'मी टू' कैम्पेन में यौन शोषण के आरोपों में घिरे पूर्व केंद्रीय मंत्री और पत्रकार एमजे अकबर को दिल्ली कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने पत्रकार प्रिया रमानी पर लगाए गए एमजे अकबर के मानहानि के आरोपों को खारिज कर दिया है.
#MeToo मूवमेंट के दौरान विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर करीब 20 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. जिसके बाद उन्होंने 17 अक्टूबर यानि बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद एमजे अकबर ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था. इसी मामले में उन्हें झटका लगा है. कोर्ट ने अकबर के आरोपों को खारिज किया है.
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कौन हैं एमजे अकबर?
मोब्बशिर जावेद यानी एमजे अकबर का जन्म 11 जनवरी 1951 को बिहार में हुआ था. अकबर के पूर्वज हिंदू थे और उनके दादा का नाम प्रयाग था. उनके दादा पश्चिम बंगाल में चंदन नगर के पास जूट मिल टाउन तेलिनिपारा में रहते थे और सांप्रदायिक दंगों में वह अनाथ हो गए थे. इसके बाद उन्हें को एक मुस्लिम परिवार अपने घर ले गया.

एम जे अकबर (फाइल फोटो)
बाद में उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित कर दिया गया. उनका नाम रहमतुल्ला रखा गया. अकबर की स्कूली शिक्षा कलकत्ता के ब्वॉयज स्कूल में हुई. बाद में वे प्रेसिडेंसी कॉलेज से भी पढ़े. इस कॉलेज से उन्होंने अंग्रेजी में बीए (ऑनर्स) किया. उनकी शादी वर्ष 1975 मल्लिका जोसेफ अकबर से हुई. उनके दो संतानें मुकुलिका अकबर और प्रयाग अकबर हैं.
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ट्रेनी पत्रकार से एडिटर तक का सफर
पढ़ाई पूरी करने के बाद अकबर ने वर्ष 1971 में टाइम्स ऑफ इंडिया में ट्रेनी के तौर ज्वाइन किया. उसके बाद वो 'द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया' के साथ जुड़ गए. उस समय यह पत्रिका भारत में सबसे अधिक पढ़ी जाती थी. इस पत्रिका में सब एडिटर के तौर पर काम करते हुए उन्होंने कई अच्छी स्टोरीज़ भी लिखीं. इस पत्रिका के साथ वो 1973 तक जुड़े रहे.

एमजे अकबर (फाइल फोटो)
उसके बाद मुंबई में 'ऑनलुकर्स' के एडिटर बने. 1973 में वो कलकत्ता आ गए. यहां आनंद बाजार पत्रिका (एबीपी) की पत्रिका 'सन्डे' के एडिटर बने. 'सन्डे' की सफलता के बाद उन्होंने भारत से पहला मॉडर्न न्यूज पेपर 'द टेलीग्राफ' लॉन्च किया. इस अखबार ने भारत की पत्रकारिता पर काफी असर डाला. 1989 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और बिहार के किशनगंज से कांग्रेस (आई) के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचे. लेकिन 1991 के लोकसभा चुनाव में वो हार गए. अकबर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के अधिकारिक प्रवक्ता भी रहे.
अकबर 1991 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सलाहकार बने. लेकिन दिसंबर 1992 में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति छोड़कर फिर से पत्रकारिता करने लगे. इसके बाद 1993 में उन्होंने एक मीडिया कंपनी बनाई और फरवरी 1994 में 'द एशियन एज' न्यूज पेपर लॉन्च किया. इस पेपर का एडिशन दिल्ली, बंबई और लंदन से शुरू किया गया.

एमजे अकबर की फाइल फोटो
2008 में इसका कॉलेब्रेशन 'डेक्कन क्रॉनिकल' से हो गया. 2004 में इनके ग्रुप भारत ने 'द इंटरनेशनल हेराल्ड ट्रिब्यून' की शुरुआत की और 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' का पब्लिशिंग पार्टनर बन गया. अकबर 'द डेक्कन क्रॉनिकल' के भी एडिटर इन चीफ थे. 2005 में सऊदी अरब के किंग अब्दुल्ला ने इन्हें इस्लामी सहयोग संगठन की तरफ से मुस्लिम देशों के लिए 10 साल का चार्टर बनाने वाली कमिटी का सदस्य नियुक्त किया.
अकबर ने कई किताबें भी लिखी हैं
अकबर ने 31 जनवरी 2010 को 'द सन्डे गार्डियन' न्यूज पेपर लॉन्च किया. लेकिन 2014 में फिर से पत्रकारिता से इस्तीफा देकर वो राजनीति में आ गए.
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Tags: Central government minister, Me Too, Ministry of External Affairs, MJ Akbar, Twitter
FIRST PUBLISHED : April 10, 2019, 11:20 IST