यह सेंटइनल-6 माइकल फ्रेयलिक (sentinel-6 michael freilich) सैटेलाइट पर्यावरण (Envrionment) के लिहाज से बहुत ही उपयोगी सैटेलाइट है. (तस्वीर: NASA/JPL-CaltechSpaceX)
यूं तो अंतरिक्ष (Space) में कई तरह के सैटेलाइट (Satellite) आए दिन प्रक्षेपित होते रहते हैं. इनमें से कई पृथ्वी (Earth) का अध्ययन करने के लिए होते हैं. ऐसा ही एक सैटेलाइट हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) और यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने मिल कर प्रक्षेपित किया है. सेंटियल-6 माइकल फ्राइलिक नाम का यह सैटेलाइट पृथ्वी के महासागरों (Oceans) पर खास तौर पर नजर रखेगा. इस सैटेलाइट से पृथ्वी के महासागरों के समुद्रतल (Sea Level) की जानकारी के आंकड़े जमा किए जाएंगे.
इसलिए किया गया है डिजाइन
यह अमेरिकी-यूरोपीय सैटेलाइट दशकों तक पूरी दुनिया के महासागरों को समुद्री तल की ऊंचाइयों का मापन करने के लिए डिजाइन किया गया है. इस प्रक्षेपण इसी शनिवार कैलीफोर्निया से पृथ्वी की कक्षा के लिए प्रक्षेपित किया गया है.
इस बार यह बात रही प्रक्षेपण में खास
स्पेसएक्स फॉल्कन 9 रॉकेट ने सैटेलाइट को वैडनबर्ग एयर फोर्स बेस से भारतीय समयानुसार रात 10.47 बजे छोड़ा था जो दक्षिण की ओर प्रशांत महासागर के ऊपर उड़ता हुआ अंतरिक्ष में गया. फॉल्कन का पहली स्टेज समुद्र में गिरने की जगह लॉच साइट पर वापस आ गई थी और अब उसका फिर से उपयोग किया जाएगा.
दो सैटलाइट का पहला भाग
सेंटियल-6 माइकल फ्राइलिक इसके एक घंटे के बाद दूसरी अवस्था में एक घंटे बाद उसकी कक्षा में छोड़ा गया. इसके बाद इस सैटेलाइट के सोलर पैनल खुल गए और इसका आलास्का के ग्राउंड स्टेशनल पर पहला संपर्क हुआ. यह सैटेलाइट विशेष तौर पर महासागरों की निगरानी के लिए तैयार किया गया है कि लेकिन इसका सैन्य उपयोग नहीं होगा. इसका दूसरा हिस्सा पांच साल बाद प्रक्षेपित किया जाएगा और यह 2030 तक आंकड़े जमा करेगा.
New Copernicus #Sentinel6 satellite to monitor sea-level rise launched: https://t.co/diEOAWTWl5 #SpaceCare #Space4Climate pic.twitter.com/YgN3PZriRX
— ESA (@esa) November 21, 2020
Our planet is changing. Our ocean is rising. And it affects us all. A new international satellite will continue the decades-long watch over our ocean to help us better understand how climate change is reshaping Earth. Get to know the mission #SeeingtheSeas https://t.co/tDKXMfDdHO pic.twitter.com/Rsrihitlhz
— NASA Earth (@NASAEarth) October 7, 2020
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