मौना लोआ ज्वालामुखी (Mauna Loa Volcano) 40 साल बाद फूटा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock
हाल ही में हवाई (Hawaii Islands) को मौना लोआ ज्वालामुखी (Mauna Loa Volcano) 40 बाद फिर से फूटा है. यह दुनिया के सबसे बड़ा सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है. इस प्रस्फोट के बारे में अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी जारी कर आपातकालीन दल वहां भेजा है. अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी लावा बहुत फैला नहीं है, क्योंकि अभी यह केवल पहाड़ी के शीर्ष तक ही सीमित है, लेकिन जल्दी ही यह आसपास के लोगों को प्रभावित कर सकता है.
अभी फैला नहीं है ज्वालामुखी
यह प्रस्फुटन पहाड़ के शीर्ष क्षेत्र तक ही सीमित था जिसे कैल्डेरा कहाते हैं. यूएसजीएस का कहना है कि लावा और ज्यादा निकलता है तो वह आसपास बहुत तेजी से फैलेगा. लेकिन अभी तक तो लावा शीर्ष तक ही सीमित है. फिलहाल आसपास के लोगों को तैयार रहने को कहा है. ताकि जरूरत पड़ने पर उन्होंने जल्द से जल्द अपनी जगह से दूर ले जाया जा सके.
दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी
मौनालोआ प्रशांत महासागर के हवाई द्वीपों के उस इलाके में आता है जहां ज्वलामुखियों की सक्रियता की ज्यादा संभावना होती है. हवाई द्वीपों में छह सक्रिय ज्वालामुखी हैं और इनमें से मौना लोआ पृथ्वी पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी है. 1843 के बाद से यह 33 बार फूट चुका है. 1984 में पिछला प्रस्फोट हुआ था जो 22 दिन तक लगातार लावा उगलता रहा जो साथ किलोमीटर के इलाके में फैल गया था.
यह भी है वजह
मौना लोआ हवाई भाषा का शब्द है जिसका मतलब लंबा पहाड़ होता है. इस की कुछ रोचक विशेषताए और बड़ा आकार है इसी वह से यह दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी माना जाता है. इसकी वजह इसका आयतन और क्षेत्रफल है जो दूसरे मौना केआ जैसे ज्वालामुखियों से भी बड़ा है इसके साथ इसके हो चुके प्रस्फोट भी इसे सबसे बड़ा ज्वालामुखी माना जाता है.
क्षेत्रफल ,चौड़ाई और ऊंचाई
स्थानीय लोग इस ज्वालामुखी को एक पवित्र स्थल की तरह मानते हैं. इस ज्वालामुखी का प्रभाव क्षेत्र 5721 वर्ग किलोमीटर और चौड़ाई 120 किलोमीटर है. यह ना केवल क्षेत्र में बड़ा है बल्कि ऊंचाई में काफी प्रमुखता गिना जाता है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 4179 मीटर है. इससे निकले लावे से जमीन भी आयतन में बहुत बड़ी मानी जाती है.
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अनुसंधान के लिए रोचक ज्वालामुखी
यह लगातार बहाव वाला ज्वालामुखी जो पृथ्वी पर सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है. गठन के बाद से इसमें सबसे ज्यादा विस्फोट हुए हैं. फिर इसके विस्फोट बहुत शक्तिशाली नहीं रहे. इस तरह तमाम अनोखी विशेषताओं के कारण यह अनुसंधान का प्रिय विषय बना रहा है. गुंबद के आकार के इस ज्वालामुकी का काल्डेरा की गहराई 183 मीटर है.
चार उपसमूह क्रेटर
इस ज्वालामुखी की एक और खास बात है उसके 4 उपसमूह क्रेटर हैं. इन्हें लुआ होहोउन, लुआ होउ, ला फोहोलो और साउथ पिट नाम हैं. ये ज्वालामुखी हवाई द्वीप समूह पर दूसरा सबसे युवा है. ये टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण 3 लाख साल पहले ऑलिगोसिन युग में बने थे.
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मौना लोआ ज्वालामुखी पहले 1.6 करोड़ साल के आसपास समुद्र में शुरु हुआ था. लगातार विस्फोट और उससे लावा निकलने के कारण यह एक द्वीप में बदल गया . माना जाता है कि इसने 40 हजार साल पहले सतह पर आकर द्वीप के रूप में आकार लिया और उसके बाद से पिछले 10 हजार सालों क दौरान इसकी वृद्धि दर धीमी हो गई.
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