जलवायु परिवर्तन के मुताबिक खुद को ढालने भी लगे हैं ऑक्टोपस- शोध

बदले हुए वातावरण में ऑक्टोपस (opctopus) की प्रतिक्रिया देखकर शोधकर्ता भी हैरान थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
जलवायु परिवर्तन (Climate change) के खतरों के बीच ऑक्टोपस (Octopus) खुद को इन बदलावों के प्रति ढालने (Adapt) भी लगे हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 17, 2021, 6:41 AM IST
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को लेकर वैज्ञानिक हमें लगातार चेता रहे हैं. इन बदलावों का खतरनाक असर दिखाई भी देने लगा है. मौसम के स्वरूपों में बदलाव, सागरों का बढ़ता जलस्तर जैसे कई संकेत हमें मिलने लगे हैं. वहीं कुछ जानवर भी ऐसे हैं जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के मुताबिक खुद को ढालना (Adopt) भी शुरू कर दिया है. एक अध्ययन में बताया गया है कि कैसे ऑक्टोपस (Octopus) ने महासागरों (Oceans) के बढ़ते तापमान (Temperature) के अनुसार खुद में बदलाव किए हैं.
महासागर में बदलाव का असर
वाला वाला यूनिवर्सिटी और ला सिएरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक अध्ययन किया है जिसमें उन्होंने यह पड़ताल की है कि बढ़ते तापमान की वजह से महासागरों के बदलते स्वभाव का ऑक्टोपस पर क्या असर हो रहा है. यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस जर्नल के साइकोलॉजिकल एंड बायोकैमिकल जूलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
मेटाबॉलिज्म की प्रतिक्रिया‘इम्पैक्ट ऑफ शॉर्ट एंड लॉन्ग टर्म एक्सपोजर टू एलीवेटेड सीवाटर Pco2 ऑन मैटाबॉलिक रेट एंड हायपोक्सिया टोलरेंस इन ऑक्टोपस रूबसेंस’ शीर्षक वाले इस शोध में चार वैज्ञानिकों की एक टीम ने अध्ययन किया कि कैसे महासागरों का अम्लीकरण ऑक्टोपस के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर रहा है. महासागरों का अम्लीकरण वह प्रक्रिया है जब उनमें कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर बढ़ने लगता है.
ऑक्टोपस की यह प्रजाति
इस टीम में वाला यूनिवर्सटी के बायोलॉजिकलल साइंसेस विभाग के वैज्ञानिक कर्ट एस ओनथैंक, लॉयड ए ट्रब्लड, टेलर स्क्रोक डफ और लीडिया जी कोरे शामिल हैं. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऑक्टोपस की छोटी लेकिन व्पायक प्रजाति ऑक्टोपस रूबसेंस का उपयोग किया. ये ऑक्टोपस उत्तरी अमेरिका में बहुत आम हैं.

पांच हफ्ते का वातावरण
इस प्रजाति को पांच हफ्ते का बढ़े हुए कार्बन डाइऑक्साइड से बनी अम्लता के वातारण में रखा गया. इस दौरान पूरे समय शोधकर्ताओं ने इन ऑक्टोपस की रूटीन मटॉबोलिक रेट को मापा, जबकि इससे पहले उनका अम्लीय पानी से किसी तरह का कोई अनुकूलन नहीं किया गया था. पांच हफ्तों के लिए ऑक्टोपस का क्रिटिकल ऑक्सीजन दबाव भी मापा गया.
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चौंकाने वाला नतीजा
इस अध्ययन ने चौंकाने वाले नतीजे दिया. वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑक्टोपस में बहुत अधिक अनुकूलनशीलता है. ऑक्टोपस ने पहले 24 घंटों में ही आसपास की बढ़ी हुई अम्लता के सामने अनपे मेटाबॉलिज्म में उच्च स्तर का बदलाव किया. इस अवलोकन से पता चला है कि ऑक्टोपस में सेफालोपॉड्स के मुकाबले उलट बदलाव था. सेफालोपॉड्स में मेटाबॉलिक बदलाव में कमी आई थी.

क्या आए बदालव
जब ऑक्टोपस को एक सप्ताह के बाद अवलोकित किया गया तो उनका दैनिक मेटाबॉलिक रेट सामान्य स्तर पर वापस आ गया था और फिर यह सामान्य दर आगे के पांच सप्ताह तक कायम रही थी. इस दौरान उनकी कम ऑक्सीजन और उच्च अम्लता में काम करने की क्षमता भी कम हो गई थी.
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इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अन्य अध्ययन किए गए समुद्री जानवरों की तुलना में ऑक्टोपस ने उच्च हाइपरकैप्निक वातावरण में ढालने की क्षमता दिखाई है. शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि अभी इस मामले में और ज्यादा शोध की जरूरत है जिससे उन्हें इस बदालाव का कारण पता चल सके.
महासागर में बदलाव का असर
वाला वाला यूनिवर्सिटी और ला सिएरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिलकर एक अध्ययन किया है जिसमें उन्होंने यह पड़ताल की है कि बढ़ते तापमान की वजह से महासागरों के बदलते स्वभाव का ऑक्टोपस पर क्या असर हो रहा है. यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस जर्नल के साइकोलॉजिकल एंड बायोकैमिकल जूलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
मेटाबॉलिज्म की प्रतिक्रिया‘इम्पैक्ट ऑफ शॉर्ट एंड लॉन्ग टर्म एक्सपोजर टू एलीवेटेड सीवाटर Pco2 ऑन मैटाबॉलिक रेट एंड हायपोक्सिया टोलरेंस इन ऑक्टोपस रूबसेंस’ शीर्षक वाले इस शोध में चार वैज्ञानिकों की एक टीम ने अध्ययन किया कि कैसे महासागरों का अम्लीकरण ऑक्टोपस के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर रहा है. महासागरों का अम्लीकरण वह प्रक्रिया है जब उनमें कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर बढ़ने लगता है.
ऑक्टोपस की यह प्रजाति
इस टीम में वाला यूनिवर्सटी के बायोलॉजिकलल साइंसेस विभाग के वैज्ञानिक कर्ट एस ओनथैंक, लॉयड ए ट्रब्लड, टेलर स्क्रोक डफ और लीडिया जी कोरे शामिल हैं. इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऑक्टोपस की छोटी लेकिन व्पायक प्रजाति ऑक्टोपस रूबसेंस का उपयोग किया. ये ऑक्टोपस उत्तरी अमेरिका में बहुत आम हैं.

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण महासागरों (Oceans) में अम्लता बढ़ती जा रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
पांच हफ्ते का वातावरण
इस प्रजाति को पांच हफ्ते का बढ़े हुए कार्बन डाइऑक्साइड से बनी अम्लता के वातारण में रखा गया. इस दौरान पूरे समय शोधकर्ताओं ने इन ऑक्टोपस की रूटीन मटॉबोलिक रेट को मापा, जबकि इससे पहले उनका अम्लीय पानी से किसी तरह का कोई अनुकूलन नहीं किया गया था. पांच हफ्तों के लिए ऑक्टोपस का क्रिटिकल ऑक्सीजन दबाव भी मापा गया.
अजब गजब-विशाल पुरातन शार्क के शिशु अपने ही बंधुओं को खा लेते थे गर्भ में
चौंकाने वाला नतीजा
इस अध्ययन ने चौंकाने वाले नतीजे दिया. वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑक्टोपस में बहुत अधिक अनुकूलनशीलता है. ऑक्टोपस ने पहले 24 घंटों में ही आसपास की बढ़ी हुई अम्लता के सामने अनपे मेटाबॉलिज्म में उच्च स्तर का बदलाव किया. इस अवलोकन से पता चला है कि ऑक्टोपस में सेफालोपॉड्स के मुकाबले उलट बदलाव था. सेफालोपॉड्स में मेटाबॉलिक बदलाव में कमी आई थी.

ऑक्टोपस (Octopus) ने वातावरण के मुताबिक अपने मेटाबॉलिज्म (Metabolism) में तेजी से बदलाव किया. . सांकेतिक फोटो (pixabay)
क्या आए बदालव
जब ऑक्टोपस को एक सप्ताह के बाद अवलोकित किया गया तो उनका दैनिक मेटाबॉलिक रेट सामान्य स्तर पर वापस आ गया था और फिर यह सामान्य दर आगे के पांच सप्ताह तक कायम रही थी. इस दौरान उनकी कम ऑक्सीजन और उच्च अम्लता में काम करने की क्षमता भी कम हो गई थी.
क्यों बहुत ही अजीब होते हैं प्लैटीपस, इनके जीनोम मैप ने किया खुलासा
इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि अन्य अध्ययन किए गए समुद्री जानवरों की तुलना में ऑक्टोपस ने उच्च हाइपरकैप्निक वातावरण में ढालने की क्षमता दिखाई है. शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि अभी इस मामले में और ज्यादा शोध की जरूरत है जिससे उन्हें इस बदालाव का कारण पता चल सके.