भारत के किस हिस्से को PAK ने घोषित किया अपना प्रांत, कैसा है ये इलाका

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान गिलगित इलाके में चुनाव की बात कर रहे हैं
गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान ने अपने अवैध कब्जे (illegal control of Pakistan over Gilgit-Baltistan of India) को पक्का करने के लिए चुनाव का खेल खेला. साथ ही साथ वहां की जनता को सारे संवैधानिक हक देने की बात भी कर रहा है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 2, 2020, 5:04 PM IST
पूर्वी लद्दाख में चीन की दादागिरी के बाद अब उसके दोस्त पाकिस्तान की भी साजिश सामने आई है. वो लद्दाख में आने वाले गिलगित-बाल्टिस्तान (Gilgit-Baltistan) को अपना प्रोविजनल यानी अंतरिम प्रांत घोषित कर चुका है. बता दें कि इससे पहले वो इसे केवल विवादित क्षेत्र कहता रहा था लेकिन अब इसपर अपनी मुहर लगाने पर तुल गया है.
पहले नेपाल और अब पाकिस्तान
चीनियों से झड़प के बीच भारत पर एक के बाद एक पड़ोसी हमलावर हो रहे हैं. पहले नेपाल ने नया राजनैतिक नक्शा जारी किया, जिसमें उसने उत्तराखंड के तीन इलाकों को अपने नक्शे में दिखा दिया. भारत की सख्ती के बाद हालांकि इस नक्शे को वापस ले लिया गया. अब पाकिस्तान भी ये गुस्ताखी कर चुका है. बता दें कि उसने ये कदम साल 2019 में भारत सरकार के कदम के बदले उठाया है.
पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. इसमें गिलगित-बाल्टिस्तान वाला हिस्सा भी था, जिसपर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है. इस हिस्से को भारतीय नक्शे में लद्दाख में दिखाया गया.
भारत का हमेशा से रहा अभिन्न अंग
इस तरह से Jammu and Kashmir Reorganization Second Order, 2019 के तहत लेह प्रांत की सीमाएं गिलगित, गिलगित वजारत, चिलास, ट्राइबल टैरिटरी और लेह एवं लद्दाख से मिलकर बनी मानी जा रही है. असल में आजादी से पहले गिलगित बाल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का अंग हुआ करता था. लेकिन साल 1947 के बाद से इस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. हालांकि भारत ने हमेशा इसपर अपना दावा किया. खुद इस इलाके के लोगों ने कभी पाकिस्तान के तहत रहना स्वीकार नहीं किया.
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नक्शे की राजनीति शुरू
कोरोना और दूसरे तनावों के बीच पाकिस्तान ने अगस्त में ही इस क्षेत्र को पाकिस्तान का अंतरिम राज्य बना दिया. साथ ही साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एलान किया कि जल्द ही यहां चुनाव होंगे और यहां के नागरिकों को सारे संवैधानिक अधिकार दिए जाएंगे. खबरों के मुताबिक वहां 15 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे. जान लें कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान में लंबे वक्त से नजरअंदाज किया जाता रहा है. गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जे को लेकर अस्पष्टता की वजह से स्थानीय अपने मूल अधिकारों से भी वंचित रहे.

देखी जा रही चीन की भूमिका
लगभग सत्तर दशक से चुप बैठा पाकिस्तान एकाएक इस क्षेत्र को लेकर सक्रिय कैसे हो गया? इसके पीछे चीन की भूमिका भी मानी जा रही है. पाकिस्तान चीन के कर्ज तले दबा हुआ है और अब चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी), जिसका बड़ा हिस्सा गिलगित से होकर गुजरता है, उसे कब्जाने के लिए पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है.
पहले क्यों नहीं किया ऐसा कोई फैसला
वैसे यहां एक बड़ा पेंच भी है. जैसे अगर पाक गिलगित इलाके पर बेवजह कब्जा करता है तो कश्मीर हथियाने की उसकी कोशिश को बड़ा धक्का लग सकता है. यही वजह है कि लंबे वक्त तक वो चुप रहा. यहां तक कि पाक सेना भी इसके खिलाफ रही. अब चीनी प्रोजेक्ट में कोई बाधा न आए, इसके लिए उसने ये चुनाव का खेल खेला.
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किस तरह पाकिस्तान इस इलाके में कर रहा दमन
जब भी पाकिस्तान चीन की गतिविधियों का यहां के लोग विरोध करते हैं तो सेना इसे कुचल देती है. चीन-पाकिस्तान गलियारे का विरोध करने वालों पर आतंकवाद रोधी कानून लगाया जाता है. बड़े पैमाने पर पाकिस्तान ने यहां स्थानीय लोगों पर दमनचक्र चला रखा है.

क्या पाकिस्तान का कब्जा अवैध है
हां, गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा पूरी तरह अवैध है. न केवल ब्रिटिश संसद इसे कश्मीर का हिस्सा मानती है बल्कि यूरोपीय यूनियन भी इसे कश्मीर का ही बताता है. ब्रिटेन की संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध बताया था. ब्रिटिश संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू एवं कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है.
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इलाके की भौगोलिक स्थिति कैसी है
इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर-पख़्तूनख्वा से, उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और और दक्षिणपूर्व में भारतीय जम्मू व कश्मीर राज्य से लगती हैं. गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी है. अनुमानित जनसंख्या करीब दस लाख है. इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 3 लाख है.
कैसा दिखता है ये हिस्सा
गिलगित कराकोरम की छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. यहां सिंधु नदी लद्दाख से निकलती हुई बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है. गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक मशहूर ग्लेशियर भी है. कराकोरम क्षेत्र में ही हिंदूकुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंचे पर्वत भी हैं. गिलगित घाटी में सुंदर झरनों, फूलों की सुंदर घाटियां भी हैं.
पहले नेपाल और अब पाकिस्तान
चीनियों से झड़प के बीच भारत पर एक के बाद एक पड़ोसी हमलावर हो रहे हैं. पहले नेपाल ने नया राजनैतिक नक्शा जारी किया, जिसमें उसने उत्तराखंड के तीन इलाकों को अपने नक्शे में दिखा दिया. भारत की सख्ती के बाद हालांकि इस नक्शे को वापस ले लिया गया. अब पाकिस्तान भी ये गुस्ताखी कर चुका है. बता दें कि उसने ये कदम साल 2019 में भारत सरकार के कदम के बदले उठाया है.
पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को निरस्त कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. इसमें गिलगित-बाल्टिस्तान वाला हिस्सा भी था, जिसपर पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है. इस हिस्से को भारतीय नक्शे में लद्दाख में दिखाया गया.

चीन की दादागिरी के बाद अब उसके दोस्त पाकिस्तान की भी साजिश सामने आई
भारत का हमेशा से रहा अभिन्न अंग
इस तरह से Jammu and Kashmir Reorganization Second Order, 2019 के तहत लेह प्रांत की सीमाएं गिलगित, गिलगित वजारत, चिलास, ट्राइबल टैरिटरी और लेह एवं लद्दाख से मिलकर बनी मानी जा रही है. असल में आजादी से पहले गिलगित बाल्तिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का अंग हुआ करता था. लेकिन साल 1947 के बाद से इस पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. हालांकि भारत ने हमेशा इसपर अपना दावा किया. खुद इस इलाके के लोगों ने कभी पाकिस्तान के तहत रहना स्वीकार नहीं किया.
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नक्शे की राजनीति शुरू
कोरोना और दूसरे तनावों के बीच पाकिस्तान ने अगस्त में ही इस क्षेत्र को पाकिस्तान का अंतरिम राज्य बना दिया. साथ ही साथ पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एलान किया कि जल्द ही यहां चुनाव होंगे और यहां के नागरिकों को सारे संवैधानिक अधिकार दिए जाएंगे. खबरों के मुताबिक वहां 15 नवंबर को विधानसभा चुनाव होंगे. जान लें कि गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान में लंबे वक्त से नजरअंदाज किया जाता रहा है. गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जे को लेकर अस्पष्टता की वजह से स्थानीय अपने मूल अधिकारों से भी वंचित रहे.

गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान ने अपने अवैध कब्जे को पक्का करने के लिए चुनाव का खेल खेला
देखी जा रही चीन की भूमिका
लगभग सत्तर दशक से चुप बैठा पाकिस्तान एकाएक इस क्षेत्र को लेकर सक्रिय कैसे हो गया? इसके पीछे चीन की भूमिका भी मानी जा रही है. पाकिस्तान चीन के कर्ज तले दबा हुआ है और अब चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी), जिसका बड़ा हिस्सा गिलगित से होकर गुजरता है, उसे कब्जाने के लिए पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है.
पहले क्यों नहीं किया ऐसा कोई फैसला
वैसे यहां एक बड़ा पेंच भी है. जैसे अगर पाक गिलगित इलाके पर बेवजह कब्जा करता है तो कश्मीर हथियाने की उसकी कोशिश को बड़ा धक्का लग सकता है. यही वजह है कि लंबे वक्त तक वो चुप रहा. यहां तक कि पाक सेना भी इसके खिलाफ रही. अब चीनी प्रोजेक्ट में कोई बाधा न आए, इसके लिए उसने ये चुनाव का खेल खेला.
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किस तरह पाकिस्तान इस इलाके में कर रहा दमन
जब भी पाकिस्तान चीन की गतिविधियों का यहां के लोग विरोध करते हैं तो सेना इसे कुचल देती है. चीन-पाकिस्तान गलियारे का विरोध करने वालों पर आतंकवाद रोधी कानून लगाया जाता है. बड़े पैमाने पर पाकिस्तान ने यहां स्थानीय लोगों पर दमनचक्र चला रखा है.

गिलगित कराकोरम की छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है
क्या पाकिस्तान का कब्जा अवैध है
हां, गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का कब्जा पूरी तरह अवैध है. न केवल ब्रिटिश संसद इसे कश्मीर का हिस्सा मानती है बल्कि यूरोपीय यूनियन भी इसे कश्मीर का ही बताता है. ब्रिटेन की संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान के कब्जे को अवैध बताया था. ब्रिटिश संसद में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू एवं कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है.
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इलाके की भौगोलिक स्थिति कैसी है
इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर-पख़्तूनख्वा से, उत्तर में अफ़ग़ानिस्तान के वाख़ान गलियारे से, उत्तरपूर्व में चीन के शिन्जियांग प्रान्त से, दक्षिण में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और और दक्षिणपूर्व में भारतीय जम्मू व कश्मीर राज्य से लगती हैं. गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी है. अनुमानित जनसंख्या करीब दस लाख है. इसका प्रशासनिक केन्द्र गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 3 लाख है.
कैसा दिखता है ये हिस्सा
गिलगित कराकोरम की छोटी-बड़ी पहाड़ियों से घिरा है. यहां सिंधु नदी लद्दाख से निकलती हुई बाल्टिस्तान और गिलगित होकर बहती है. गिलगित-बाल्टिस्तान में ही बालटॉरो नाम का एक मशहूर ग्लेशियर भी है. कराकोरम क्षेत्र में ही हिंदूकुश और तिरिच मीर नाम के वाले दो ऊंचे पर्वत भी हैं. गिलगित घाटी में सुंदर झरनों, फूलों की सुंदर घाटियां भी हैं.