कोई व्यक्ति लेफ्टी क्यों होता है? लेफ्टी लोगों की संख्या इतनी कम क्यों होती है? इस तरह के सवालों का जवाब देने के लिए वैज्ञानिक कई तरह की थ्योरीज़ का अध्ययन (Scientific Studies) कर रहे हैं, जिनमें से कई तरह के दिलचस्प पहलू सामने आ रहे हैं. कहा जा रहा है कि पिछली एक सदी से इस बारे में जो स्टडीज़ हो रही हैं, उनमें जेनेटिक असर यानी आनुवांशिकी प्रभाव (Genetic Influence) की भी एक थ्योरी सामने आती है.
दुनिया भर में बाएं हाथ वाले लोगों का औसत चूंकि हर इलाके में कम दिखा है, इसलिए जेनेटिक थ्योरी को तवज्जो दी जाती है. लेफ्टी होने से जुड़े सवालों के जवाब से जुड़े कुछ रोचक और जानकारी देने वाले पहलुओं को जानिए.
किस तरफ का शरीर होता है मज़बूत?
विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आप नियमित तौर पर एक बॉल को किक करते हैं तो आपको पता होगा कि पूरे शरीर में एक असंयतता दिखती है. न केवल पैरों में बल्कि आंखों, कानों और दिमाग तक में भी. विशेषज्ञ हैना फ्राइ इस तरह व्याख्या करती हैं कि अगर आप अपने हाथ की लंबाई पर अपना अंगूठा खड़ा करके पहले एक आंख से देखें और फिर दूसरी, जिस आंख से आपको अपना अंगूठा पास दिखता है, वो आंख बेहतर है.
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इसी तरह, अगर आप अपने फोन को प्राकृतिक रूप से किसी एक कान की तरफ ले जाते हैं, तो इसका मतलब ये है कि आपका वो कान बेहतर फंक्शन करता है. लेकिन, इस थ्योरी से हम ये कैसे समझें कि लेफ्टी और राइटी लोग दुनिया में बराबर क्यों नहीं पैदा होते?
कैसे हावी रहा है राइटी समुदाय?
कुछ विद्वान मानते हैं चूंकि मनुष्य कई सदियों से समाज में रहने का आदी हो चुका है, जहां दाएं हाथ के लोग ज़्यादा संख्या में रहे हैं और उन्हीं का बोलबाला रहा है. दूसरे शब्दों में काम करने या कई तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करने में ज़्यादा लोग जब दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं, तो अनुकरण के सिद्धांत से आने वाली नस्लें भी इसी तरह सीखती चली जाती हैं.

कोई व्यक्ति लेफ्टी या राइटी क्यों होता है, इस पर शोध जारी हैं.
दिमाग के दो हिस्सों की थ्योरी क्या है?
कुछ विद्वान इस बारे में मानते हैं चूंकि मस्तिष्क दो ध्रुवों में बंटा होता है इसलिए कौन सा हिस्सा किस व्यक्ति में ज़्यादा सक्रिय है, इससे तय होता है कि किसी व्यक्ति के शरीर के किस तरफ का हिस्सा ज़्यादा मज़बूत होगा या बेहतर ढंग से सक्रिय. इस थ्योरी के मुताबिक दिमाग का दायां हिस्सा शरीर के बाएं और दिमाग का बायां हिस्सा शरीर के दाएं हिस्से को नियंत्रित करता है.
इसका मतलब ये है कि अगर आपके मस्तिष्क का बायां हिस्सा ज़्यादा इस्तेमाल में है तो आपके दाएं हाथ वाले यानी राइटी होने की संभावना ज़्यादा है.
जेनेटिक्स की थ्योरी क्या है?
लेफ्टी लोगों के कम होने के मामले में एक दिलचस्प थ्योरी आनुवांशिकी की है. इस थ्योरी के मुताबिक इतिहास में बहुत पहले मानवीय मस्तिष्क के लैंग्वेज सेंटर में इस तरह का आनुवांशिक म्यूटेशन हुआ, जिससे मस्तिष्क के बाएं हिस्से के ज़्यादा सक्रिय होने की घटना हुई, जिससे राइटी लोगों की संख्या बढ़ती गई.
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यह थ्योरी अब तक साबित नहीं हुई है क्योंकि कुछ सवालों के जवाब ये थ्योरी नहीं देती. मसलन, अगर ऐसा है तो लेफ्टी माता पिता की संतानों को भी लेफ्टी होना चाहिए, लेकिन अनिवार्य तौर पर ऐसा नहीं होता. लेफ्टी होने की संभावना किस जीन के कारण बढ़ती या घटती है, इस बारे में शोध अभी जारी हैं.
इस बारे में साल 2019 में 4 लाख लोगों के रिकॉर्ड्स के आधार पर हुई रिसर्च में कहा गया कि पहली बार जेनेटिक क्षेत्र खोजा गया, जो लेफ्टी या राइटी होना तय करता है. हालांकि अन्य रिसर्चों ने कहा कि ऐसे दर्जनों जीन्स हैं, जो यह तय करने में अहम रोल अदा करते हैं.
क्या कोई और भी थ्योरी है?
कई थ्योरीज़ हैं क्योंकि लगातार शोध हो रहे हैं. एक और थ्योरी के मुताबिक एस्ट्रोजिन के लेवल और किस तरह से जन्म होता है, उससे भी यह तय हो सकता है. विज्ञान से अलग, एक सामाजिक विज्ञान की थ्योरी यह कहती है कि कई परंपराओं और संस्कृतियों में चूंकि बाएं हाथ को प्राथमिकता से इस्तेमाल करना वर्जित या खराब माना गया इसलिए सामाजिक दबाव के कारण कई ऐसे लोग राइटी हो गए, जो पैदाइशी लेफ्टी थे.
कुल मिलाकर बात यह है कि विज्ञान अभी यह तय नहीं कर पाया है कि कोई व्यक्ति लेफ्टी या राइटी होता है, तो इसमें बायोलॉजिकल प्रक्रियाएं क्या हैं. उम्मीद है कि जल्द ही विज्ञान इसका जवाब देगा और ये भी पता चल पाएगा कि कुछ व्यक्ति उभयहस्त यानी दोनों हाथों को समान रूप से इस्तेमाल करने वाले कैसे होते हैं.undefined
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Tags: Left, Science, Study
FIRST PUBLISHED : August 24, 2020, 19:44 IST