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Maharishi Mahesh Yogi Death anniversary: क्या है महेश योगी की मशहूर ध्यान विधि

महर्षि महेश योगी के ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) को बहुत ही सरल विधि माना जाता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

महर्षि महेश योगी के ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) को बहुत ही सरल विधि माना जाता है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) का नाम सुनते ही उसका प्रचार करने वाले महर्षि महेश योगी (Maharishi Ma ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

महर्षि महेश योगी ने दुनिया में भर लाखों लोगों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन को सिखाया था.
यह उन्हीं के नाम से ही पहचाना जाता है जो दुनिया में आंदोलन की तरह फैला था.
इस तकनीक में ध्यान के समय एक मंत्र की ध्वनि के उच्चारण पर जोर दिया जाता है.

दुनिया भर में योग और ध्यान (Meditation) की बहुत धूम है. ध्यान पर जितने भी वैज्ञानिक शोध हुए हैं उनमें से अधिकांश में स्वीकार किया गया है कि इसका पर सकारात्मक शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है. लगभग सभी धर्म और आध्यात्मिक गुरुओं ने ध्यान के महत्व जोर दिया है. लेकिन कम लोगों का ध्यान इस बात पर जाता है कि ध्यान की भी कई तरह की विधियां हो सकती हैं. इन्हीं में से एक है ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन (Transcendental Meditation) इसे पूरी दुनिया में प्रचारित करने का काम महिर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) ने जिनकी 5 फरवरी को पुण्यतिथि है.

नाम और जन्म स्थान पर विवाद
महर्षि महेश योगी का जन्म कहां हुआ था इस पर अलग अलग बातें मिलती है. कहीं उनका जन्म स्थान छत्तीसगढ़ के रायपुर में राजिम शहर के पास पांडुका गांव बताया जाता है तो कहीं पर जबलपुर को भी उनका जन्म स्थान बताया जाता है. वहीं उनका मूल नाम महेश श्रीवास्तव या महेश प्रसाद वर्मा था, इस पर भी बहस होती रही है. उनका जन्म 12 जनवरी 1917 को हुआ था और वे कायस्थ समाज के थे, इस पर मतभेद नहीं है.

शंकराचार्य के शिष्य
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक महर्षि योगी 13 साल तक ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती के शिष्य रहे. स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती ने ही उन्हें बाल ब्रह्मचारी की उपाधि देकर उन्हें महेश योगी का नाम दे दिया. उन्होंने अपनी वसीयत में अपनी गद्दी अपने शिष्य महेश योगी को देने की बात की थी, लेकिन कायस्थ होने की वजह से उन्हें वह गद्दी नहीं दी गई.

ध्यान से टीएम आंदोलन तक
इसके बाद महेश योगी ने अपनी राह पकड़ ली. उन्होंने  दो साल का मौन व्रत रखा जिसके बाद उन्होंने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन यानि भावातीत ध्यान पद्धति की शिक्षा देना शुरू कर दिया. उन्होंने अपना अभियान पूरी दुनिया भर में चलाया जो टीएम आंदोलन में बदल गया और उनकी पहचान दुनिया भर में भारतीय ध्यान परंपरा फैलाने वाले योगी के रूप में हो गई.

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महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) ने यूरोप और अमेरिका में राम नाम की मुद्रा तक चला दी थी. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

क्या होता है ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन
ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन या भावातीत ध्यान ऐसी तकनीक है जिसमें साधक को शांति पूर्वक बैठकर मंत्रों का जाप करना होता है. ध्यान की इस तकनीक में ध्वनि पर ज्यादा जोर दिया जाता है. कहा जाता है कि इस ध्यान से व्यक्ति सहज और शांत महसूस करता है, जिससे वह अपनी एकाग्रता बढ़ा सकता है.

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शिष्यों में सेलिब्रिटी भी
महर्षि महेश योगी के शिष्यों में दुनिया भर के सेलिब्रिटी शामिल थे. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आध्यात्मिक गुरू दीपक चोपड़ा तक शामिल रहे. लेकिन उनके सबसे लोकप्रिय शष्यों में रॉक ग्रुप बीटल्स था जिसने 1968 में उनके ऋषिकेश के आश्रम का दौरा किया बताया जाता है कि इसी के बाद भी वे पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय हो गए थे.

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महर्षि महेश योगी (Maharishi Mahesh Yogi) ने 1990 के दशक में दुनिया के कई देशों के राजनीति में भी अपनी पार्टियां उतारी थीं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

चला दी थी अलग ही मुद्रा
एक वैश्विक योग गुरू का दर्जा हासिल करने वाले महेश योगी ने पूरी दुनिया में आध्यात्म का एक बहुत बड़ा साम्राज्य ही खड़ा कर दिया था. उन्होंने राम नाम की एक नई मुद्रा भी चलन में ला दी थी जो यूरोप के कुछ हिस्सों में आज भी चलन में हैं. उनकी संस्था ‘ग्लोबल कंट्री वर्ल्ड ऑफ पीस’ ने 2002 में इस मुद्रा को जारी किया था. इसे 2003 में नीदरलैंड्स ने इसे कानूनी मान्यता भी दी थी. राम मुद्रा में 1, 5 और 10 के नोट थे. उस वक्त नीदरलैंड्स के कुछ गांवों और शहरों के 100 से भी ज्यादा दुकानों में ये नोट चलते थे. अमेरिका के आइवा की महर्ष वैदिक सिटी में भी राम मुद्रा का प्रचलन था.

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महर्षि महेश योगी ने 42 देशों में नेचुरल लॉ पार्टी या एनएलपी नाम से  अपनी राजनीतिक पार्टी खड़ी की थी. अमेरिका और ब्रिटेन के चुनावों में भी इस पार्टी ने भाग लिया था. इतना ही नहीं उन्होंने भारत में भी अजेय भारत पार्टी स्थापना कर राजनीति में प्रवेश किया था और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक सीट भी जीती थी लेकिन बाद में उन्होंने राजनीति से खुद को दूर कर लिया था.

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