कैसी है जिन्ना की वो निशानी, जिसे 500 अरब रुपयों के लिए पाकिस्तान गिरवी रखेगा?

इमरान सरकार अब देश के संस्थापक नेता मोहम्मद अली जिन्ना से जुड़े पार्क को गिरवी रखने वाली है
मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) की बहन के नाम पर पाकिस्तान में सबसे बड़ा पार्क (largest park in Pakistan) है, जो लगभग 750 एकड़ में फैला हुआ है. अब यही पार्क गिरवी रखा जा सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2021, 11:50 PM IST
आर्थिक बदहाली से जूझते पाकिस्तान पर एक के बाद एक मुश्किलें आ रही हैं. हालत ये है कि इमरान सरकार अब देश के संस्थापक नेता मोहम्मद अली जिन्ना से जुड़े पार्क को भी गिरवी रखने वाली है. फातिमा जिन्ना (Fatima Jinnah Park) नाम का ये पार्क जिन्ना और उनकी बहन फातिमा को समर्पित किया गया था. इस पार्क को गिरवी रखने पर पाकिस्तान को लगभग 500 अरब रुपयों का लोन मिल सकेगा.
पहले ही ले चुका एनओसी
पाकिस्तान में पहले भी कई संपत्तियां गिरवी रखी जा चुकी हैं लेकिन ये पहला मौका है, जब जिन्ना की पहचान से जुड़ी कोई प्रॉपर्टी गिरवी रखी जाएगी. इस बारे में इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पहले ही अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) ले लिया है. और अब पार्क को गिरवी रखने पर 26 जनवरी को चर्चा होने वाली है.
आर्थिक मोर्चे पर तंगहाल पाकिस्तान में इस बाबत वहां के डॉन अखबार ने पहली बार रिपोर्ट छापी, जिसके बाद से वहां की सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं. जिन्ना की जिस पहचान को गिरवी रखने की बात पर हंगामा बरपा है, वो इस्लामाबाद का सबसे बड़ा पार्क है. फातिमा जिन्ना नाम से ये पार्क लगभग 750 एकड़ में फैला हुआ है यानी किसी जंगल जैसा लंबा-चौड़ा है.
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इतना विशाल होने के कारण पार्क की तुलना अक्सर न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क से भी होती रही है. साल 1992 में शुरू हुए इस पार्क की खासियत यहां की हरियाली है. फातिमा पार्क में केवल कुछ ही जगहों पर मूर्तियां और इसी तरह के इंसानों के बनाए हुए स्ट्रक्चर हैं, जबकि लगभग पूरा पार्क पेड़ों से भरा हुआ है. बता दें कि अमेरिका के जिस सेंट्रल पार्क से इसकी तुलना होती है, वो भी हरियाली के मामले में ऐसा ही है और वहां सालाना लगभग 30 मिलियन लोग घूमने आते हैं.

इस्लामाबाद के इस पार्क को कैपिटल पार्क या मादर-ए-मिल्लत पार्क भी कहते हैं. पार्क को लगभग दशकभर पहले अलग तरह से तैयार किया गया. इसके एक हिस्से में स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स बनाया गया. यहां खेलने के अलावा वॉटर एक्टिविटी के लिए पूल भी बने हुए हैं. धीरे-धीरे इस जगह में खाने-पीने के ठिकाने भी बनने लगे. हालात यहां तक पहुंच गए कि पार्क में मैकडोनॉल्ड पिज्जा जैसे कई फास्ट-फूड रेस्त्रां खुल गए. इससे पार्क की रंगत बिगड़ने का डर देखते हुए साल 2011 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे आउटलेट्स को बंद करवा दिया, हालांकि कुछ समय बाद पिज्जा आउटलेट दोबारा खुल गया.
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पाकिस्तान का सबसे बड़ा पार्क सौर ऊर्जा से संचालित हो रहा है. इसके लिए यहां 5 एकड़ जमीन पर लगभग 3400 सोलर पैनल लगने की बात थी, जिसपर काम शुरू भी हो चुका है. दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान में भारी निवेश कर रही चीन की सरकार ने इस पार्क में भी पैसे लगाए हैं. यहां इंफ्रा और सोलर ऊर्जा के लिए जिनपिंग सरकार से मदद मिली है.

अब इसी पार्क को गिरवी रखने के लिए पाकिस्तान सरकार ने कवायद शुरू कर दी है. इस बीच जान लें कि पाकिस्तान इन दिनों बुरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है. ये हाल वहां दो दशकों से रहा लेकिन अब सऊदी जैसे दोस्त ने भी नाता तोड़ लिया है और नया कर्ज देने से मना कर दिया. इसके बाद भी पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक लगभग 5.7 अबब डॉलर का कर्ज ले लिया है.
इन हालातों में पाकिस्तान के पास ज्यादा रास्ते नहीं हैं और वो लगातार अपनी इमारतें और दूसरी चल-अचल संपत्तियां गिरवी रखते जा रहा है. लेकिन जिन्ना के नाम पर पार्क को गिरवी रखने की बात पर वहां आम लोगों में भी गुस्सा भड़का हुआ है.
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कर्ज की मार से जूझते पाकिस्तान पर जैसे इतनी ही मुसीबत कम न हो, उसपर एक अदालत ने हाल ही में देश की विदेशी में मौजूद प्रॉपर्टी की नीलामी की बात कर डाली. ये मामला बलूचिस्तान की रेको डिक सोने की खदान से जुड़ा हुआ है. वहां सोने की खदान के लिए पहले तो पाक ने ऑस्ट्रलिया और चिली के साथ करार किया, लेकिन खनन में फायदा देखते ही करार तोड़ते हुए विदेशी कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया. इसके बाद ही विदेशी ट्रिब्यूनल ने पाकिस्तान पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया, जिसे न भर पाने पर पाकिस्तान को अमेरिका और फ्रांस में स्थित अपने होटल नीलाम करने पड़ सकते हैं.
पहले ही ले चुका एनओसी
पाकिस्तान में पहले भी कई संपत्तियां गिरवी रखी जा चुकी हैं लेकिन ये पहला मौका है, जब जिन्ना की पहचान से जुड़ी कोई प्रॉपर्टी गिरवी रखी जाएगी. इस बारे में इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पहले ही अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) ले लिया है. और अब पार्क को गिरवी रखने पर 26 जनवरी को चर्चा होने वाली है.

इस्लामाबाद के इस पार्क को कैपिटल पार्क या मादर-ए-मिल्लत पार्क भी कहते हैं
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इतना विशाल होने के कारण पार्क की तुलना अक्सर न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क से भी होती रही है. साल 1992 में शुरू हुए इस पार्क की खासियत यहां की हरियाली है. फातिमा पार्क में केवल कुछ ही जगहों पर मूर्तियां और इसी तरह के इंसानों के बनाए हुए स्ट्रक्चर हैं, जबकि लगभग पूरा पार्क पेड़ों से भरा हुआ है. बता दें कि अमेरिका के जिस सेंट्रल पार्क से इसकी तुलना होती है, वो भी हरियाली के मामले में ऐसा ही है और वहां सालाना लगभग 30 मिलियन लोग घूमने आते हैं.

पार्क को लगभग दशकभर पहले अलग तरह से तैयार किया गया
इस्लामाबाद के इस पार्क को कैपिटल पार्क या मादर-ए-मिल्लत पार्क भी कहते हैं. पार्क को लगभग दशकभर पहले अलग तरह से तैयार किया गया. इसके एक हिस्से में स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स बनाया गया. यहां खेलने के अलावा वॉटर एक्टिविटी के लिए पूल भी बने हुए हैं. धीरे-धीरे इस जगह में खाने-पीने के ठिकाने भी बनने लगे. हालात यहां तक पहुंच गए कि पार्क में मैकडोनॉल्ड पिज्जा जैसे कई फास्ट-फूड रेस्त्रां खुल गए. इससे पार्क की रंगत बिगड़ने का डर देखते हुए साल 2011 में पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे आउटलेट्स को बंद करवा दिया, हालांकि कुछ समय बाद पिज्जा आउटलेट दोबारा खुल गया.
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पाकिस्तान का सबसे बड़ा पार्क सौर ऊर्जा से संचालित हो रहा है. इसके लिए यहां 5 एकड़ जमीन पर लगभग 3400 सोलर पैनल लगने की बात थी, जिसपर काम शुरू भी हो चुका है. दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान में भारी निवेश कर रही चीन की सरकार ने इस पार्क में भी पैसे लगाए हैं. यहां इंफ्रा और सोलर ऊर्जा के लिए जिनपिंग सरकार से मदद मिली है.

जिन्ना के नाम पर पार्क को गिरवी रखने की बात पर वहां आम लोगों में भी गुस्सा भड़का हुआ है
अब इसी पार्क को गिरवी रखने के लिए पाकिस्तान सरकार ने कवायद शुरू कर दी है. इस बीच जान लें कि पाकिस्तान इन दिनों बुरी तरह से कर्ज में डूबा हुआ है. ये हाल वहां दो दशकों से रहा लेकिन अब सऊदी जैसे दोस्त ने भी नाता तोड़ लिया है और नया कर्ज देने से मना कर दिया. इसके बाद भी पाकिस्तान सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अब तक लगभग 5.7 अबब डॉलर का कर्ज ले लिया है.
इन हालातों में पाकिस्तान के पास ज्यादा रास्ते नहीं हैं और वो लगातार अपनी इमारतें और दूसरी चल-अचल संपत्तियां गिरवी रखते जा रहा है. लेकिन जिन्ना के नाम पर पार्क को गिरवी रखने की बात पर वहां आम लोगों में भी गुस्सा भड़का हुआ है.
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कर्ज की मार से जूझते पाकिस्तान पर जैसे इतनी ही मुसीबत कम न हो, उसपर एक अदालत ने हाल ही में देश की विदेशी में मौजूद प्रॉपर्टी की नीलामी की बात कर डाली. ये मामला बलूचिस्तान की रेको डिक सोने की खदान से जुड़ा हुआ है. वहां सोने की खदान के लिए पहले तो पाक ने ऑस्ट्रलिया और चिली के साथ करार किया, लेकिन खनन में फायदा देखते ही करार तोड़ते हुए विदेशी कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया. इसके बाद ही विदेशी ट्रिब्यूनल ने पाकिस्तान पर भारी-भरकम जुर्माना लगाया, जिसे न भर पाने पर पाकिस्तान को अमेरिका और फ्रांस में स्थित अपने होटल नीलाम करने पड़ सकते हैं.