जानिए कौन हैं मैट्रोमैन श्रीधरन, जिन्हें BJP ने केरल में बनाया है CM उम्मीदवार

मैट्रोमैन (Metroman ई श्रीधरन (E Sreedharan) ने देश में सार्वजनिक यातायात की सूरत बदली है, अब बीजेपी को केरल की राजनीति में उम्मीदें हैं. (फाइल फोटो)
मैट्रोमैन (Metroman) के नाम से मशहूर ई श्रीधरन (E Shreedharan) पिछले महीने ही भाजपा में शामिल हुए थे. अब उन्हें केरल (Kerala) के लिए मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 4, 2021, 5:11 PM IST
भारत में मैट्रोमैन (Metroman) के नाम से मशहूर ई श्रीधरन (E Sreedharan) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने केरल (Kerala) विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. केरल में अपना जनाधार बनाने के लिए बेचैन बीजेपी के सामने अब तक उसके लिए एक चेहरे की कमी थी. श्रीधरन इस समय दिल्ली मैट्रो रेल कॉर्पोरेशन को 24 सालो से अपनी तकनीकी सेवाएं दे रहे हैं. इस समय वे पलारीवट्टोम फ्लाईओवर को मुख्य सलाहकार हैं और हाल ही में वे बीजेपी में शामिल हुए है.
दिल्ली मैट्रो को प्रतिष्ठा दिलाई
श्रीधरन को दिल्ली मैट्रो की प्रतिष्ठा बनाने का श्रेय दिया जाता है. 88 साल के सिविल इंजीनियर श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मैट्रो के निदेशक रहे. दिल्ली मैट्रो की सूरत बदलने के बासे से उन्हें देश की सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट की सूरत बदलने के लिए जाना जाता है. वे 2001 में पद्मश्री और 2008 पद्मविभूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं.
पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन के सहपाठीश्रीधरन केरल के पलक्कड़ जिले के करुकापूथूर में 12 जून 1932 को पैदा हुए थे, जो आज थिरिथाला विधानसभा सीट में आता है. उन्होंने आंध्रप्रदेश के काकिनाड़ा में गवर्नमेंट इंजिनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. दिलचस्प बात यह है कि वे और पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन पलक्कड़ के बीईएम हाई स्कूल और विक्टोरिया कॉलेज के सहपाठी रहे हैं.

ऐसे सुर्खियों में आए पहली बार श्रीधरन
कुछ समय कोझिकोड के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के व्याख्याता रहे और 1953 में इंडियन इंजिनियरिंग सर्विसेस पास करने के बाद वे भारतीय रेल के साथ जुड़ गए. 1964 में श्रीधरन तब चर्चा में आए जब तूफान के कारण रामेश्वरम का पंबन पुल नष्ट हो गया, जिसके सुधार के लिए छह महीनों का लक्ष्य रखा गया, लेकिन श्रीधरन की अगुआई में वह 46 दिन में ही पूरा हो गया.
जब भारत में पहली बार चली थी राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन, जानिए कितनी थी खास
देश की पहली मैट्रो
1970 में भारत की पहली मैट्रो, कोलकाता मैट्रो की स्थापना में उनका योगदान डिप्टी चीफ इंजीनियर के तौर पर था. इसके बाद वे तीन सालों तक कोचीन शिपयार्ड से जुड़े रहे और शिपयार्ड के चैयरमैन और मैनिजिंग डायरेक्टर भी बने. 1987 में वे कोंकण रेलवे से जुड़े और 1990 में रिटायरमेंट के बाद भी उनकी सेवाएं जारी रखी गईं. 760 किलोमीटर लंबे इस रूट में 93 सुरंगे और 150 से ज्यादा पुल बने हैं.

दिल्ली मैट्रो से मिला यह नाम
दिल्ली मैट्रो से जुड़ने के बाद उन्होंने लगभग सभी प्रोजोक्ट समय सीमा और बजट सीमा में पूरे किए और उन्हें मैट्रोमैन की उपाधि उन्हें इसी दौरान मिली. उन्होंने दिल्ली के अलावा लखनउ, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, कोच्चि सहित देश के कई शहरों का मैट्रो रेल नेटवर्क का खाका तैयार किया है. तकनीकी कार्यों के प्रमुख रहते हुए उन्होंने ईमानदारी की मिसाल कायम की और कभी भी राजनैतिक दखलंदाजी सहन नहीं की.
इतिहास में आज पहली बार- भारत में विमान वाहक पोत ने देना शुरू की थी सेवाएं
श्रीधरन पीएम मोदी के काफी समय पहले से प्रशंसक रहे हैं. वे केरल में भी कॉन्ग्रेस और वामपंथ दोनों में से किसी से भी संतुष्ट नहीं हैं. वे लव जेहाद के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं और उनका कहना है कि चुनाव से पहले वे दिल्ली मैट्रो से इस्तीफा तो दे देंगे लेकिन अपने काम पर निगरानी जारी रखेंगे.
दिल्ली मैट्रो को प्रतिष्ठा दिलाई
श्रीधरन को दिल्ली मैट्रो की प्रतिष्ठा बनाने का श्रेय दिया जाता है. 88 साल के सिविल इंजीनियर श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मैट्रो के निदेशक रहे. दिल्ली मैट्रो की सूरत बदलने के बासे से उन्हें देश की सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट की सूरत बदलने के लिए जाना जाता है. वे 2001 में पद्मश्री और 2008 पद्मविभूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं.
पूर्व चुनाव आयुक्त शेषन के सहपाठीश्रीधरन केरल के पलक्कड़ जिले के करुकापूथूर में 12 जून 1932 को पैदा हुए थे, जो आज थिरिथाला विधानसभा सीट में आता है. उन्होंने आंध्रप्रदेश के काकिनाड़ा में गवर्नमेंट इंजिनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. दिलचस्प बात यह है कि वे और पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन पलक्कड़ के बीईएम हाई स्कूल और विक्टोरिया कॉलेज के सहपाठी रहे हैं.

श्रीधरन (E Shreedharan) को हमेशा ही उनकी ईमानदारी के लिए सराहा गया. . (फाइल फोटो: News18 English)
ऐसे सुर्खियों में आए पहली बार श्रीधरन
कुछ समय कोझिकोड के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के व्याख्याता रहे और 1953 में इंडियन इंजिनियरिंग सर्विसेस पास करने के बाद वे भारतीय रेल के साथ जुड़ गए. 1964 में श्रीधरन तब चर्चा में आए जब तूफान के कारण रामेश्वरम का पंबन पुल नष्ट हो गया, जिसके सुधार के लिए छह महीनों का लक्ष्य रखा गया, लेकिन श्रीधरन की अगुआई में वह 46 दिन में ही पूरा हो गया.
जब भारत में पहली बार चली थी राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन, जानिए कितनी थी खास
देश की पहली मैट्रो
1970 में भारत की पहली मैट्रो, कोलकाता मैट्रो की स्थापना में उनका योगदान डिप्टी चीफ इंजीनियर के तौर पर था. इसके बाद वे तीन सालों तक कोचीन शिपयार्ड से जुड़े रहे और शिपयार्ड के चैयरमैन और मैनिजिंग डायरेक्टर भी बने. 1987 में वे कोंकण रेलवे से जुड़े और 1990 में रिटायरमेंट के बाद भी उनकी सेवाएं जारी रखी गईं. 760 किलोमीटर लंबे इस रूट में 93 सुरंगे और 150 से ज्यादा पुल बने हैं.

दिल्ली मैट्रो की वजह से ही (Delhi Metro) ई श्रीधरन (E Sreedharan) को मैट्रोमैन की उपाधि मिली थी. . (प्रतीकात्मक तस्वीर)
दिल्ली मैट्रो से मिला यह नाम
दिल्ली मैट्रो से जुड़ने के बाद उन्होंने लगभग सभी प्रोजोक्ट समय सीमा और बजट सीमा में पूरे किए और उन्हें मैट्रोमैन की उपाधि उन्हें इसी दौरान मिली. उन्होंने दिल्ली के अलावा लखनउ, विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम, कोच्चि सहित देश के कई शहरों का मैट्रो रेल नेटवर्क का खाका तैयार किया है. तकनीकी कार्यों के प्रमुख रहते हुए उन्होंने ईमानदारी की मिसाल कायम की और कभी भी राजनैतिक दखलंदाजी सहन नहीं की.
इतिहास में आज पहली बार- भारत में विमान वाहक पोत ने देना शुरू की थी सेवाएं
श्रीधरन पीएम मोदी के काफी समय पहले से प्रशंसक रहे हैं. वे केरल में भी कॉन्ग्रेस और वामपंथ दोनों में से किसी से भी संतुष्ट नहीं हैं. वे लव जेहाद के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं और उनका कहना है कि चुनाव से पहले वे दिल्ली मैट्रो से इस्तीफा तो दे देंगे लेकिन अपने काम पर निगरानी जारी रखेंगे.