ब्रह्माण्ड के विस्तार (Expansion of Universe) की व्याख्या में डार्क मैटर से गुरुत्व के सिद्धांत को चुनौती मिलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ब्रह्माण्ड (Universe) के कई रहस्य अनसुनझे हैं तो कई ऐसे रहस्यों की जानाकरी भी मिलती रहती है जिन्हें सुलझाना अभी मुश्किल ही लगता है. इसमें से सबसे बड़ी और प्रमुख पहेली यही है कि ब्रह्माण्ड का त्वरित गति से विस्तार (Expansion of Universe) हो रहा है और अभी तक के सभी भौतिकी और खगोलीय सिद्धांत इसकी व्याख्या करने के लिए अपर्याप्त या नाकाम रहे हैं. कई वैज्ञानिकों ने इसके पीछे डार्क ऊर्जा (Dark Energy) को होना बताया है. लेकिन डार्क ऊर्जा खुद एक रहस्य है. इस पहेली के सुलझाने के लिए नासा ने खगोलीय स्तर पर गुरुत्व का परीक्षण किया और पाया है कि आइंस्टीन का गुरुत्व का सिद्धांत खगोलीय स्तर पर पूरी तरह से सही है.
4 मीटर के टेलीस्कोप का उपयोग
इस अध्ययन में डार्क ऊर्जा के बारे में यही पता लगा कि वह अब भी रहस्यमयी है. इसे परीक्षण के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में चिली स्थित 4 मीटर के विक्टो एम ब्लांको टेलीस्कोप का उपयोग किया और अल्बर्ट आइंस्टीन के गुरुत्व के सिद्धांत को खगोलीय स्तर पर जांचने के लिए सबसे सटीक परीक्षण किए. उन्होंने अपने नतीजों को रियो डि जेनेरियो में हुई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन द पार्टिकल फिजिक्स एंड कॉस्मोलॉजी में प्रस्तुत किया.
डार्क ऊर्जा कैसे आई परिदृश्य में
वैज्ञानिक उस बल का पता नहीं लगा पा रहे हैं जिसके कारण ब्रह्माण्ड के विस्तार की गति को इतना त्वरण मिल रहा है. इसी की व्याख्या करने का प्रयास करते हुए कई खगोलविदों ने उसी डार्क ऊर्जा की मदद ली जिसे ब्रह्माण्ड की कई गैलेक्सी के भार में असामान्यता की वजह माना जा रहा था. उनका मानना था कि विस्तार के त्वरण के पीछे डार्क ऊर्जा का बल हो सकता है. लेकिन इससकी ज्यादा व्याख्या भी नहीं हो पाई.
कहीं डार्क एनर्जी सर्वे तो वजह नहीं
नासा का प्रयास यह समझने लिए भी खा कहीं यह सब गफलत डार्क एनर्जी सर्वे (DES) की वजह से तो नहीं आई है. डीईएस एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास है जिसमें करोड़ों गैलेक्सी और हजारों सुपरनोवा का नक्शा तैयार किया गया जिससे खगोलीय संरचना के स्वरूप का पता चल सके. वहीं आइंस्टीन का सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत एक सदी पहले दिया गया था और उसमें गुरुत्व की सटीकता व्याख्या की गई थी जिसमें ब्लैक होल तक की अवधारणा शामिल की गई थी.
तो फिर गड़बड़ी कहां
लेकिन कई वैज्ञानिकों के अनुसार अगर विस्तार की व्याख्या डार्क ऊर्जा नहीं कर सकती तो हमें कुछ समीकरणों में बदलाव करने होंगे और नए तत्वों का समावेश करना होगा. इसे जांचने कि लिए डीईएस के सदस्यों ने ऐसे प्रमाण खोजने का प्रयास किया कि क्या गुरुत्व की शक्ति में ब्रह्माण्ड के इतिहास या दूरी के साथ बदलाव आता है. अगर ऐसा होता है तो इससे साबित होगा कि आइंस्टीन का गुरुत्व का सिद्धांत अधूरा है. जो हमें ब्रह्माण्ड के विस्तार की व्याख्या के करीब ला देगा.
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सही है आइंस्टीन का सिद्धांत
ब्लांको टेलीस्कोप के अलावा शोधकर्ताओं ने यूरोपीयस्पेस एजेंसीके प्लैंक सैटेलाइट का भी अध्ययन किया और पाया कि आइंस्टीन का गुरुत्व का सिद्धांत अब भी पूरी तरह से कायम और सही है. इसका मतलब यही हुआ कि अभी डार्क ऊर्जा की कोई व्याख्या नहीं है. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकों को ब्रह्माण्ड के इतिहास में झांकने की जरूरत पड़ी.
ब्रह्माण्ड के इतिहास से की जांच
वैज्ञानिकों ने इसके लिए सुदूर पिंडों का अध्ययन करना शुरू किया. एक प्रकाशवर्ष 9500 अरब किलोमीटर की दूरी होती है जो प्रकाश द्वारा एक साल में तय की गई दूरी होती है. यानि हम जो एक प्रकाश वर्ष का पिंड देखते हैं वास्तव में हम एक साल पुराने उसी पिंड को देखते हैं. यानि अरबों प्रकाशवर्ष दूर का पिंड हमें अरबों साल पुराना ही दिखाई देता है. शोधकर्ताओं को अध्ययन और अवलोकनों से जो नतीजे मिले वे वही थे जो आइंस्टीन के सिद्धांत के अनुमान से आए थे.
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इसका एक नतीजा यही निकला कि डार्क ऊर्जा एक बार फिर व्याख्या रहित ही रह गई. लेकिन यह शोध अभी खत्म नहीं हुआ है. नासा के आने वाले दो अभियान यूक्लिट और नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप से वैज्ञानिकों को ऐसे आंकड़े मिलने की उम्मीद है जिससे वे डार्क ऊर्जा की उपस्थिति की पड़ताल कर सकेंगे. यूक्लिट 2023 में और रोमन स्पेस टेलीस्कोप 2027 में प्रक्षेपित किया जाएगा.
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