NASA करने जा रहा है अब तक के सबसे शक्तिशाली रॉकेट का परीक्षण

नासा (NASA) पिछले कुछ सालों से यह शक्तिशाली रॉकेट (Powerful Rocket) विकसित कर रहा है. (तस्वीर: NASA/MSFC)
नासा (NASA) का कहना है कि उसका स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) दुनिया का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट (Rocket) है जो 17 जनवरी को प्रक्षेपित किया जा रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 14, 2021, 6:52 AM IST
पिछले एक साल में अंतरिक्ष अनुसंधान (Space Research) में बहुत ज्यादा काम हुए हैं. जहां एक साल पहले सुदूर अंतरिक्ष यात्राएं (Space Travel) केवल संभव मानी जा रही थीं, चांद (Moon) और मंगल (Mars) पर इंसान का लंबे समय तक जाना कल्पना नहीं रहने वाली थी. अब इन पर बाकायदा काम होने लगा है. अंतरिक्ष पर्यटन (Space Tourism) पर इतनी तेजी से काम हो रहा है कि अब यह भी केवल समय की बात रह गई लगती है. इसी दिशा में नासा (NASA) आगामी 17 जनवरी को दुनिया का ‘अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट‘ स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) का प्रक्षेपण करने जा रहा है.
आर्टिमिस अभियान का हिस्सा
नासा के मुताबिक इस शक्तिशाली रॉकेट का उपोयग गैर व्यवसायिक मानव अंतरिक्ष उड़ान के ले किया जाएगा. नासा स्पेस लॉन्च सिस्टम पर पिछले कुछ सालों से काम कर रहा है. इसका परीक्षण नासा अनेक कारणों से कई बार टाल भी चुका है. इस समय नासा का सबसे प्रमुख अभियान आर्टिमिस कार्यक्रम पर काम चल रहा है. जिसमें तीन चरणों के अभियानों के अंतिम चरण में एक महिला और एक पुरुष यात्री को चंद्रमा की धरती पर उतारा जाएगा.
रॉकेट के दो खास हिस्सेएसएलएस नासा के आर्टिमिस कार्यक्रम की सबसे अहम धुरी है. इसी के तहत नासा सबसे शक्तिशाली रॉकेट का निर्माण कर रहा है. रॉकेट के दो बड़े हिस्से होते हैं एक तरल ईंधन इंजन और दूसरा ठोस ईंधन बूस्टर. एक रॉकेट में कई बूस्टर का उपयोग किया जाता है जो अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा के आगे पहुंचाने के लिए अतिरिक्त बल लगाते हैं. पहले इग्नीशियन परीक्षण के बाद नासा केवल तरल ईंधन इंजन का परीक्षण करेगा.
कितना शक्तिशाली
बासलेर ने बताया कि अब के सभी परीक्षण आंकड़ों से हमें यह आश्वासन मिला है कि टीम वास्तविक परीक्षण के लिए जा सकती है. एसएलएस 322 फुल लंबा है जो कि सैटर्न V (363) से थोड़ी कम ऊंचाई का है. इस रॉकेट ने 1960 में एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर ले जाने का काम किया था. लेकिन एसएलएस सैटर्न V से लिफ्टऑफ के मामले में 15 प्रतिशत ज्यादा शक्तिशाली है. इसके अलावा यह बाह्य अंतरिक्ष में बहुत ज्यादा भार ले जाने में सक्षम है.
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और भी है रॉकेट
नास की वेबसाइट के मुताबिक यह रॉकेट 27 टन का भार चंद्रमा तक ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा इसे पिछले रॉकेट की तुलना में बेहतर कार्गो मूवर भी माना जा रहा है. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में खास तौर पर पिछले एक साल में शक्तिशाली रॉकेट के परीक्षणों में इजाफा हुआ है. स्पेसएक्स जहां अपना अपने फॉल्कन 9 के परीक्षण कर रहा है, वहीं चीन का भी दावा था कि उसने चंद्रमा से जो मिट्टी के नूमने पृथ्वी पर चांग-ई-5 अभियान भेजा था उसके लिए दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट भेजा था.
आर्टिमिस अभियान का हिस्सा
नासा के मुताबिक इस शक्तिशाली रॉकेट का उपोयग गैर व्यवसायिक मानव अंतरिक्ष उड़ान के ले किया जाएगा. नासा स्पेस लॉन्च सिस्टम पर पिछले कुछ सालों से काम कर रहा है. इसका परीक्षण नासा अनेक कारणों से कई बार टाल भी चुका है. इस समय नासा का सबसे प्रमुख अभियान आर्टिमिस कार्यक्रम पर काम चल रहा है. जिसमें तीन चरणों के अभियानों के अंतिम चरण में एक महिला और एक पुरुष यात्री को चंद्रमा की धरती पर उतारा जाएगा.
रॉकेट के दो खास हिस्सेएसएलएस नासा के आर्टिमिस कार्यक्रम की सबसे अहम धुरी है. इसी के तहत नासा सबसे शक्तिशाली रॉकेट का निर्माण कर रहा है. रॉकेट के दो बड़े हिस्से होते हैं एक तरल ईंधन इंजन और दूसरा ठोस ईंधन बूस्टर. एक रॉकेट में कई बूस्टर का उपयोग किया जाता है जो अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा के आगे पहुंचाने के लिए अतिरिक्त बल लगाते हैं. पहले इग्नीशियन परीक्षण के बाद नासा केवल तरल ईंधन इंजन का परीक्षण करेगा.
8 परीक्षणों का अंतिम चरणयह परीक्षण नासा के आठ भागों की परिक्षण का अंतिम चरण होगा. इस प्रक्रिया को नासा ने एसएलएस ग्रीन रन (SLS Green Run) नाम दिया है. इससे पहले के चरण यानि कि सातवें चरण का परीक्षण पिछले महीने की 20 तारीख को किया गया था. उस परीक्षण में रॉकेट ने 2.65 लाख लीटर की अतिशीत (supercooled) तरल ईंधन ले जाने की क्षमता दिखाई थी.मंगल से वापसी के लिए मीथेन को बनाया जा सकता है रॉकेट ईंधन- शोधसॉफ्टवेयर परीक्षण सफलयह परीक्षण नासा के मिसीसिपी के सेंट लुईस खाड़ी के पास स्टेनिस स्पेस सेंटर पर किया जाएगा. अल्बाम के हंटस्विले में नासा के मार्शन्ल स्पेस फ्लाइट सेंट के एसएलएस स्टेजेस मैनेजर जूली बासलेर ने बताया कि ग्रीन रन टेस्ट की वेट ड्रेस रिहर्सल के दौरान कोर स्टेज, स्टेज कंट्रोलर और ग्रीन रन सॉफ्टवेयर सभी ने बिना किसी खामी के कार्य किया और जब टैंक पूरी तरह से भरे थे तब दो घंटों तक किसी तरह का कोई रिसाव नहीं पाया गया.Teams in Mississippi are preparing for the Green Run hot fire test of the #Artemis I core stage. In Alabama at @NASA_Marshall, crews are building the launch vehicle stage adapter, which connects the upper stage to the core stage, for #Artemis II. WATCH >> https://t.co/3LDiJ4De01 pic.twitter.com/BkoZchj2ec
— NASA_SLS (@NASA_SLS) January 11, 2021
733,000 gallons of propellant.A test stand 35 stories tall.18 miles of cabling.
Just a few of the numbers @NASA's engineers and technicians are keeping in mind as they prepare for the SLS Green Run hot fire. MORE >> https://t.co/sEUGjrynPD pic.twitter.com/9WtHrfMHHo— NASA_SLS (@NASA_SLS) January 12, 2021
कितना शक्तिशाली
बासलेर ने बताया कि अब के सभी परीक्षण आंकड़ों से हमें यह आश्वासन मिला है कि टीम वास्तविक परीक्षण के लिए जा सकती है. एसएलएस 322 फुल लंबा है जो कि सैटर्न V (363) से थोड़ी कम ऊंचाई का है. इस रॉकेट ने 1960 में एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर ले जाने का काम किया था. लेकिन एसएलएस सैटर्न V से लिफ्टऑफ के मामले में 15 प्रतिशत ज्यादा शक्तिशाली है. इसके अलावा यह बाह्य अंतरिक्ष में बहुत ज्यादा भार ले जाने में सक्षम है.
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और भी है रॉकेट
नास की वेबसाइट के मुताबिक यह रॉकेट 27 टन का भार चंद्रमा तक ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा इसे पिछले रॉकेट की तुलना में बेहतर कार्गो मूवर भी माना जा रहा है. गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में खास तौर पर पिछले एक साल में शक्तिशाली रॉकेट के परीक्षणों में इजाफा हुआ है. स्पेसएक्स जहां अपना अपने फॉल्कन 9 के परीक्षण कर रहा है, वहीं चीन का भी दावा था कि उसने चंद्रमा से जो मिट्टी के नूमने पृथ्वी पर चांग-ई-5 अभियान भेजा था उसके लिए दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट भेजा था.