दिल्ली-एनसीआर में न्यूनतम तापमान 4-5 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की उम्मीद है. (सांकेतिक तस्वीर)
पिछले ही दिनों देश के कुछ हिस्से बाढ़ (Floods) के प्रकोप से जूझ चुके हैं और अब मौसम विशेषज्ञों (Climate Scientists) की भविष्यवाणी मानी जाए तो ठंड से जूझना पड़ सकता है. इस साल लॉकडाउन (Lockdown) के कारण लोगों को ज़रूर अपना रूटीन बदलना पड़ा हो, लेकिन मौसम अपनी रफ्तार और धुन से ही चलता रहा. हो सकता है कि जल्द ही आपको सर्दियों (Winter Season) के कपड़े निकालने पड़ें क्योंकि प्रशांत महासागर में हो रही हरकतों के कारण मौसम के पैटर्न (Weather Pattern) को देखते हुए मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है कि तुलनात्मक रूप से इस बार ठंड ज़्यादा पड़ेगी.
पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित करने वाले प्रशांत महासागर में कई तरह की हलचलों में से एक है एल नीनो दक्षिणी प्रकंपन साइकल (ENSO), जिसे समझना ज़रा टेढ़ी खीर हो सकता है. बहरहाल, इसी का एक हिस्सा है ला नीना और इसका उलट हिस्सा है एल नीनो. इन्हीं हलचलों को देखते हुए भविष्यवाणी की गई है. ये पूरा माजरा क्या है? ये जानने से पहले ज़रूरी है कि आप प्रशांत महासागर संबंधी भूगोल को थोड़ा ज़हन में रखें.
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प्रशांत महासागर के पूर्व में अमेरिका का मौसम यहां की हलचलों से प्रभावित होता है और महासागर के पश्चिम में भारत और ऑस्ट्रेलिया तक इसकी हलचलों का असर देखा जाता है. आइए, अब देखते हैं कि पैसिफिक हलचलें भारत के मौसम को इस साल कैसे प्रभावित करने जा रही हैं.
जानिए कि ENSO क्या है
प्रशांत में पानी और हवा के सतही तापमान में जो अनियमित तौर पर अंतर आते रहते हैं, उस कंडीशन को ENSO कहा जाता है. सिर्फ सतही तापमान ही नहीं बल्कि इस कंडीशन के कारण पूरी दुनिया में बारिश, तापमान और ठंड से जुड़े मौसम पैटर्न प्रभावित होते हैं.
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