा रहे. लेकिन, दाढ़ी के कारण ये मास्क चेहरे पर पूरी तरह फिट नहीं हो पाते और मास्क से नाक, मुंह या गाल की तरफ से कोई गैप रह जाता है. हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि दाढ़ी से कोई असर नहीं पड़ता लेकिन यूके में 2015 में हुई एक रिसर्च कहती है कि छोटी दाढ़ी भी मास्क पहनने की सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है.
क्या मानी गई सिख डॉक्टरों की मांग?
सिख डॉक्टरों ने अपनी धार्मिक भावनाओं के चलते विशेष फेस मास्क उपलब्ध करवाए जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए. इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस की विस्तृत रिपोर्ट कहती है कि यूके में एनएचएस ने पांच सिख डॉक्टरों को पीएपीआर मास्क मुहैया करवाए हैं. साथ ही, यह भी कहा गया है कि पीएपीआर मास्क की शॉर्टेज से जल्द ही निपटना होगा क्योंकि इस्लाम में भी दाढ़ी धार्मिक भावनाओं से जुड़ी है इसलिए भविष्य में यह शॉर्टेज बड़ी समस्या हो सकती है.
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