देश में जब भांग गैर कानूनी नहीं है तो गांजा और हैश क्यों?

चिलम पीता एक साधु. प्रतीकात्मक तस्वीर.
क्या आप जानते हैं कि गांजे के पौधे (Weed Plant) को अपराधों से जोड़ने और इसे सामाजिक बुराई समझने का चलन भारत में अमेरिका के दबाव में आया था? सुशांत सिंह (Sushant Singh) की मौत के बाद बॉलीवुड (Bollywood) के ड्रग्स नेक्सस (Drugs Nexus) कनेक्शन के बीच जानिए कि हंगामा है क्यों बरपा...
- News18India
- Last Updated: September 14, 2020, 3:13 PM IST
बॉलीवुड अभिनेता (Bollywood Actor) सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत (SSR Death Case) के बाद जिस मुद्दे पर तूफान खड़ा हुआ है, वो है ड्रग्स का कारोबार (Drugs Trade). इसमें भी जो सबसे ज़्यादा सवालों के घेरे में है, वो है गांजा (Weed or Marijuana). पिछले कई हज़ार सालों से भारतीय भांग के पौधे (Cannabis Plant) का तरह तरह से इस्तेमाल करते रहे हैं, जिससे गांजा भी मिलता है. मज़े की बात तो यह है कि भारत में गांजा और हशीश (Hash) का इस्तेमाल तो गैर कानूनी है लेकिन भांग का नहीं, जबकि तीनों एक ही पौधे से मिलते हैं.
होली (Holi) और महाशिवरात्रि पर भगवान शिव (Lord Shiva) का प्रसाद मानकर भांग के सेवन की परंपरा भारत में सदियों से है. भांग बेचने और खाने या पीने की इजाज़त कानूनन मिली हुई है और इसे मिठाई या ठंडाई में मिलाकर ग्रहण करने के तौर तरीके प्रचलित हैं. लेकिन इसी पौधे से मिलने वाले दूसरे पदार्थों का इस्तेमाल करने पर आपको 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना या फिर एक साल तक की जेल हो सकती है.
क्या है भांग और गांजे का माजरा?
पहले ये जानिए कि भांग और गांजा में क्या ताल्लुक है. हो सकता है कि आपमें से कई लोगों को न पता हो कि यह एक ही पौधा है. ओखली और मूसली से इस पौधे की पत्तियों को पीसकर एक चूर्ण या लेई बनाई जाती है, जो भांग की तरह इस्तेमाल होती है. जबकि मादा भांग के पौधे के फूलों, फूलों के पास की पत्तियों और तने को सुखाकर इससे गांजा बनाया जाता है. गांजे को तंबाकू की तरह पिया जाता है यानी सिगरेट या चिलम में भरकर. चरस भी इसी पौधे की देन है.ये भी पढ़ें :- क्या है वो UAPA कानून, जिसके तहत उमर खालिद हुए गिरफ्तार

क्या कहता है कानून?
साल 1985 में भारत ने नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट में भांग के पौधे यानी कैनबिस के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था. लेकिन इसकी पत्तियों को नहीं. हालांकि इससे पहले नारकोटिक्स ड्रग्स पर हुए सम्मेलन में, 1961 में, भारत ने इस पौधे को हार्ड ड्रग्स की श्रेणी में रखने का विरोध किया था, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका के दबाव में भारत को ऐसा करना पड़ा.
ये भी पढ़ें :- कैसे हैं वो दमदार 'भाभा कवच', जिन्हें एके 47 से निकली गोली भी भेद नहीं पाती
हालांकि कुछ राज्यों में भांग भी अवैध है. मसलन असम में भांग का इस्तेमाल और पज़ेशन गैर कानूनी है, तो महाराष्ट्र में भांग को उगाना, रखना, इस्तेमाल करना या उससे बने किसी भी पदार्थ का सेवन बगैर लाइसेंस के करना गैर कानूनी है. दूसरी तरफ, गुजरात ने साल 2017 में भांग को कानूनी किया.
क्या कानून से खत्म हो गया इस्तेमाल?
बेशक नहीं. सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि भारत में 3.1 करोड़ से ज़्यादा लोग यानी करीब 3 फीसदी आबादी ने साल 2018 में किसी न किसी तरह कैनबिस का इस्तेमाल किया. इज़रायल बेस्ड फर्म सीडो के एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में ही 2018 में 32.38 मीट्रिक टन कैनबिस की खपत हुई. कैनबिस को कानूनी करने की वकालत करने वाले एक थिंक टैंक की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस पर टैक्स लगा दिया जाए तो सरकार को 725 करोड़ रुपये की आय हो सकती है.
स्वदेशी और आत्मनिर्भर पौधा है भांग
जी हां. हिमालय के आसपास के राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल में यह जगह जगह उगता है. धार्मिक के अलावा इस पौधे का व्यापक इस्तेमाल भारत की चिकित्सा पद्धति में होता रहा. आयुर्वेद में कई किस्म की दवाओं और इलाज के लिए इस पौधे के तमाम हिस्सों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसके अलावा, इसका व्यापारिक पहलू भी है. टिम्बर और टेक्सटाइल में भी इस पौधे का खासा इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन कानून के बाद लाइसेंसधारी गिनी चुनी कंपनियों ने इस पौधे के उत्पादन पर कब्ज़ा कर लिया है.
ये भी पढ़ें :-
जानिए कि सचमुच कब तक हमारे पास पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन
चुनाव लड़ने वाली पहली महिला कमलादेवी हमेशा मुद्दों के लिए लड़ीं
क्या वैधानिक होना चाहिए गांजा?
भांग वैधानिक है. उसी पौधे के दूसरे हिस्सों को भारत में अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मुहिम चलती रही है. मेनका गांधी, तथागत सतपति और शशि थरूर जैसे नेता समय समय पर मैरिजुआना, वीड या हैश जैसे नामों से मशहूर इस कैनबिस को कानूनी करने का समर्थन करते रहे हैं. एक ज़माने में अमेरिका के दबाव में इसे भारत में गैर कानूनी किया गया था, लेकिन अब अमेरिका में भी हालात बदल चुके हैं.

अस्ल में, गांजे से अपराधों का जुड़ना अमेरिका की मान्यता थी, भारत की नहीं. इसलिए अमेरिका ने दबाव बनाया था और भारत को चूंकि अमेरिका से कई तरह की मदद चाहिए थी, इसलिए उसे मानना पड़ा था. अब अमेरिका में भी कई राज्यों में कैनबिस को कानूनी किया जा चुका है. लेकिन भारत अभी भी पसोपेश में है, जबकि यह उसकी संस्कृति से जुड़ा मामला भी है. अब संभव है कि मौत के मामले से जुड़ने के बाद कैनबिस के कानूनी होने की मुहिम को फिर झटका लगे.
होली (Holi) और महाशिवरात्रि पर भगवान शिव (Lord Shiva) का प्रसाद मानकर भांग के सेवन की परंपरा भारत में सदियों से है. भांग बेचने और खाने या पीने की इजाज़त कानूनन मिली हुई है और इसे मिठाई या ठंडाई में मिलाकर ग्रहण करने के तौर तरीके प्रचलित हैं. लेकिन इसी पौधे से मिलने वाले दूसरे पदार्थों का इस्तेमाल करने पर आपको 10 हज़ार रुपये तक का जुर्माना या फिर एक साल तक की जेल हो सकती है.
क्या है भांग और गांजे का माजरा?
पहले ये जानिए कि भांग और गांजा में क्या ताल्लुक है. हो सकता है कि आपमें से कई लोगों को न पता हो कि यह एक ही पौधा है. ओखली और मूसली से इस पौधे की पत्तियों को पीसकर एक चूर्ण या लेई बनाई जाती है, जो भांग की तरह इस्तेमाल होती है. जबकि मादा भांग के पौधे के फूलों, फूलों के पास की पत्तियों और तने को सुखाकर इससे गांजा बनाया जाता है. गांजे को तंबाकू की तरह पिया जाता है यानी सिगरेट या चिलम में भरकर. चरस भी इसी पौधे की देन है.ये भी पढ़ें :- क्या है वो UAPA कानून, जिसके तहत उमर खालिद हुए गिरफ्तार

भांग को ठंडाई के तौर पर परोसने की दुकानें बाकायदा लाइसेंस के साथ चलती हैं.
क्या कहता है कानून?
साल 1985 में भारत ने नारकोटिक्स और साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट में भांग के पौधे यानी कैनबिस के फल और फूल के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी में रखा था. लेकिन इसकी पत्तियों को नहीं. हालांकि इससे पहले नारकोटिक्स ड्रग्स पर हुए सम्मेलन में, 1961 में, भारत ने इस पौधे को हार्ड ड्रग्स की श्रेणी में रखने का विरोध किया था, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका के दबाव में भारत को ऐसा करना पड़ा.
ये भी पढ़ें :- कैसे हैं वो दमदार 'भाभा कवच', जिन्हें एके 47 से निकली गोली भी भेद नहीं पाती
हालांकि कुछ राज्यों में भांग भी अवैध है. मसलन असम में भांग का इस्तेमाल और पज़ेशन गैर कानूनी है, तो महाराष्ट्र में भांग को उगाना, रखना, इस्तेमाल करना या उससे बने किसी भी पदार्थ का सेवन बगैर लाइसेंस के करना गैर कानूनी है. दूसरी तरफ, गुजरात ने साल 2017 में भांग को कानूनी किया.
क्या कानून से खत्म हो गया इस्तेमाल?
बेशक नहीं. सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि भारत में 3.1 करोड़ से ज़्यादा लोग यानी करीब 3 फीसदी आबादी ने साल 2018 में किसी न किसी तरह कैनबिस का इस्तेमाल किया. इज़रायल बेस्ड फर्म सीडो के एक अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली में ही 2018 में 32.38 मीट्रिक टन कैनबिस की खपत हुई. कैनबिस को कानूनी करने की वकालत करने वाले एक थिंक टैंक की पिछले महीने की रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस पर टैक्स लगा दिया जाए तो सरकार को 725 करोड़ रुपये की आय हो सकती है.
स्वदेशी और आत्मनिर्भर पौधा है भांग
जी हां. हिमालय के आसपास के राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल में यह जगह जगह उगता है. धार्मिक के अलावा इस पौधे का व्यापक इस्तेमाल भारत की चिकित्सा पद्धति में होता रहा. आयुर्वेद में कई किस्म की दवाओं और इलाज के लिए इस पौधे के तमाम हिस्सों का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसके अलावा, इसका व्यापारिक पहलू भी है. टिम्बर और टेक्सटाइल में भी इस पौधे का खासा इस्तेमाल होता रहा है. लेकिन कानून के बाद लाइसेंसधारी गिनी चुनी कंपनियों ने इस पौधे के उत्पादन पर कब्ज़ा कर लिया है.
ये भी पढ़ें :-
जानिए कि सचमुच कब तक हमारे पास पहुंचेगी कोरोना वैक्सीन
चुनाव लड़ने वाली पहली महिला कमलादेवी हमेशा मुद्दों के लिए लड़ीं
क्या वैधानिक होना चाहिए गांजा?
भांग वैधानिक है. उसी पौधे के दूसरे हिस्सों को भारत में अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मुहिम चलती रही है. मेनका गांधी, तथागत सतपति और शशि थरूर जैसे नेता समय समय पर मैरिजुआना, वीड या हैश जैसे नामों से मशहूर इस कैनबिस को कानूनी करने का समर्थन करते रहे हैं. एक ज़माने में अमेरिका के दबाव में इसे भारत में गैर कानूनी किया गया था, लेकिन अब अमेरिका में भी हालात बदल चुके हैं.

कैनबिस पौधे के फूल.
अस्ल में, गांजे से अपराधों का जुड़ना अमेरिका की मान्यता थी, भारत की नहीं. इसलिए अमेरिका ने दबाव बनाया था और भारत को चूंकि अमेरिका से कई तरह की मदद चाहिए थी, इसलिए उसे मानना पड़ा था. अब अमेरिका में भी कई राज्यों में कैनबिस को कानूनी किया जा चुका है. लेकिन भारत अभी भी पसोपेश में है, जबकि यह उसकी संस्कृति से जुड़ा मामला भी है. अब संभव है कि मौत के मामले से जुड़ने के बाद कैनबिस के कानूनी होने की मुहिम को फिर झटका लगे.