मंगल ग्रह (Mars) के गहन अध्ययन के प्रमुख उद्देश्यों में इस बहुत ही ठंडे ग्रह की सतह के नीचे तरल पानी (Liquid Water) की खोज भी है. अभी तक मगंल ग्रह पर कई जगह बर्फ तो देखी गई है, लेकिन तरल पानी कहीं नहीं मिला है. सतह के बहुत ठंडे होने के कारण ऐसा संभव भी नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों को सतह के नीचे तरल पानी मिलने की बहुत उम्मीदें रहीं हैं. तीन साल पहले दक्षिणी ध्रुव (South Pole of Mars) की सतह के नीचे से तरल पानी के होने के संकेत मिले थे. लेकिन उन संकेतों की सच्चाई का खुलासा हालिया अध्ययन ने किया है.
राडार संकेतों से पानी का भ्रम
साल 2018 में यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान की के पकड़े कुछ अनोखे संकेत खूब सुर्खियों में रहे थे. यान ने मंगल ग्रह के दक्षिणी गोलार्द्ध में बर्फ से ढके इलाके पर कुछ बहुत ही चमकीले राडार प्रतिबिम्बित संकेत पकड़े थे. उस समय वैज्ञानिकों को लगा था कि वे बर्फ के नीचे 1.4 किलोमीटर नीचे तरल पानी देख रहे हैं.
पानी होने की संभावना
नए अध्ययन का कहना है कि यह प्रतिबिम्ब बर्फ के नीचे दफन आग्नेय शैल की वजह से हो सकते हैं. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और टेक्सास यूनिवर्सिटी के इस्टीट्यूट ऑफ जियोफिजिक्स के ग्रह विज्ञानी सिरिल ग्रीना ने बताया, “पानी के सतह के इतने पास रहने के लिए नमकीन वातावरण के साथ ही बहुत शक्तिशाली स्थानीय ऊष्मा स्रोत की जरूरत होगी. लेकिन हम अब तक जो भी इस इलाके के बारे में जानते हैं, इस तरह का इस इलाके में कुछ भी नहीं है.”
किसने पकड़े थे संकेत
इस अध्ययन के नतीजे जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं. टीम ने मार्स एडवांस्ड राडार फॉर सबसर्फेस एंड आयनोस्फियर साउंडिंग (MARSIS) के आंकड़ों का उपयोग किया जो एक बहुल आवर्ती राडार साउंडर है. यह उपकरण मार्स एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान में लगा है. यह यान पिछले 15 सालों से मंगल की जानकारी जुटा रहा है और आज भी अच्छे से सक्रिय है.
पृथ्वी से भी मिलते हैं ऐसे संकेत
टीम ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पृथ्वी पर भी बहते लावा से बनी चट्टानें राडार से इसी तरह के संकेत प्रतिबिम्बित करती हैं. पिछले साल इसी जर्नल में एक शोधपत्र प्रकाशित हुआ था. इसमें बताया गया था कि ये रहस्यमयी संकेत मिट्टी के खनिजों की वजह से बन रहे थे.
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और भी जानकारी मिलने की उम्मीद
यॉर्क यूनिवर्सिटी के मंगल भूभौतिकविद आइजैक स्मिथ, जो इस अध्ययन में शामिल नहीं थे, का कहना है, “मुझे लगता है कि ग्रीना के काम की खास बात यही है कि यह इस विचार को तो खारिज करता है कि आज दक्षिणी ध्रुव की सतह के नीचे तरल पानी हो सकता है, लेकिन यह हमें सटीक स्थानों की भी जानकारी देता है कि हमें पुरातन झीलों और नदियों के तलों के प्रमाण कहां देखने चाहिए. इसके साथ ही यह अवधारणा का परीक्षण किया जा सकता है कि अरबों सालों से मंगल की जलवायु सूखती क्यों रही.”
राडार से भी यह उम्मीदें
डॉ सिरिल ग्रीना और डॉ आइजैकस्मिथ अब साथ मिलकर उन प्रस्तावित अभियानों पर काम कर रहे हैं जिसमें राडार से मंगल पर पानी तलाशा जाएगा. इससे भविष्य में इंसानी मंगल अभियानों के लिए उपयुक्त लैंडिंग स्थानों का पता लगाने और पिछले जीवन के संकेत खोजने में मदद मिल सकेगी.
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गौरतलब है कि मंगल ग्रह की सतह तो ठंडी है फिर भी वैज्ञानिकों को सतह के नीचे पानी होने की बहुत उम्मीदें हैं. इसकी वजह कई हैं. एक तो सौरमंडल में गुरु और शनि ग्रह के उपग्रहों में बर्फीली सतह के नीचे तरल पानी के होने की पुष्टि हुई है. इसके अलावा पृथ्वी पर मंगल ग्रह के उल्कापिंड भी बताते हैं कि वहां कभी पानी रहा होगा. ऐसे में सतह के नीचे पानी होने की बहुत उम्मीदें जताई जाती हैं.
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