08 अप्रैल 1950 के दिन दिल्ली पैक्ट पर समझौता करते हुए नेहरू और लियाकत अली
पिछले दिनों जब संसद में नागरिकता संशोधन कानून बनाया गया, उस दौरान 70 साल पहले हुए भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौता भी खासी चर्चाओं में रहा. माना जाता है कि भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच हुए ये समझौता कामयाब नहीं हो पाया. चूंकि ये समझौता 08 अप्रैल 1950 को हुआ था, तो जानते हैं कि आज के दिन हुए इस समझौते में कौन सी बातें थीं. ये बाद में फिर क्यों लगातार चर्चाओं में आता रहा. इसके विरोध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
नेहरु-लियाक़त समझौते को दिल्ली पैक्ट के नाम से भी जाना जाता है. ये भारत के बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संधि थी. इसमें मुख्य तौर पर चार बातें थीं.
- शरणार्थी अपनी संपत्ति का निपटान करने के लिए भारत-पाकिस्तान आ जा सकते थे.
- अगवा की गई महिलाओं और लूटी गई संपत्ति को वापस किया जाना था.
- जबरन धर्मातरण को मान्यता नहीं दी गई थी.
- दोनों देशों को अपने-अपने देश में अल्पसंख्यक आयोग गठित करने थे.
इस समझौते के जरिए दोनों देशों को ये बातें भी सुनिश्चित करनीं थीं
- दोनों तरफ के धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच बैठे डर को कम किया जाएगा, आपसी रिश्ते बेहतर किये जाएंगे.
- इस समझौते के अनुसार सभी अल्पसंख्यकों को मूलभूत अधिकार देने की गारंटी दी गई.
- सभी अल्पसंख्यकों को अपने देशों के पॉलिटिकल पदों पर चुने जाने, और अपने देश की सिविल और आर्म्ड फोर्सेज में हिस्सा लेने का पूरा अधिकार दिया जाएगा.
- दोनों सरकारें ये सुनिश्चित करेंगी कि अपने देश के अल्पसंख्यकों को वो अपने-अपने देश की सीमा में पूर्ण सुरक्षा का भरोसा दिलाएंगी. जीवन, संस्कृति, संपत्ति और व्यक्तिगत सम्मान को लेकर. धर्म को परे रखते हुए, उन्हें बिना शर्त पूर्ण नागरिकता की गारंटी देंगी.
- जो लोग भी अपनी चल संपत्ति अपने साथ बॉर्डर के पार ले जाना चाहते हैं, उन्हें कोई रोक नहीं होगी. इनमें गहने भी शामिल थे. 31 दिसंबर 1950 के पहले जो भी प्रवासी वापस आना चाहते, वो आ सकते. उन्हें उनकी अचल संपत्ति (घर-बार) लौटाई आएगी. खेत हुए, तो खेत भी लौटाए जाएंगे. अगर वो उन्हें बेचकर वापस जाना चाहते, तो ये भी विकल्प उनके पास होगा. जबरन किए गए धर्म परिवर्तनों की कोई वैधता नहीं होगी. जिन महिलाओं को जबरन कैद कर ले जाया गया, उन्हें भी वापस आने की पूर्ण स्वतंत्रता होगी.
- दोनों सरकारों से एक-एक मंत्री प्रभावित क्षेत्रों में मौजूद रहेंगे. वहां पर ये सुनिश्चित करेंगे कि समझौते की शर्तों का सही ढंग से पालन हो.
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Tags: Amit shah, CAA, CAA-NRC, CAB protest, India pakistan, Jawaharlal Nehru
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