क्या वाकई एवरेस्ट की ऊंचाई हो गई है कम, जानिए कैसे होगा फैसला

हाल ही में माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की ऊंचाई में बदलाव (Change in Height) होने की बातें सामने आई हैं. (तस्वीर: Pixabay)
माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की ऊंचाई (Height) कम हो गई है. इसका कारण भूकंप (Earthquake) बताया जा रहा है.अब चीन (China) और नेपाल (Nepal) नई ऊंचाई नापकर उसकी घोषणा करेंगे.
- News18Hindi
- Last Updated: November 27, 2020, 2:45 PM IST
माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) इस समय दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है. लेकिन इसकी ऊंचाई (Height) बदलने को लेकर यह इन दिनों सुर्खियों में है. एवरेस्ट की वर्तमान ऊंचाई को लेकर चीन (China) और नेपाल (Nepal) एक साथ एक अभियान चलाने वाले हैं. कहा जा रहा है कि पिछले कुछ दशकों से भूकंप(Earthquake) और अन्य कारणों से एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव आ सकता है इसलिए इसकी ऊंचाई को फिर से नापने की जरूरत है. अब नेपाल और चीन मिलकर एवरेस्ट की ऊंचाई नापने का काम करेंगे जिससे एवरेस्ट की वर्तमान ऊंचाई की आधिकारिक तौर पर घोषणा की जाएगी.
कैसे बढ़ी सुगबुगाहट
गुरुवार को ही नेपाली मीडिया में यह खबर आई थी कि चीन के गृह मंत्री नेपाल आ रहे हैं जिसके बाद इस दिशा में दोनों देश मिलकर काम करेंगे. नेपाल सरकार ने कहा था कि एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से नापा जाएगा क्योंकि साल 2015 में आए भूकंप और अन्य कारणों से एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव हो सकता है.
क्या ऊंचाई मानी जाती है अभीइससे पहले साल 1954 में सर्वे ऑफ इंडिया ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापकर एस 8848 मीटर बताया गया था. इसके बाद 1975 में चीन के सर्वेयर ने इस ऊंचाई को नापकर इसे 8848.13 मीटर बताया था. इसी साल मई के महीने में चीनी सरकार ने एवरेस्ट की ऊंचाई फिर ने नपवाई.
क्या ऊंचाई पता लगी
तिब्बत के रास्ते एवरेस्ट पर गए एक चीनी आधिकारिक दल ने यह ऊंचाई 8844.43 मीटर आंकी है. यह ऊंचाई पूर्व निर्धारित ऊंचाई से 4 मीटर कम है. इतना ही नहीं चीन ने यहां तक कहा है कि नेपाल ने एवरेस्ट की ऊंचाई सही नहीं नापी है. नेपाली मीडिया के अनुसार नेपाल में हुए मंत्रियों की बैठक में एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से नापने का फैसला किया गया. फिलहाल यह तय नहीं है कि इस ऊंचाई की घोषणा कब होगी.
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मिलकर कर घोषणा करेंगे दोनों देश
चीन और नेपाल के बीच एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव को लेकर जानकारी की सटीकता में मतभेद दिखे इस वजह से दोनों ही मिल कर ऊंचाई नापकर आधिकारिक घोषणा करने का फैसला किया है. माउंट एवरेस्ट एक तरह से नेपाल और तिब्बत सीमा पर है, तिब्बत अब चीन का हिस्सा है. एवरेस्ट पर चढ़ाई दोनों तरफ से की जा सकती है, लेकिन माना जाता है की तिब्बत की ओर से एवरेस्ट पर चढ़ना ज्यादा आसान है और उस तरफ पर्वतारोहियों के लिए सुविधाएं भी बेहतर हैं.

कम ऊंचाई होने हैरानी की बात क्यों
एवरेस्ट की ऊंचाई की कम होना हैरानी की बात भी है. क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि भूगर्भीय गतिविधियों के कारण हिमालय पर दोनों तरफ से दबाव है जिससे वह पर्वत शृंखला ऊपर उठ रही है. भारतीय प्रयाद्वीप ही हर साल औतसन 3 सेमी उत्तर की ओर खिसक रहा है जिसका दबाव हिमालय पर पड़ता है. इन्ही वजहों से हिमालय तीव्र भूकंप संभावित इलाको में आता है.
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ऐसे में एवरेस्ट की ऊंचाई का कम होने हैरान कर सकता है. इसकी वजह या तो गलत मापन या फिर किसी वजह से एवरेस्ट की चोटी का ऊपरी हिस्से का टूट जाना हो सकता है. दूसरी संभावना की जानकारी नहीं आई है यानि ऐसा कुछ नहीं है. अब साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप का एवरेस्ट की ऊंचाई पर क्या असर हुआ होगा यह भी शोध का विषय हो सकता है. बहराल ऊंचाई की पुष्टि एक अच्छा ही कदम साबित होगा.
कैसे बढ़ी सुगबुगाहट
गुरुवार को ही नेपाली मीडिया में यह खबर आई थी कि चीन के गृह मंत्री नेपाल आ रहे हैं जिसके बाद इस दिशा में दोनों देश मिलकर काम करेंगे. नेपाल सरकार ने कहा था कि एवरेस्ट की ऊंचाई को फिर से नापा जाएगा क्योंकि साल 2015 में आए भूकंप और अन्य कारणों से एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव हो सकता है.
क्या ऊंचाई मानी जाती है अभीइससे पहले साल 1954 में सर्वे ऑफ इंडिया ने माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई नापकर एस 8848 मीटर बताया गया था. इसके बाद 1975 में चीन के सर्वेयर ने इस ऊंचाई को नापकर इसे 8848.13 मीटर बताया था. इसी साल मई के महीने में चीनी सरकार ने एवरेस्ट की ऊंचाई फिर ने नपवाई.
#China is ultimately having its way with #Nepal over a contentious project to measure the height of #MountEverest.
All those sacrifices and hard work by Nepal’s surveyors for a ‘project of national pride’ will come to naught now with China getting set to share the credit. pic.twitter.com/H3Pnur9sjJ— Sujan Dhakal (@SujanDhakal90) November 24, 2020
क्या ऊंचाई पता लगी
तिब्बत के रास्ते एवरेस्ट पर गए एक चीनी आधिकारिक दल ने यह ऊंचाई 8844.43 मीटर आंकी है. यह ऊंचाई पूर्व निर्धारित ऊंचाई से 4 मीटर कम है. इतना ही नहीं चीन ने यहां तक कहा है कि नेपाल ने एवरेस्ट की ऊंचाई सही नहीं नापी है. नेपाली मीडिया के अनुसार नेपाल में हुए मंत्रियों की बैठक में एवरेस्ट की ऊंचाई फिर से नापने का फैसला किया गया. फिलहाल यह तय नहीं है कि इस ऊंचाई की घोषणा कब होगी.
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मिलकर कर घोषणा करेंगे दोनों देश
चीन और नेपाल के बीच एवरेस्ट की ऊंचाई में बदलाव को लेकर जानकारी की सटीकता में मतभेद दिखे इस वजह से दोनों ही मिल कर ऊंचाई नापकर आधिकारिक घोषणा करने का फैसला किया है. माउंट एवरेस्ट एक तरह से नेपाल और तिब्बत सीमा पर है, तिब्बत अब चीन का हिस्सा है. एवरेस्ट पर चढ़ाई दोनों तरफ से की जा सकती है, लेकिन माना जाता है की तिब्बत की ओर से एवरेस्ट पर चढ़ना ज्यादा आसान है और उस तरफ पर्वतारोहियों के लिए सुविधाएं भी बेहतर हैं.

एवरेस्ट (Mount Everest) की ऊंचाई की घोषणा चीन (China) और नेपाल (Nepal) एक साथ करेंगे. (तस्वीर: Pixabay)
कम ऊंचाई होने हैरानी की बात क्यों
एवरेस्ट की ऊंचाई की कम होना हैरानी की बात भी है. क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि भूगर्भीय गतिविधियों के कारण हिमालय पर दोनों तरफ से दबाव है जिससे वह पर्वत शृंखला ऊपर उठ रही है. भारतीय प्रयाद्वीप ही हर साल औतसन 3 सेमी उत्तर की ओर खिसक रहा है जिसका दबाव हिमालय पर पड़ता है. इन्ही वजहों से हिमालय तीव्र भूकंप संभावित इलाको में आता है.
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ऐसे में एवरेस्ट की ऊंचाई का कम होने हैरान कर सकता है. इसकी वजह या तो गलत मापन या फिर किसी वजह से एवरेस्ट की चोटी का ऊपरी हिस्से का टूट जाना हो सकता है. दूसरी संभावना की जानकारी नहीं आई है यानि ऐसा कुछ नहीं है. अब साल 2015 में नेपाल में आए भूकंप का एवरेस्ट की ऊंचाई पर क्या असर हुआ होगा यह भी शोध का विषय हो सकता है. बहराल ऊंचाई की पुष्टि एक अच्छा ही कदम साबित होगा.