राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) का स्वरूप आजादी के पहले के तिरंगे की तरह नहीं था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
भारत (India) को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी. लेकिन उससे पहले ही देश की संविधान सभा (Constitution Assembly) ने काम करना शुरू कर दिया था और देश के लिए बहुत अहम फैसले लिए थे. आजादी मिलने से 23 दिन पहले संविधान सभा ने देश के आधिकारिक झंडे (National Flag) को अंगीकार किया था. तिरंगे का हमारी आजादी के इतिहास में बहुत महत्व है. उसे ही देश के आधिकारिक झंडे के रूप में अपनाया गया था. लेकिन आज हम जो तिरंगा फहराते हैं उसे अपनाने से पहले कई बदालव किए थे.
पहले ही पसंद कर लिया गया था तिरंगा
आजादी से काफी पहले ही देश के नेताओं ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार करने का मन बना लिया था. वह तिरंगा देश की आन बान और शान बन चुका है और उसे कई आंदोलनों में व्यापक तौर पर उपयोग में लाया गया था. लेकिन यह भी सच है कि उस समय के पहले भारत का कोई राष्ट्रीय आधिकारिक ध्वज नहीं था और अंग्रेजों का यूनियन जैक ही प्रमुख मौकों पर उपयोग में लाया जाता था.
उससे पहले नहीं था कोई राष्ट्रीय ध्वज
भारत के हजारों साल पुराने इतिहास में ऐसे झंडे का कभी उपयोग नहीं किया गया जो पूरे देश के लिए हो. यहां तक कि जब 2300 साल पहले मौर्य साम्राज्य का लगभग पूरे भारत पर अधिकार हो गया था, तब भी भारत का कोई राष्ट्रीय ध्वज नहीं था. वहीं 17वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य ने भी भारत के अधिकांश हिस्से पर अपना अधिकार कर लिया था. तब भी देश का कोई एक राष्ट्रीय ध्वज नहीं था. आजादी से पहले भारत में 562 से ज्यादा रियासतें थीं, लेकिन इन सभी रियासतों के भी अलग-अलग झंडे थे.
किसने डिजाइन किया था झंडा
भारत के राष्ट्रीय ध्वज को डिज़ाइन करने में स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया का बहुत अहम योगदान था. पिंगली वेंकैया ने सन 1916 से लेकर सन 1921 तक 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर गहराई से शोध किया. 1921 में कांग्रेस के सम्मेलन में उन्होंने अपना डिजाइन किया हुआ राष्ट्रीय ध्वज पेश किया. उस डिजाइन में मुख्य रुप से लाल और हरा रंग था. इसमें लाल रंग हिंदू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता था.
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