North East में 59 विधानसभा सीटों वाले राज्य मणिपुर में भाजपानीत NDA Government मुश्किल में घिर गई है क्योंकि राज्य के डिप्टी सीएम Joykumar Singh समेत कुल नौ विधायकों ने इस्तीफे दे दिए. इनमें से 3 बीजेपी विधायकों ने Resignation देकर
कांग्रेस (Congress) पार्टी जॉइन की. राज्यसभा चुनावों (Rajya Sabha Elections) से ऐन पहले मणिपुर में भाजपा के लिए संकट की स्थिति बन गई है और कांग्रेस सरकार बनाने की दिशा में तत्पर है. अब सवाल यह है कि राज्य में भाजपा इस संकट में घिर कैसे गई.
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मणिपुर में एन बीरेन सिंह की सरकार को राज्य की इकलौती राज्यसभा सीट से भाजपा के जीतने की पूरी उम्मीद थी लेकिन अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद ये उम्मीदें भी धुंधली हुई हैं. दूसरी तरफ, ये भी कहा जा रहा है कि सीएम को भनक थी कि जॉयकुमार कुछ उठापटक करने वाले थे, लेकिन सीएम ने राज्यसभा चुनाव निपट जाने तक इंतज़ार करना ही मुनासिब समझा, जो महंगा पड़ गया.
सीएम ने छीने थे पोर्टफोलियो!
यह जो संकट सामने आया है, अस्ल में इसकी शुरूआत ठीक एक साल पहले यानी जून 2019 में हुई थी. द प्रिंट की
रिपोर्ट की मानें तो सीएम बीरेन सिंह ने जॉयकुमार से वित्त विभाग छीना था और भाजपा के मंत्री थोनगम बिस्वजीत सिंह के हाथ से पावर और पीडब्ल्यूडी पोर्टफोलियो ले लिया था. कारण यह बताया था कि 250 करोड़ रुपए की ओडी की वजह से रिज़र्व बैंक ने एसबीआई को राज्य के भुगतान रोकन को कहा था.
सीएम बीरेन के खिलाफ पली नाराज़गी
पोर्टफोलियो लिये जाने के बाद बिस्वजीत और अन्य कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तब भाजपा अध्यक्ष रहे अमित शाह से भी सीएम बीरेन सिंह का इस्तीफा लिये जाने की मांग की थी. यही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक इन नेताओं ने उत्तर पूर्व के भाजपा प्रभारी राम माधव के साथ ही उत्तर पूर्व के प्रमुख नेता हिमंता बिस्व सर्मा से भी सीएम की शिकायत की थी.
एक और खबर में कहा गया है कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि एनडीए के भीतर समस्याएं हैं. इस नेता के हवाले से कहा गया है कि भाजपा संगठन राज्य में भाजपा और एनपीपी के नाराज़ विधायकों से बातचीत कर समस्याएं सुलझाने की कोशिश कर रहा है.
कारगर नहीं रहा केंद्र का दखल!
केंद्र ने जब समझाइशें और हिदायतें दीं तब फुटबॉलर से राजनेता बने सीएम बीरेन ने बिस्वजीत का पोर्टफोलियो तो बहाल किया लेकिन जॉयकुमार का नहीं. सिविल एविएशन विभाग जॉयकुमार को थमाया गया था. इस साल 4 अप्रैल को जॉयकुमार को फिर वित्त पोर्टफोलिया दिया गया लेकिन सिर्फ चार दिन बाद फिर उनसे ले लिया गया.
पुरानी नाराज़गी भी रही वजह?
साल 2017 में भी ऐसा ही कुछ हुआ था. भाजपा की तरफ से सीएम का चेहरा के जॉयकिशन थे, जो कांग्रेस में जा मिले. फिर बिस्वजीत भाजपा का सीएम चेहरा बने लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा बीरेन सिंह के पक्ष में चली गई, जो उस वक्त कांग्रेस के इबोबी सिंह के साथ डिप्टी सीएम थे. अब बीरेन सिंह के डिप्टी सीएम ने उनकी कुर्सी के नीचे से ज़मीन खींचकर साबित किया है कि राजनीति में बिसात वही रहती है, सिर्फ मोहरे बदलते हैं.
अब स्थिति यह है कि अगर मणिपुर में 28 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार बन जाती है, तो एक रिकॉर्ड होगा. 2014 में जबसे नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, उसके बाद से उत्तर पूर्व के तकरीबन सभी राज्यों में भाजपा या उसके समर्थक ही सत्ता में हैं. अब कांग्रेस के सत्ता में आने से मणिपुर बदलाव का सूत्रधार बनेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 18, 2020, 17:22 IST