भारत में सहकारिता आंदोलन (Cooperative Movement) का हमेशा ही गहरा प्रभाव रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
मोदी सरकार (Modi government) के कैबिनेट विस्तार (Cabinet expansion) में सहकारिता मंत्रालय (Co-operative Ministry) का बनना नई बात है. इसका प्रभार गृहमंत्री अमित शाह को दिया गया है. मंत्रीमंडल के विस्तार से पहले ही इस नए मंत्रालय को बनाने की घोषणा कर दी गई थी. सहकारिता का स्वतंत्र भारत में अपना इतिहास रहा है. यहां तक कि सहकारिता ने देश को कई कद्दावर नेता तक दिए हैं. सहकारिता आंदोलनों ने देश की राजनीति को हमेशा ही प्रभावित कर नई दिशा देने का काम किया है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर यह मंत्रालय क्या करेगा.
क्या है मंत्रालय का उद्देश्य
यह मंत्रालय देश में सहकारी समितियों के हितों की देख रेख और उनके उत्थान के लिए काम करेगा. मंत्रालय को एक अलग से प्रशासनिक, विधिक और नीतिपरक ढांचां दिया जाएगा जिससे देश में सहकारिता आंदोलन को एक मजबूत दी जा सके. सरकार का कहना है कि इस मंत्रालय को सहकार से समृद्धि के विजन के साथ बनाया गया है.
क्या है सहकारिता
अंतरराष्ट्रीय कॉऑपरेटिव गंठबंधन के मुताबिक कोऑपरेटिव लोगों पर केंद्रित उपक्रम होता है जिसे उसी के सदस्यों द्वारा संचालित किया जाता है और वे ही उसके मालिक होते हैं. उनके साझा सामाजिक आर्थिक और सांसकृतिक आवश्यकताएं एवं लक्ष्य होते हैं.
कैसे बनाई जा सकती है सहकारी समिति
भारत में 1912 के सहकारिता समिति कानून के तहत सहकारिता समिति बनाईजा सकती है जिसके लिए कम से कम 10 बालिग व्यक्तियों की जरूरत होती है जिनमें एक समान आर्थिक उद्देश्य के लिए करार कर सकें. इसमें खेती, मझले और छोटे आकार के उद्यम शामिल होते हैं. भारत में सहकारिता का लंबा इतिहास रहा है.
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