नए साल पर ब्रिटेन में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत सेनिटरी उत्पादों को टैक्स-फ्री कर दिया गया. इससे पहले यूरोपियन यूनियन के कानून के तहत महिलाओं के हाइजीन से जुड़े उत्पादों को भी लग्जरी आइटम के तहत रखा जाता था और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं के बहुतेरे कैंपेन के बाद भी टैक्स रखा गया था. वैसे ब्रिटेन से पहले कई ऐसे देश हैं, जिन्होंने सेनिटरी उत्पादों को टैक्स फ्री कर रखा है, जिनमें भारत भी एक है.
भारत में साल 2018 से पहले सेनिटरी उत्पादों, जैसे टैंपून और पैड्स पर लग्जरी टैक्स लग रहा था. 12 प्रतिशत का जीएसटी होने के कारण ये एक तरह से महिलाओं पर दबाव था कि वे पीरियड्स के दौरान पुराने और गैर-हाइजिनिक तरीके ही अपनाए रखें. इस टैक्स का लंबे समय से विरोध हो रहा था. इसकी वजह पैड्स के महंगा होने के कारण महिलाओं का इसे अफोर्ड न कर पाना था.
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यहां तक कि पीरियड्स के दौरान पारंपरिक तरीकों के इस्तेमाल के कारण महिलाओं में सेहत से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ रही थी. वॉटर एड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 8 लाख के करीब औरतें इसी दौरान होने वाले संक्रमण से मरती हैं. दसरा (Dasra) की एक रिपोर्ट बताती है कि कैसे हर साल 23 मिलियन लड़कियां पीरियड शुरू होते ही स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं क्योंकि, स्कूलों में टॉयलेट की व्यवस्था नहीं.

पीरियड्स के दौरान पारंपरिक तरीकों के इस्तेमाल के कारण महिलाओं में सेहत से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ीं (Photo-news18 English)
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 48.5 प्रतिशत महिलाएं सेनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं जबकि शहरों में 77.5 प्रतिशत महिलाएं. यही देखते हुए काफी विरोध और याचिकाओं के बाद साल 2018 में इन उत्पादों को टैक्स-फ्री कर दिया गया.
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अब बात करते हैं ब्रिटेन की. तो वहां के ट्रेजरी विभाग ने गुणा-भाग करके ये अनुमान लगाया कि केवल टैक्सभर हटा देने से हर महिला अपने जीवनकाल में 4 से 5 हजार रुपए की बचत कर सकेगी. अब यूरोपियन यूनियन से पूरी तरह अलग होते ही यूके ने टैक्स हटा दिया. हालांकि कई देश हैं, जहां सेनिटरी उत्पादों पर भारी टैक्स लग रहा है.
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इसमें सबसे ऊपर है हंगरी. यहां सेनिटरी प्रोडक्ट्स पर 27 प्रतिशत टैक्स लगता है. इसके बाद आता है स्वीडन. आर्थिक रूप से काफी समृद्ध इस देश में पैड्स और टैंपून पर 25 प्रतिशत टैक्स लग रहा है. मैक्सिको भी इसी श्रेणी में है, जहां हर महीने महिलाओं को केवल इन्हीं चीजों पर 16 प्रतिशत टैक्स देना होता है. इनके अलावा बाकी सारे देशों में भी 10 से 5 प्रतिशत तक टैक्स औरतों के हाइजीन पर है. इन देशों में अमेरिका और जर्मनी भी शामिल हैं. यहां जब-तब टैक्स हटाने की बात तो चलती है लेकिन अब तक व्यापक स्तर पर कोई कैंपेन नहीं हुआ.

स्कॉटलैंड ने न केवल हाइजीन उत्पादों से टैक्स हटाया, बल्कि पीरियड प्रोडक्ट को फ्री ही कर दिया (Photo -news18 English creative)
सेनिटरी उत्पादों को टैक्स-फ्री करने वाले देशों में भारत के अलावा आयरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जैसे मलेशिया जैसे देश शामिल हैं. हालांकि स्कॉटलैंड ने न केवल हाइजीन उत्पादों से टैक्स हटाया, बल्कि पीरियड प्रोडक्ट को फ्री ही कर दिया. इस तरह से वो दुनिया का पहला देश बन गया, जहां पैड या टैंपून हर जगह मुफ्त मिलेंगे. साल 2020 में ही स्कॉटिश संसद ने eriod Products (Free Provision) (Scotland) Bill एकमत से पारित किया. संसद ने माना कि ये स्वास्थ्यगत जरूरत है, जिसे पूरी तरह से फ्री होना चाहिए.
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बिल पारित करने के साथ ही संसद ने इसपर तुरंत ही 51.36 करोड़ रुपए की फंडिंग कर दी ताकि तत्काल ही सभी जगह पैड और टैंपून उपलब्ध कराए जा सकें. इसके अलावा भी 31.51 करोड़ रुपए अलग से रखे गए हैं. सरकार इन उत्पादों को दुकान, शॉपिंग मॉल्स के अलावा स्कूल, कॉलेज और यहां तक कि कॉफी शॉप में भी उपलब्ध कराएगी ताकि किसी भी महिला को पीरियड पवट्री का सामना न करना पड़े. बता दें कि ये टर्म महिलाओं की उस स्थिति को बताती है, जहां उन्हें महीने के चंद रोज पैड या टैंपून न होने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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Tags: Britain, Gender descrimination, Violence against Women
FIRST PUBLISHED : January 03, 2021, 11:49 IST