यूरी गागरिन (Yuri Gagarin) की अंतरिक्ष यात्रा से इस क्षेत्र की शुरुआत हुई थी जो आज पर्यटन में बदलने जा रही है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
आज के समय अंतरिक्ष यात्रा (Space travel) केवल वैज्ञानिकों की जागीर नहीं रह गई हैं. आज अंतरिक्ष पर्यटन उद्योग अपने उड़ान तेज करने को बेकरार है. निजी क्षेत्र इसमें उतर चुका है वह दिन दूर नहीं जब जब हर साल सैकड़ों लोग अंतरिक्ष की यात्रा करेंगे. आज से 61 साल पहले सोवियत संघ के यूरी गागरिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले मानव (First person to go Space) बन थे, तब से अब तक अंतरिक्ष अन्वेषन ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं. आज अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (US Space Agency NASA) चंद्रमा के साथ मंगल ग्रह पर भी लोगों को पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है.
कैसे हुई थी शुरुआत
सबसे अंतरिक्ष अन्वेषण की शुरुआत 4 अक्टूबर 1957 को हुई थी जब सोवितय संघ ने दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा गया था. 4 सा पहले 12 अप्रैल 1961 को रूसी लेफ्टिनेंट यूरी गागरिन वोस्तोक 1 यान के जरिए पहले ऐसे इंसान बन जो पृथ्वी की कक्षा में पहुंचे. गागरिन की उड़ान 108 मिनट की यात्रा में 327 किलोमीटर की ऊंचाई तक गए थे.
स्पेस रेस की शुरुआत
सोवियत संघ की शुरुआत का सीधा असर अमेरिका पर हुआ है और शीतयुद्ध के दौर में ही स्पेस रेस का आगाज हो गया. 1961 में ही एलन शोपर्ड अमेरिका के पहले अंतरिक्ष यात्री बने और इसी के अगले साल जॉन ग्लेन पहले ऐसेअमेरिकी बन जिन्होंने पृथ्वी की चक्कर लगाया. लेकिन पहला अंतरिक्ष यान और पहले व्यक्ति कोअंतरिक्ष में ना भेज पाना अमेरिका के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया
चंद्रमा पर कदम
शीत युद्ध की वर्चस्व की लड़ाई के कारण ही अमेरिका ने ठान लिया था कि वह चंद्रमा पर सबसे पहले मानव भेज कर वापल लाने वाला पहले देश बन कर रहेगा. 1961 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने इसे राष्ट्रीय लक्ष्य के तौर पर ऐलान कर दिया और 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग चांद पर कदम रखने वाले पहले इंसान बन गए. इसके बाद तीन साल में अमेरिका ने छह अंतरिक्ष अभियान चंद्रमा पर भेजे जिसमें कुछ 12 यात्रियों को वहां भेजा गया.
कई तरह के अन्वेषण अभियान
1960 और 1970 के दशक में अंतरिक्ष अन्वेषण केवल एक वैज्ञानिक परीक्षणों के लिहाज से किए जाते थे. उस समय अंतरिक्ष के बारे में कई तरह के फंतासी कहानियां भी रची गईं. लेकिन अंतरिक्ष पर्यटन केवल एक कल्पना ही मानी जाती थी और इसका कभी कोई मकसद भी नहीं देखा गया था. इस दौरान संचार, नेविगेशन जैसे कार्यों पर ज्यादा ध्यान दिया गया और गुरु शनि ग्रहों के लिए भी अंतरिक्ष यान गए.
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शटल से लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक
इस दौर में मानवों को अंतरिक्ष में भेजने पर बहुत ज्यादा जोर नहीं दिया गया जो कि एक बहुत ही ज्यादा खर्चीला काम हुआ करता था. हां 1970 के दशक में स्कायलैब और अपोलो सुयोज प्रोजेक्ट देखने को जरूर मिले. 1980 के दशक में भी शटल स्पेस अभियान से ही अंतरिक्ष यात्राएं हुईं पर ज्यादा काम नहीं होता दिखा. 1990 के दशक में सबसे बड़ी उपलब्धि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का सफलता पूर्वक लॉन्च होना था.
निजी क्षेत्र के लिए नींव
2003 में कोलंबिया हादसे से अमेरिका की ओर अंतरिक्ष में प्रक्षेपण कुछ समय के लिए और मानवों के अंतरिक्ष में भेजने का काम लंबे समय के लिए बंद हो गया. 2010 के दशक में नासा ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण को निजी क्षेत्र के लिए खोला तब जाकर अंतरिक्ष पर्यटन के बारे में सोचा जाने लगा. एलन मस्क और जेफ बेजोस जैसे अरबपतियों ने अंतरिक्ष में पर्यटन की संभावना को खंगालना शुरू कर दिया.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की भूमिका
लेकिन इस बीच इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 17 देशों के अंतरिक्ष यात्री और वैज्ञानिक वहां जाकरप्रयोग करने लगे इसमें लंबे मानव अभियानों के लिए प्रयोगों ने लोगों को ध्यान ज्यादा खींचा. अंतरिक्ष में भोजन और रहने संबंधित रोजमर्चा की अन्य समस्याओं के समाधान पर लंबे समय से प्रयोग हो रहे हैं जो अंतरिक्ष पर्यटन का आधार मजबूत करने का काम कर रहे हैं.
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2020 के दशक में अंतरिक्ष पर्यटन का संभावना में बहुत उछाल आया जब स्पेस एक्स ने एक निजी कंपनी के तौर पर स्पेस स्टेशन में यात्रियों को पहुंचाया. इसके बाद कई छोटी अंतरिक्ष यात्राएं भी देखने को मिली जिसमें गैरवैज्ञानिक या नागरिकों ने अंतरिक्ष में थोड़ा समय बिताया है. दुनिया के कई अरबपतियों ने अपनी फ्लाइट बुक कर रखी है और आज अंतरिक्ष उद्योग ऊंची छलांग लगाने का इंतजार कर रहा है.
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