दो सगी बहनों से आसाराम और नारायण साईं सालों करते रहे रेप, काले कारनामों की पूरी कहानी

बेटे नारायण साईं के साथ आसाराम
नारायण साईं को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक दुराचार), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (षड्यंत्र) के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
- News18Hindi
- Last Updated: April 30, 2019, 7:15 PM IST
गुजरात के एक धर्मांध पिता ने अपने पूजनीय आसाराम बापू के आश्रम को अपनी दोनों बेटियों को एक-एक कर के सेवा के लिए भेज दिया. आश्रम ने बड़ी बेटी को अहमदाबाद के आश्रम में रखा था. लेकिन जब कुछ सालों बाद धर्मांध पिता ने छोटी बेटी को आश्रम भेजने की पेशकश की तो उसे अहमदाबाद के आश्रम नहीं भेजा गया. बताया गया कि छोटी बेटी की जरूरत जहांगीरपुरा के आश्रम में है.
दरअसल, अहमदाबाद के आश्रम का नेतृत्व आसाराम करता था, ज्यादातर समय भी वह इसी आश्रम में बिताता था. लेकिन बेटे नारायण साईं के पास जहांगीरपुरा आश्रम की जिम्मेदारी थी. वह अपना समय जहांगीरपुरा आश्रम में ही गुजारता था. दोनों बहनों की ओर से लगाए गए आरोपों के अनुसार दोनों के साथ शुरुआती कुछ महीनों में आश्रम के कई तरह के काम कराए गए. दोनों बहनें बताती हैं कि शुरुआती कुछ दिनों तक उन्हें तरह-तरह बताया जाता था कि आसाराम और नारायण साईं ईश्वरीय रूप हैं. उनके करीब रहना ईश्वर को प्राप्त करने जैसा है.
ब्रेनवॉश करती थी ये दो साधिकाएं, शारीरिक संबंध को बताती थीं पूजा
आरोप पत्र के अनुसार दोनों बहनों के ब्रेनवॉश के लिए धर्मिष्ठा उर्फ गंगा और भावना उर्फ जमुना को जिम्मेदारी दी गई थी. दोनों बहनें बताती हैं, गंगा-जमुना ने शुरुआत से ही ऐसी बातें और कर्तबों का मायाजाल बिछाया कि लड़कियों के दिमागी तौर पर कैदी बना लिया. दोनों को यह विश्वास दिलाया गया कि उनका जीवन केवल आसाराम और नारायण साईं के साथ शारीरिक संबंध बनाकर ही सार्थक साबित हो सकता है.
1997 से 2006 तक आसाराम की अंधेरी कुटिया में ढकेली जाती रही बड़ी बहन
1997 के शुरुआती महीनों में पहली बार बड़ी बहन को आसाराम के अहमदाबाद वाले आश्रम की अंधेरी कुटिया में भेज दिया गया. शुरुआती कुछ दिनों तक युवती ने इसे ही अपनी किस्मत मान लिया. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, आसाराम क्रूर होता गया. लड़की के साथ शारीरिक शोषण से ज्यादा शोषण होने लगे. ऐसा बर्ताव किया जाने लगा जैसे वह यौन दासी हो.
2002 से 2005 तक शिष्या से रेप का दोषी साबित हुआ नारायण साईं
साल बीतते गए और 2002 के शुरआती महीनों में बड़ी बहन से कार्यक्रम मुलाकात के दौरान छोटी बहन ने भी वही शिकायत की, जिससे बड़ी बहन रोजाना दो चार हो रही थी. बड़ी बहन पहले से इससे आजिज आ चुकी थी. लेकिन उनके पास कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था.
ये भी पढ़ें- आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं ने कैसे खड़ी की 5000 करोड़ की संपत्ति
करीब 2004 में सबकुछ सोचने-विचारने के बाद दोनों बहनों ने खुद से साथ हो रहे सलूक का विरोध करना शुरू किया. लेकिन तब प्यार से पेश आने वाले आसाराम के आश्रम का साधक पवन उर्फ हनुमान का क्रूर रूप देखने को मिला. दोनों बहनों का अरोप है इस शख्स और दोनों साधिकाओं ने दोनों बहनों को बाद में कैद कर लिया था. इनके साथ आए दिन मारपीट की जाती थी. जान से मारने की धमकी देकर कई अंधेरी कुटियाओं में धकेला गया.

बड़ी बहन के साथ आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में यह गंदा खेल 1997 से 2006 तक चलता रहा. जबकि छोटी बहन के साथ आसाराम का बेटे नारायण साईं जहांगीरपुरा आश्रम में साल 2002 से 2005 तक दुष्कर्म करता रहा. बाद में किसी तरह दोनों बहनें आश्रम से निजात पाने में सफल रहीं. लेकिन जिस स्तर की मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना वह झेल कर बाहर की दुनिया में आईं थी वह किसी नजर मिलाने में डरने लगीं थी.
आसान नहीं आसाराम के खिलाफ रेप का आरोप लगाना
सालों लगे दोनों को फिर से आम जिंदगी की तरफ लौटने में. फिर सालों लगे इस फैसले तक पहुंचने में कि वे अपने साथ हुए अन्याय के लिए न्याय का दरवाजा खटखटाएंगी. आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ जाने के फैसले से लेकर दोनों को कोर्ट में नंगा करने तक में इन दोनों बहनों को बहुत संघर्ष करना पड़ा. क्योंकि पुलिस को रिश्वत की पेशकश, गहावों-सबूतों को खरीदने की कोशिश, गवाहों की हत्या, अपने अनुयायियों के जरिए पूरे समाज पर दबाव बनाने की कोशिश और दोनों बहनों के परिवार वालों को कष्ट पहुंचाने से लेकर हर तरह की कारस्तानियां इस बाबा और उसके सहयोगियों ने की.
ये भी पढ़ें- बेटा ही नहीं आसाराम बापू भी रेप मामले में दोषी, कई सालों से है सलाखों के पीछे
लेकिन आज (मंगलवार, 30 अप्रैल) शिष्या से रेप मामले में सूरत की सत्र न्यायालय ने 47 साल के नारायण साईं को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. अदालत ने नारायण साईं को आईपीसी के धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक दुराचार), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (षड्यंत्र) में पहले ही दोषी करार दे दिया था. जबकि उसके पिता को पहले इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है.

उल्लेखनीय है इस मामले में फैसले तक पहुंचने में अदालत को सूरत पुलिस की ओर से साईं खिलाफ दायर किए गए 1,100 पन्नों का आरोप पत्र और कई गवाहों-सबूतों की कई परतों से होकर गुजरना पड़ा. इसमें उसकी नारायण साईं की पत्नी के आरोपों ने अहम भूमिका निभाई.
नारायण साईं की पत्नी ने कहा, मेरे सामने बनाया नाजायज संबंध
नारायण साई की पत्नी जानकी ने इंदौर के खजराना में 19 सितंबर 2015 को एक मामला दर्ज कराया था. यह वो दौर था जब दोनों बहनें न्याय के लिए कोर्ट में आसाराम और नारायण साईं खिलाफ लड़ रही थीँ. जबकि बहुतेरे आसाराम के भक्तों के कोपभाजन का शिकार हो रही थीं.
लेकिन उसी बीच नारायण साईं की पत्नी के आरोपों ने इस केस का रुख बदल दिया था. नारायण साईं की पत्नी कहा था कि उसका पति उसके सामने ही आश्रम की कई युवतियों महिलाओं के सामने यौन संबंध बनाता था. एक बार तो एक साधिका के साथ नाजायज संबंधों के चलते एक संतान भी पैदा हो गई थीं. साधिका राजस्थान की रहने वाली है.
साध्वी रेप केस : नारायण साईं को उम्रकैद की सजा, एक लाख का जुर्माना
दरअसल, अहमदाबाद के आश्रम का नेतृत्व आसाराम करता था, ज्यादातर समय भी वह इसी आश्रम में बिताता था. लेकिन बेटे नारायण साईं के पास जहांगीरपुरा आश्रम की जिम्मेदारी थी. वह अपना समय जहांगीरपुरा आश्रम में ही गुजारता था. दोनों बहनों की ओर से लगाए गए आरोपों के अनुसार दोनों के साथ शुरुआती कुछ महीनों में आश्रम के कई तरह के काम कराए गए. दोनों बहनें बताती हैं कि शुरुआती कुछ दिनों तक उन्हें तरह-तरह बताया जाता था कि आसाराम और नारायण साईं ईश्वरीय रूप हैं. उनके करीब रहना ईश्वर को प्राप्त करने जैसा है.
ब्रेनवॉश करती थी ये दो साधिकाएं, शारीरिक संबंध को बताती थीं पूजा
आरोप पत्र के अनुसार दोनों बहनों के ब्रेनवॉश के लिए धर्मिष्ठा उर्फ गंगा और भावना उर्फ जमुना को जिम्मेदारी दी गई थी. दोनों बहनें बताती हैं, गंगा-जमुना ने शुरुआत से ही ऐसी बातें और कर्तबों का मायाजाल बिछाया कि लड़कियों के दिमागी तौर पर कैदी बना लिया. दोनों को यह विश्वास दिलाया गया कि उनका जीवन केवल आसाराम और नारायण साईं के साथ शारीरिक संबंध बनाकर ही सार्थक साबित हो सकता है.

1997 से 2006 तक आसाराम की अंधेरी कुटिया में ढकेली जाती रही बड़ी बहन
1997 के शुरुआती महीनों में पहली बार बड़ी बहन को आसाराम के अहमदाबाद वाले आश्रम की अंधेरी कुटिया में भेज दिया गया. शुरुआती कुछ दिनों तक युवती ने इसे ही अपनी किस्मत मान लिया. लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, आसाराम क्रूर होता गया. लड़की के साथ शारीरिक शोषण से ज्यादा शोषण होने लगे. ऐसा बर्ताव किया जाने लगा जैसे वह यौन दासी हो.
2002 से 2005 तक शिष्या से रेप का दोषी साबित हुआ नारायण साईं
साल बीतते गए और 2002 के शुरआती महीनों में बड़ी बहन से कार्यक्रम मुलाकात के दौरान छोटी बहन ने भी वही शिकायत की, जिससे बड़ी बहन रोजाना दो चार हो रही थी. बड़ी बहन पहले से इससे आजिज आ चुकी थी. लेकिन उनके पास कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था.
ये भी पढ़ें- आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं ने कैसे खड़ी की 5000 करोड़ की संपत्ति
करीब 2004 में सबकुछ सोचने-विचारने के बाद दोनों बहनों ने खुद से साथ हो रहे सलूक का विरोध करना शुरू किया. लेकिन तब प्यार से पेश आने वाले आसाराम के आश्रम का साधक पवन उर्फ हनुमान का क्रूर रूप देखने को मिला. दोनों बहनों का अरोप है इस शख्स और दोनों साधिकाओं ने दोनों बहनों को बाद में कैद कर लिया था. इनके साथ आए दिन मारपीट की जाती थी. जान से मारने की धमकी देकर कई अंधेरी कुटियाओं में धकेला गया.

बड़ी बहन के साथ आसाराम के अहमदाबाद आश्रम में यह गंदा खेल 1997 से 2006 तक चलता रहा. जबकि छोटी बहन के साथ आसाराम का बेटे नारायण साईं जहांगीरपुरा आश्रम में साल 2002 से 2005 तक दुष्कर्म करता रहा. बाद में किसी तरह दोनों बहनें आश्रम से निजात पाने में सफल रहीं. लेकिन जिस स्तर की मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना वह झेल कर बाहर की दुनिया में आईं थी वह किसी नजर मिलाने में डरने लगीं थी.
आसान नहीं आसाराम के खिलाफ रेप का आरोप लगाना
सालों लगे दोनों को फिर से आम जिंदगी की तरफ लौटने में. फिर सालों लगे इस फैसले तक पहुंचने में कि वे अपने साथ हुए अन्याय के लिए न्याय का दरवाजा खटखटाएंगी. आसाराम और उसके बेटे के खिलाफ जाने के फैसले से लेकर दोनों को कोर्ट में नंगा करने तक में इन दोनों बहनों को बहुत संघर्ष करना पड़ा. क्योंकि पुलिस को रिश्वत की पेशकश, गहावों-सबूतों को खरीदने की कोशिश, गवाहों की हत्या, अपने अनुयायियों के जरिए पूरे समाज पर दबाव बनाने की कोशिश और दोनों बहनों के परिवार वालों को कष्ट पहुंचाने से लेकर हर तरह की कारस्तानियां इस बाबा और उसके सहयोगियों ने की.
ये भी पढ़ें- बेटा ही नहीं आसाराम बापू भी रेप मामले में दोषी, कई सालों से है सलाखों के पीछे
लेकिन आज (मंगलवार, 30 अप्रैल) शिष्या से रेप मामले में सूरत की सत्र न्यायालय ने 47 साल के नारायण साईं को आजीवन कारावास की सजा सुना दी. अदालत ने नारायण साईं को आईपीसी के धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक दुराचार), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120 बी (षड्यंत्र) में पहले ही दोषी करार दे दिया था. जबकि उसके पिता को पहले इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है.

उल्लेखनीय है इस मामले में फैसले तक पहुंचने में अदालत को सूरत पुलिस की ओर से साईं खिलाफ दायर किए गए 1,100 पन्नों का आरोप पत्र और कई गवाहों-सबूतों की कई परतों से होकर गुजरना पड़ा. इसमें उसकी नारायण साईं की पत्नी के आरोपों ने अहम भूमिका निभाई.
नारायण साईं की पत्नी ने कहा, मेरे सामने बनाया नाजायज संबंध
नारायण साई की पत्नी जानकी ने इंदौर के खजराना में 19 सितंबर 2015 को एक मामला दर्ज कराया था. यह वो दौर था जब दोनों बहनें न्याय के लिए कोर्ट में आसाराम और नारायण साईं खिलाफ लड़ रही थीँ. जबकि बहुतेरे आसाराम के भक्तों के कोपभाजन का शिकार हो रही थीं.
लेकिन उसी बीच नारायण साईं की पत्नी के आरोपों ने इस केस का रुख बदल दिया था. नारायण साईं की पत्नी कहा था कि उसका पति उसके सामने ही आश्रम की कई युवतियों महिलाओं के सामने यौन संबंध बनाता था. एक बार तो एक साधिका के साथ नाजायज संबंधों के चलते एक संतान भी पैदा हो गई थीं. साधिका राजस्थान की रहने वाली है.
साध्वी रेप केस : नारायण साईं को उम्रकैद की सजा, एक लाख का जुर्माना