आज दुनिया में यहूदियों (Jews) का एक ही देश है- इजराइल! शनिवार को इस अनोखे देश का स्थापना दिवस (Independence Day of Israel) है और उससे बने 74 साल हो गए हैं. इस देश के साथ, यानि इस देश के लोगों, यहूदियों के साथ एक बहुत लंबा इतिहास रहा है. लेकिन इनके पास लंबे समय तक भी खुद का एक देश नहीं था. लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) को बाद इजराइल को एक देश के रूप में मान्यता मिली और यहूदियों को पहली बार उनका एक देश मिला जिसका ख्वाब वे 19वीं सदी के मध्य से देख रहे थे. देश बनने के बाद भी इजराइल को खुद को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.
किन हालातों में बना था देश
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों ने येरुशलम के पास की जमीन को फिलिस्तीन और इजराइल के बीच बांटा और येरूशल को अंतरराष्ट्रीय शहर घोषित किया. इस प्रस्तावित बंटवारे को इजराइल ने तो स्वीकार कर लिया. लेकिन फिलिस्तीनी मुस्लिम इससे संतुष्ट नहीं थे. यही वजह थी कि इजराइल के देश बनते ही इजराइल पर पड़ोसी मुस्लिम देशों ने हमला कर दिया था. यह विवाद और संघर्ष आज भी जारी है.
यहूदियों की शुरुआत
यहूदियों का लंबा इतिहास रहा है. इस धर्म को मानने वाले ईसाई धर्म के आगमन से भी पहले से थे. करीब 2200 साल पहले उनका अपना देश या साम्राज्य था. उनके धर्म को तीन हजार साल पुराना माना जाता है. इस धर्म की शुरुआत भी येरूशलम से पैगंबर अब्राहम ने की थी.. अब्राहम के एक पोते का नाम याकूब या जैकब था इसका दूसरा नाम इजराइल था. उसके 12 बेटों ने यहूदी 12 कबीले बनाए. याकूब ने इन्हें जमा कर इजराइल नाम का राज्य बनाया. याकूब के एक बेटे का नाम यहूदा था जिसके वंशज ही यहूदी कहलाए थे.
यहूदियों में बिखराव
यहूदियों की भाषा हिब्रू और उनका धर्मग्रंध तनख है. ये येरूशल और यूदा के इलाकों में रहते थे. 2200 साल पहले पहला यहूदी राज्य बना लेकिन 930 ईसापूर्व मं सोलोमन के बाद इसका पतन होने लगा. 700 ईसापूर्व में असीरिया साम्रमाज्य से यहूदी बिखर गए लेकिन 72 ईसा पूर्व रोमन साम्राज्य हमले के बाद यहूदी दुनिया भर में इधर उधर फैल गए.
यहूदियों की एकजुटता के लिए
इधर ईसाई धर्म फैलने से यहूदियों के प्रति दुर्भावना भी बहुत फैली लेकिन यहूदियों के बिखरने से उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा. 19वीं सदी में में थियोडोर हर्जन विएना में सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने यहूदियों के खिलाफ दुर्भावना को खत्म करने के लिए संकल्प लिया किवे सारे यहूदियों को इकट्ठा करेंगे और अपने लिए एक अलग देश बनाएंगे. इसके लिएउन्होंने जायनिस्ट कांग्रेस नाम से संस्था बनाई.
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अंग्रेजों की वादा खिलाफी
1904 में हर्जल की मौत होते होते जायनिस्ट कांग्रेस यहूदियों के लिए बहुत प्रभावशाली संस्था बन चुकी थी. प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों और यहूदियों के बीच समझौता हुआ जिसमें अंग्रेजों ने वादा किया कि अगर युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार हुई तो यहूदियों को एक अलग देश बना कर दिया जाएगा. इसके बाद से बड़ी संख्या में यहूदियों ने येरूशलम की ओर पलायन शुरू कर दिया. वहीं युद्ध में तुर्की या ओटोमन साम्राज्य की तो हार हुई लेकिन यहूदियों को दिया गया वादा भी पूरा नहीं हुआ.
इजराइल की स्थापना
प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच ब्रिटेन की ना किसी बहाने अपने वादे को टालता रहा.लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध को यहूदियों के लिए जैसे कयामत ही बन कर आया था. हिटलर ने भारी संख्या में यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया. और द्वितीय विश्व युद्ध की सहानुभूति का ही नतीजा था कि 1948 में आखिरकार इजराइल की स्थापना हो गई.
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इजराइल का अपने पड़ोसी मुस्लिम देशों से संघर्ष जारी है. लेकिन इजराइल ने खुद भी बहुत तरक्की कर ली है. उसके पास प्राकृतिक भंडार ना होने पर उसने विज्ञान और तकनीक को अपना संसाधन बनाया. रेगिस्तान जैसे हालात में खेती के नए तरीके ईजाद किए. युद्ध की कला और हथियारों में खुद को हमेशा आगे रखा. आज इजराइल दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक माना जाता है.
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