NASA ने ISS पर उगाई मूलियां, जानिए क्या है इसकी अहमियत

इटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के बारे में माना जार हा है कि यह साल 2030 तक काम कर सकता है. (तस्वीर : @Space_Station)
नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS पर मूलियां (Radish) उगाने में सफलता हासिल की है जो भविष्य में लंबी दूरी की अंतरिक्ष यात्राओं (Space Travels) के लिहाज से बहुत अहम मानी जा रही है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 5:40 PM IST
इस समय अमेरिका (USA) की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) और दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियां लंबे अंतरिक्ष अभियानों (Long Space Journey) की तैयारी में लगी हैं. इसके साथ ऐसे शोध भी चल रहे हैं जिससे इंसान लंबे समय तक अंतरिक्ष (Space), चंद्रमा (Moon) या मंगल ग्रह (Mars) पर रह सके. लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था. इस दिशा में नासा के अंतरिक्ष यात्रियों ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में मूली (Radish) उगाने में सफलता पाई है.
अब तक नहीं थी ऐसी जरूरतें
अभी तक अंतरिक्ष यात्रियों को केवल छोटे समय के लिए ही अंतरिक्ष में भेजा जाता था. इस यात्रा के लिए वे पृथ्वी से ही अपने लिए तैयार और खास भोजन अपने साथ ले जाते थे. लेकिन अगर चंद्रमा पर इंसानों को लंबे समय के लिये ठहराना है और अगर मंगल या किसी अन्य लंबे अभियान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को जाना होगा तब उनके लिए भारी मात्रा में भोजन लेकर जाना संभव नहीं होगा.
लंबी यात्राओं के साथ चुनौतीऐसे में यह जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे अंतरिक्ष में ही भोजन तैयार करने की व्यवस्था हो सके. लंबी दूरी वाले अभियानों में यात्री एक ही तरह का भोजन नहीं खा सकेंगे. उन्हें इससे तनाव हो सकता है. अकेले मंगल पर जाकर आने में ही दो से ढाई साल का समय लगेगा. इसी लिए नासा ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भोजन से संबंधित कई तरह के प्रयोग शुरू किए जिसमें हाल ही में मूली उगाने में सफलता एक बड़ा कम माना जा रहा है.
इन तकनीकों का साथ
अंतरिक्ष में ले जाए जाने वाले सामान के साथ वजन एक बहुत ही बड़ी समस्या है. इसलिए वैज्ञानिक यह कोशिश कर रहे हैं कि कैसे कम से कम मिट्टी में पौधै उगाए जा सकें. इसके लिए हाइड्रोपोनिक्स (सीधे जड़ों को पानी देना) और एरोपोनिक्स (नम माहौल में पौधे उगाना) तकनीक उपलब्ध है.
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अंतरिक्ष यात्रियों को पैकेज भोजन देना अब समाधान नहीं रहने वाला है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों का वजन घटना भी एक समस्या पाई गई है. ऐसे में लंबी यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मूली का सफलतापूर्वक उगना एक अच्छी खबर है.
अब तक नहीं थी ऐसी जरूरतें
अभी तक अंतरिक्ष यात्रियों को केवल छोटे समय के लिए ही अंतरिक्ष में भेजा जाता था. इस यात्रा के लिए वे पृथ्वी से ही अपने लिए तैयार और खास भोजन अपने साथ ले जाते थे. लेकिन अगर चंद्रमा पर इंसानों को लंबे समय के लिये ठहराना है और अगर मंगल या किसी अन्य लंबे अभियान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को जाना होगा तब उनके लिए भारी मात्रा में भोजन लेकर जाना संभव नहीं होगा.
लंबी यात्राओं के साथ चुनौतीऐसे में यह जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे अंतरिक्ष में ही भोजन तैयार करने की व्यवस्था हो सके. लंबी दूरी वाले अभियानों में यात्री एक ही तरह का भोजन नहीं खा सकेंगे. उन्हें इससे तनाव हो सकता है. अकेले मंगल पर जाकर आने में ही दो से ढाई साल का समय लगेगा. इसी लिए नासा ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भोजन से संबंधित कई तरह के प्रयोग शुरू किए जिसमें हाल ही में मूली उगाने में सफलता एक बड़ा कम माना जा रहा है.
पौधे उगाने पर खास जोरनासा इस तरह के शोध में बहुत अधिक निवेश कर रहा है जिससे अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष की माइक्रोग्रेविटी और पृथ्वी के बाहर की जमीन में पौधे उगा सकें. पिछले महीने नासा की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्री केट रूबिन्स ने 20 मूली के पौधों की तस्वीरें शेयर कीं जो उन्होंने ISS के एडवांस प्लांट हैबिटेट में उगाए हैं. यह नासा का प्लांट हैबिटेट-02 (PH-02) प्रयोग का हिस्सा है जो माइक्रोग्रैविटी के हालातों में पौधे उगाने संबंधी अध्ययन के लिए किया गया था. मूली का चयन वैज्ञानिकों ने इसलिए किया क्योंकि वे इससे भली भांति परिचित हैं और उन्हें केवल 27 दिन में ऊगाया जा सकता है.केवल कुछ हजार रुपये में बना सकते हैं आप ESA का छोटा रोवरपहली बार नहीं हुआ येलेकिन यह पहली बार नहीं है कि वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में पौधे उगाए हैं. इसेस पहले वे साल 2014 से 2016 के बीच में पत्ता गोभी भी ऊगा चुके हैं. इससे प्रेरित होकर एक वेजी सिस्टम बनाया जो प्लांट पिलो (Plant Pillow) से बना होता है. इसमें एलईडी लाइट के साथ पानी इंजेक्शन से देने का सिस्टम भी होता है. पत्तागोभी की फसल 33 से 56 दिन तक पनपती रही.Radishes grow fast, but maybe not this fast! Check out one month of @Space_Station radish growth in 10 seconds.Radishes are used for the Plant Habitat-02 study because they're nutritious, grow quickly and are genetically similar to Arabidopsis, a plant often studied in space. pic.twitter.com/f3c8urlCei
— ISS Research (@ISS_Research) December 1, 2020
Today’s @Space_Station radish harvest is complete!NASA astronaut Kate Rubins prepped the radishes for their journey back to Earth, where scientists will analyze them. Astronauts will soon grow a second crop of the vegetables for even more science! pic.twitter.com/hUfUaoSn0I
— ISS Research (@ISS_Research) November 30, 2020
इन तकनीकों का साथ
अंतरिक्ष में ले जाए जाने वाले सामान के साथ वजन एक बहुत ही बड़ी समस्या है. इसलिए वैज्ञानिक यह कोशिश कर रहे हैं कि कैसे कम से कम मिट्टी में पौधै उगाए जा सकें. इसके लिए हाइड्रोपोनिक्स (सीधे जड़ों को पानी देना) और एरोपोनिक्स (नम माहौल में पौधे उगाना) तकनीक उपलब्ध है.
अंतरिक्ष में हार्ट अटैक जैसी स्थिति में एक दूसरे को कैसे बचाएंगे एस्ट्रोनॉट्स
अंतरिक्ष यात्रियों को पैकेज भोजन देना अब समाधान नहीं रहने वाला है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रियों का वजन घटना भी एक समस्या पाई गई है. ऐसे में लंबी यात्रा के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के लिए मूली का सफलतापूर्वक उगना एक अच्छी खबर है.