लंबी लड़ाई के बाद कैथोलिक देश अर्जेंटिना में गर्भपात (Argentina’s legalization of abortion) को कानूनी सहमति मिल गई. बता दें कि अब तक वहां रेप के कारण प्रेग्नेंसी या फिर गर्भधारण से महिला की जान को खतरा होने पर भी गर्भपात के लिए हां थी. इसके अलावा एबॉर्शन गैरकानूनी था. इस वजह से हर साल वहां हजारों महिलाओं की अवैध रूप से गर्भपात कराते हुए जान गई. वैसे अर्जेंटिना के अलावा दुनिया के कई देशों में गर्भपात गैरकानूनी है.
सबसे पहले अर्जेंटिना के मामले के बारे में जानते हैं. इस देश की सीनेट ने बुधवार को गर्भपात को वैध करार देने संबंधी विधेयक पारित कर दिया. इसके तहत 4 सप्ताह तक की गर्भवती महिला के गर्भपात को वैधानिक कर दिया गया है. साथ ही रेप या गर्भवती की जान को खतरा होने की स्थति में 14 सप्ताह के बाद भी गर्भपात वैध होगा.
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ये कट्टर कैथोलिक देश की महिलाओं के लिए बड़ी राहत है. बता दें कि महिलाएं और मानवाधिकार कार्यकर्ता दशकों से ये कानून चाहते थे लेकिन चर्च इस मामले में अड़ंगा अटका रहा था. साल 1921 से ही वहां गर्भपात के लिए सख्त नियम लागू थे. इसके कारण महिलाएं गर्भपात के लिए अवैध तरीके अपना रही थीं. ह्यूमन राइट्स वॉच नामक मानवाधिकार संस्था का कहना है कि इसके कारण देश में अनसेफ अबॉर्शन तेजी से बढ़ा. यहां तक कि साल में 3.7 लाख से 5.2 लाख अवैध गर्भपात होने लगे. बता दें कि देश की कुल आबादी ही लगभग साढ़े 4 करोड़ है.

प्रसव के दौरान महिला की जान को खतरा होने पर ही एक सीमित समय के लिए गर्भपात को कानूनी मंजूरी है- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
रेप या कई मामलों में अक्सर ऐसा होता था कि गर्भपात के लिए चर्च ऐन समय पर मना कर देता. यहां तक कि पिछले साल रेप के कारण गर्भवती 25 साल की युवती, जो मानसिक तौर पर कमजोर भी थी, उसके मामले में भी चर्च ने आखिर समय पर मनाही कर दी. इसके बाद से अर्जेंटिना में महिलाओं का गुस्सा भड़का. इसका असर संसद पर दिखा. राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज खुद गर्भपात के समर्थन में आ गए.
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गर्भपात को वैध करना चाहिए या नहीं, इसपर लंबी बहस चली. लेकिन वैधता के विरोध का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि बिल पर लगभग 12 घंटे लंबी बहस चली. इसके बाद भी विधेयक के पक्ष में 38 वोट पड़े, जबकि विरोध में 28 वोट मिले. कुल मिलाकर बिल को मंजूरी मिल गई. हालांकि अब भी चर्च समर्थक इस बिल को अनैतिक बताते हुए इसके विरोध की बात कर रहे हैं.
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अर्जेंटिना के अलावा भी कई देश हैं, जहां गर्भपात अब तक अवैध है. यहां तक कि रेप या फिर महिला को जान का खतरा होने पर भी यहां एबॉर्शन को मनाही है. Pew Research Center ने 196 देशों में सर्वे किया और पाया कि 8 देश अब भी ऐसे हैं, जहां गर्भपात को लेकर काफी सख्त कानून हैं.

8 देश अब भी ऐसे हैं, जहां गर्भपात को लेकर काफी सख्त कानून हैं- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
ब्राजील इन देशों में सबसे ऊपर है. वहां के हालात का अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि जिका वायरस के प्रकोप के दौरान जबकि महिलाओं की हालत काफी खराब थी, तब भी गर्भवती को एबॉर्शन की इजाजत नहीं मिली. बलात्कार या प्रसव के दौरान महिला की जान को खतरा होने पर ही एक सीमित समय के लिए गर्भपात को कानूनी मंजूरी है. अब जाकर वहां इस बात पर बहस हो रही है कि अगर गर्भ में पल रहे शिशु का विकास सही ढंग से नहीं हो रहा तो एबॉर्शन को मंजूरी मिलनी चाहिए.
चिली में गर्भपात अवैध है. केवल कुछ ही मामलों में कोर्ट जाने पर इसे सहमति मिलती है. आयरलैंड में साल 2018 में ही गर्भपात को मंजूरी मिली. इससे पहले आयरलैंड में केवल उस परिस्थिति में ही महिलाओं को गर्भपात की इजाजत थी, जब उसकी अपनी जिंदगी खतरे में हो. यहां तक कि बलात्कार या भ्रूण संबंधी घातक असामान्य स्थिति में भी गर्भपात अवैध था. इनके अलावा नाइजीरिया, ईरान, सऊदी अरेबिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस देशों में गर्भपात को लेकर बेहद कड़े कानून हैं और केवल महिला की जान को खतरा होने पर ही इसे मंजूरी मिलती है, वो भी पति या परिवार की सहमति के बाद.
वहीं केवल 14 देश ऐसे हैं जो महिला को अपनी स्थिति के अनुसार तय करने का अधिकार देते हैं कि वह बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं. दुनिया की 23 फीसदी यानी लगभग 38 करोड़ महिलाएं ऐसे देशों में रहती हैं. इनमें भारत, ब्रिटेन, फिनलैंड और जापान शामिल हैं. यहां महिला की मंजूरी ही गर्भपात के लिए जरूरी है.
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Tags: Abortion, Argentina, Gender descrimination, Violence against Women
FIRST PUBLISHED : January 01, 2021, 08:51 IST