भारत में 24 मार्च से चल रहे लॉकडाउन के बीच सबसे बड़ी जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों के कंधों पर है. लॉकडाउन के नियमों का पालन कराने से लेकर अप्रवासी मजदूरों, गरीबों तक खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी अधिकारियों ने बखूबी निभाई है. ऐसे ही एक प्रशासनिक अधिकारी हैं स्वप्निल तेंबे. स्वप्निल भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मेघालय के ईस्ट गारो हिल्स जिले के डिप्टी कमिश्नर हैं. उन्होंने अपने जिले में लॉकडाउन के सख्त नियमों के पालन के साथ ही इस बात का पूरा खयाल रखा कि कोई गरीब व्यक्ति या अप्रवासी मजदूर भूखा न सोने पाए. गौरतलब है कि पूरे हिमालय में अब तक कोरोना के 13 मामले सामने आए हैं जिनमें से 11 स्वस्थ हो चुके हैं. राज्य में एक व्यक्ति की मौत महामारी की वजह से हुई है.
कैसे हुई शुरुआत
'शिलॉन्ग में कोरोना का पहला मामला सामने आने के बाद उससे संबंधित 6 अन्य लोग भी कोरोना पॉजिटिव मिले थे. इसकी वजह से राज्य के अन्य जिलों को सतर्कता बरतने के लिए सूचित किया गया. उस समय तक हमारे जिले में अन्य संक्रमित राज्यों से करीब 200 लोग आ चुके थे. कोई भी व्यक्ति विदेश से नहीं आया था. हमने त्वरित निर्णय लेते हुए इन लोगों को होम क्वारंटाइन किया. इस बीच हम लगातार कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुटे हुए थे. जिन लोगों को होम क्वारंटाइन किया गया था उनमें से किसी का भी कोरोना टेस्ट पॉजिटिव नहीं आया. अब हमारे जिले में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसकी ट्रैवल हिस्ट्री संदेह के घेरे में हो और उसका टेस्ट न किया गया हो'. डिप्टी कमिश्नर स्वप्लि तेंबे ये बाते द बेटर इंडिया में प्रकाशित एक स्टोरी में बताई हैं.

ईस्ट गारो हिल्स में लॉकडाउन का पालन बेहद सख्ती के साथ किया गया है.
स्वप्निल के मुताबिक किसी भी जिले के अधिकारियों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज अप्रवासी मजदूरों तक खाना पहुंचाना है. ये चैलेंज हमारे भी सामने था. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत जिले के बीपीएल कार्ड धारकों को अप्रैल, मई में फ्री राशन दिया जा चुका है और जून महीने में भी एक किलो दाल और 5 किलो चावल फ्री में देने की यह योजना गरीबों के लिए लागू रहेगी. इस व्यवस्था के तहत हम करीब 90 फीसदी ग्रामीण आबादी तक आसानी से खाना पहुंचा रहे हैं.
अप्रवासी मजदूरों की मदद थी बेहद जरूरी
राज्य में असम से आए हुए अप्रवासी मजदूर भी रहते हैं जो सामान्य तौर पर किसी स्कीम के तहत कवर नहीं किए जाते हैं. उनके लिए भी डिस्ट्रिक्ट रिलीफ फंड के तहत व्यवस्था की गई. इसके लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का सहारा लिया गया और इन अप्रवासी मजदूरों तक खाने की व्यवस्था करवाई गई. स्वप्निल के मुताबिक- मेरे पास एक दिव्यांग व्यक्ति का फोन आया जिसने बताया कि उसकी मोबाइल रिपेयर की एक छोटी दुकान भी लॉकडाउन की वजह से बंद हो गई है. वह मुश्किल में पड़ गया था. इसके बाद हमने जिले में ऐसे लोगों की तलाश की जो इस तरह की मुश्किल से जूझ रहे थे. फिर इन लोगों तक मदद पहुंचाने की व्यवस्था बनाई गई.

प्रतीकात्मक चित्र
जिले के कुछ सेल्फ ग्रुप्स के जरिए जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने की व्यवस्था की गई. लोगों तक चावल, नमक, दाल, तेल जैसी जरूरी उबभोग की वस्तुएं नियमित तौर पर पहुंचाई जाती रहीं. स्वप्निल के मुताबिक इस लॉकडाउन के समय में यह भी समझ में आया कि भारत में स्वयंसेवक समाज कितने शानदार तरीके से काम करता है.
आर्थिक मदद के प्रयास
इस दौरान प्रशासन ने सेल्को नाम के एक संगठन के जरिए कोशिश कीं कि कैसे लॉकडाउन के दौरान भी स्थानीय लोग पैसे कमाते रहें. उन्हें घर के भीतर ही काम मुहैया कराया जाए. इसके लिए राज्य सरकार ने एक प्रयास शुरू किया जिसमें सेल्फ हेल्प ग्रुप की सहायता लेकर मास्क बनाने का काम किया जाना था. जिन महिलाओं को सिलाई काम आता था उन्हें मास्क बनाने के काम में लगा दिया गया. इन महिलाओं से मास्क लेकर सरकार ने आम लोगों को फ्री में बांटना शुरू किया. महिलाओं को मास्क बनाने के लिए पैसे दिए जाते हैं. साथ ही स्थानीय युवाओं को डेलीवरी सिस्टम से जोड़ा गया जिससे मूलभूत चीजें लोगों के दरवाजों तक पहुंचाई जा सकें. रेस्टोरेंट बंद होने की वजह से लोगों तक खाना पहुंचाने के लिए टिफिन सर्विस शुरू करने के प्रयास भी किए गए.
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Tags: Corona, COVID 19, IAS, Meghalaya
FIRST PUBLISHED : May 15, 2020, 17:40 IST